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देश की सेना के लिए अगले दस साल राह सुगम करेगा सिंफर, जाने क्या है रोडमैप

चीन, पाकिस्तान की भारत से लगती सीमा पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (सीमा सड़क संगठन) अगले दस साल के लिए सिंफर (केंद्रीय खनिज एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान) के...

देश की सेना के लिए अगले दस साल राह सुगम करेगा सिंफर, जाने क्या है रोडमैप
धनबाद। मुकेश सिंहSat, 30 May 2020 02:30 AM
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चीन, पाकिस्तान की भारत से लगती सीमा पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (सीमा सड़क संगठन) अगले दस साल के लिए सिंफर (केंद्रीय खनिज एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान) के साथ टेक्नोलाजी पार्टनर के रूप में एमओयू करने की तैयारी में है। इससे संबंधित बीआरओ के एडीजी ने एक प्रस्ताव सिंफर को दिया है। पत्र के आलोक में सिंफर की ओर से ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर बीआरओ को भेज दिया गया है। लॉकडाउन खत्म होते ही एमओयू की संभावना है।

यह जानकारी सिंफर के वैज्ञानिक सह परियोजना प्रमुख आदित्य राणा ने दी। उन्होंने बताया कि सिंफर निदेशक डॉ. पीके सिंह के मार्गदर्शन और सेक्शन हेड डॉ. सी सोमिलियाना के नेतृत्व में टीम बॉर्डर पर एक साल से काम कर रही है।

15 नवंबर 2018 को बीआरओ ने सालभर के लिए सिंफर के साथ करार किया था। सिंफर की टीम ने 150 दिन तक चीन तथा पाकिस्तान की सीमा से लगते भारतीय क्षेत्र में 15 सड़कों के निर्माण में भूमिका अदा की। सिंफर के तकनीकी सहयोग से प्रभावित हो बीआरओ ने करार को दस साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव सिंफर को दिया है।

सिंफर की टीम ने हिमालयन क्षेत्र में अरुणाचल, लद्दाख एवं उत्तराखंड से लगती सीमा के समीप 15 सड़कों के लिए काम किया। पहाड़ी क्षेत्र में सड़क निर्माण जटिल होता है। सिंफर की टीम ने प्रभावी तकनीक के साथ बीआरओ को सहयोग किया। तेजी से सड़क निर्माण के लिए सिंफर का सहयोग लिया जाता है। कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग कर बारूद की खपत 38 फीसदी तक कम की। लैंड्स स्लाइडिंग (भू-स्खलन) के खतरे को कम करना तथा सड़क निर्माण से पहाड़ को ज्यादा नुकसान न हो, इन सब पर वैज्ञानिकों ने काम किया। सिंफर की टीम ने उत्तराखंड की सीमा से चीन की लगती सीमा के भारतीय क्षेत्र पिथौरागढ़ में पांच सड़कों पर काम किया है। अरुणाचल की सीमा पर तीन सहित अन्य सड़क निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। 

अब होने जा रहे करार के बाद सिंफर सीमा पर बनने वाली हर प्रमुख सड़क में टेक्नोलाजी पार्टनर की भूमिका में होगी। लगभग 73 से अधिक सड़क प्रस्तावित हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने माइनस सात-आठ डिग्री तापमान वाले क्षेत्र में काम किया है। बर्फ के बीच रहे हैं। कई वैज्ञानिकों के नाक से खून का रिसाव एवं बीपी की समस्या हो गई थी। वैसे बीआरओ की ओर से मुकम्मल चिकित्सा सुविधा का इंतजाम रहता है।

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