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अवमानना के मामले में मुख्य सचिव को नोटिस, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

दिल्ली स्थित झारखंड भवन के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने के बाद सेवा शर्त में बदलाव किए जाने को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को यह बताने को कहा है कि इसमें...

अवमानना के मामले में मुख्य सचिव को नोटिस, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
रांची, प्रमुख संवाददाताSun, 16 Sep 2018 08:20 PM
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दिल्ली स्थित झारखंड भवन के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने के बाद सेवा शर्त में बदलाव किए जाने को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को यह बताने को कहा है कि इसमें बदलाव क्यों किया गया। कोर्ट के आदेश की व्याख्या करने समय महाधिवक्ता से मंतव्य क्यों नहीं लिया। मुख्य सचिव को 26 अक्तूबर तक इसका जवाब शपथपत्र के माध्यम से देना होगा। कोर्ट ने कहा है कि यदि मुख्य सचिव जवाब दाखिल नहीं करते हैं, तो उन्हें खुद कोर्ट में मौजूद रहना होगा।

विष्णुकुमार बंसल एवं अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्देश दिया है। झारखंड भवन के 18 अस्थायी कर्मचारियों ने अपनी सेवा नियमित करने के लिए याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि वह सभी झारखंड भवन में दस साल से अधिक समय तक अनुबंध पर स्वीकृत पदों पर काम कर रहे हैं। लेकिन उनकी सेवा नियमित नहीं की जा रही है। इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने सरकार को सभी की सेवा नियमित करने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश के बाद भी इनकी सेवा नियमित नहीं की गई।

अवमानना याचिका दायर
सेवा नियमित नहीं किए जाने पर प्रार्थियों ने हाईकोर्ट में अवमाना याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि कोर्ट के आदेश बीतने के बाद भी सरकार ने सेवा नियमित नहीं की है। न ही इसका कारण बताया जा रहा है। अवमानना याचिका दायर करने के बाद सरकार ने एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दे दी।

सरकार पर 18 हजार का जुर्माना लगाने के बाद याचिका स्वीकार
सरकार ने एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी। इसके बाद तीन हस्तक्षेप याचिका दायर की। पहली याचिका में विलंब से अपील करने को नजरअंदाज कर याचिका स्वीकृत करने का आग्रह किया गया। दूसरी याचिका में एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया गया। तीसरे में अवमानना याचिका को रद्द करने का आग्रह किया गया। अदालत ने सरकार पर 18 हजार रुपए जुर्माना लगाने के बाद अपील याचिका स्वीकार की। इसके बाद दो अन्य याचिकाएं खारिज कर दीं।

पांच सदस्यीय कमेटी बनाई
अवमानना याचिका दायर होने के बाद सरकार ने पांच आईएएस अधिकारियों की कमेटी बनाई। कमेटी ने स्वीकृत पद पर कार्यरत 11 लोगों की सेवा नियमित कर दी। छह पर विचार किया जा रहा है। एक के लिए योग्यता निर्धारित की जा रही है। कमेटी ने तय किया सेवा नियमित करने की तिथि से वह नियमित माने जाएंगे। इसके पूर्व के वह किसी भी प्रकार के लाभ के हकदार नहीं होंगे। न ही सेवा की वरीयता में पूर्व की सेवा शामिल की जाएगी। प्रार्थियों ने इसका विरोध किया।

महाधिवक्ता से भी राय नहीं ली
प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार का यह निर्णय सही नहीं है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया है कि सेवा नियमित होने की तिथि के पहले का लाभ उन्हें दिया जाएगा या नहीं। सरकार ने खुद कोर्ट के आदेश की व्याख्या की है।  इसके बाद अदालत ने मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

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