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आरपीएन का झटकाः डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस, राहुल गांधी से मिले झारखंड अध्यक्ष राजेश ठाकुर

आरपीएन सिंह के अचानक पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने से लगे झटकों को कम करने में कांग्रेस जुटी हुई है। झारखंड कांग्रेस को डर है कि आरपीएन के भाजपा में जाने से सरकार को अस्थिर करने की गतिविधियां कहीं जोर...

आरपीएन का झटकाः डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस, राहुल गांधी से मिले झारखंड अध्यक्ष राजेश ठाकुर
रांची लाइव हिन्दुस्तानWed, 26 Jan 2022 10:57 PM

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आरपीएन सिंह के अचानक पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने से लगे झटकों को कम करने में कांग्रेस जुटी हुई है। झारखंड कांग्रेस को डर है कि आरपीएन के भाजपा में जाने से सरकार को अस्थिर करने की गतिविधियां कहीं जोर न पकड़ ले। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बुधवार को राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की। उन्होंने राहुल गांधी को वहां की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

पिछले दिनों दो बार झारखंड में सरकार को अस्थिर करने की साजिश हो चुकी है। पहली बार कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने कतिपय लोगों के खिलाफ थाने में लिखित सूचना दी। दूसरी बार झामुमो के रामदास सोरेन ने थाने में शिकायत दर्ज करायी।

माना जाता है कि झारखंड का महासचिव रहने के नाते आरपीएन सिंह के कई करीबी अब भी पार्टी में हैं। कुछ विधायक और नेता उनके पार्टी छोड़ने पर खुश हैं तो कई निराश और क्षुब्ध भी हैं। क्षुब्ध नेता-विधायक सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। आने वाला वक्त किस करवट बैठेगा, अभी कहना मुश्किल है। उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद आरपीएन सिंह का पाला बदल झारखंड में कहीं कोई सियासी बड़ा खेल न कर दे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में कांग्रेस की ओर से आरपीएन ने हेमंत सोरेन को पूरे दमखम के साथ सत्ता पर बिठाया था। कांग्रेस के मंत्री कौन-कौन होंगे, किसे क्या विभाग मिलेगा और सरकार किस फार्मूले पर चलेगी, यह सब तय करने में आरपीएन की भूमिका अहम थी। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ वह लगातार मंत्रणा करते, नीति और कार्यक्रमों पर कांग्रेस की ओर से निर्णायक संवाद करनेवाले शख्स थे। 

आरपीएन सिंह सरकार की रीति, नीति और योजनाओं के क्रियान्वयन में मुख्य भूमिका निभाते थे। कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों पर उनका सीधा नियंत्रण था। विधायक अपने गिले-शिकवे उनके सामने ही रखते थे। वह विधायकों का दुख-दर्द भी बांटते थे। आरपीएन के कामकाज के तरीके से कांग्रेस के कई बुजुर्ग नेता उनके खिलाफ रांची से दिल्ली तक विरोध का झंड़ा लहराते रहे। फिर भी चार प्रदेश अध्यक्षों के साथ उन्होंने काम किया। डा. अजय कुमार को अध्यक्ष पद से हटाने और रामेश्वर उरांव को बिठाने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। वर्तमान अध्यक्ष राजेश ठाकुर को अध्यक्ष बनाने में उनकी ही चली थी।

दोनों सत्तारुढ़ विधायकों की शिकायतों का लब्बोलुआब यही था कि कोई ताकत है, जो सरकार को अस्थिर करना चाह रही है। विपक्ष भाजपा के खिलाफ सियासी बयान भी दागे गए। फिलहाल दोनों मामला कोर्ट और थाने का चक्कर काट रहा है। मंगलवार को झारखंड में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन सरकार को सत्तारुढ़ करानेवाले आरपीएन सिंह ने एक झटके में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम सबको चौंका दिया।

आरपीएन के पाला बदल ने सूबे में सियासी हलचल पैदा कर दी है। भाजपा आनंदित है, वहीं सत्तारुढ़ कांग्रेस-झामुमो सकते में है। कई तरह की आशंका सत्तारुढ़ दल के नेताओं को परेशान कर रही है। उनके कांग्रेस छोड़ने पर पार्टी के एक विधायक इरफान खान ने मिठाइयां बांटी, वहीं दूसरी विधायक अंबा प्रसाद ने आरपीएन सिंह पर साफ आरोप लगाया है कि सरकार को गिराने की वह साजिश रच रहे थे।

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