प्रणब मुखर्जी ने बताई बचपन की कहानी, बोले 10 किमी पैदल चलकर स्कूल जाता था, बेबस थी मां
आईआईएम रांची के दसवें स्थापना दिवस समारोह के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को अपने बचपन की कहानी बताकर छात्रों को संदेश दिया। उन्होंने बताया कि वे गरीब परिवार से आते...
आईआईएम रांची के दसवें स्थापना दिवस समारोह के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को अपने बचपन की कहानी बताकर छात्रों को संदेश दिया। उन्होंने बताया कि वे गरीब परिवार से आते हैं, बचपन में वे अपनी प्राथमिक शिक्षा पाने के लिए दस किलोमीटर धान के खेतों से होकर स्कूल जाते थे। उन्होंने अपनी मां से कई बार अपनी तकलीफ के बारे में बताया। कई बार स्कूल नहीं जाने की भी बात कही। लेकिन उनकी मां बेबस थी। कोई दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण वे उसी तरह स्कूल जाते रहे। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उस जिला कॉलेज में अपना नामांकन करवाया। उन्होंने वह कॉलेज इसलिए चुना क्योंकि कॉलेज कैंपस के बाहर ही उन्हें रहने के लिए हॉस्टल मिला था। उन्होंने बताया कि आधारभूत संरचना की जरूरत क्यों होती है। किसी भी क्षेत्र के विकास में आधारभूत संरचना काफी महत्वपूर्ण होता है, जिसके बाद ही अन्य चीजें विकसित हो पाती है।
उन्होंने कहा कि गुणवक्ता युक्त शिक्षा की शुरुआत स्कूल से ही करने की जरूरत है। विवेकानंद और रविंद्रनाथ टैगोर का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने कहा था कि शिक्षा सिर्फ जानकारियों का संग्रह नहीं है, उससे जीवन में सफलता नहीं पायी जा सकती। इसे वास्तिवक जीवन में उतारने की जरूरत है। उन्होंने आईआईएम के बारे में कहा कि पूर्वी भारत में इन संस्थानों से शिक्षा की गुणवक्ता बढ़ रही है।
इस मौके पर एमबीए के विभिन्न संकाय में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 16 छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। आईआईएम रांची के चेयरमैन ने कहा कि सफलता पाने के लिए बाहर निकलना होगा। पूरी दुनिया को देखने का नजरिया चाहिए, ताकि खुद का विकास हो और संस्थान का भी नाम हो सके। संस्थान के निदेशक शैलेंद्र सिंह ने सभी छात्रों को उनकी कामयाबी पर बधाई देते हुए कहा कि संस्थान ने हमेशा छात्रों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और वे अपनी मंजिल को भी हासिल कर रहे हैं।
सफलता की कुंजी शॉर्टकट नहीं है :
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि किसी भी सफलता को पाने के लिए शॉर्टकट कोई जरिया नहीं है। छात्रों को अपने जीवन को सफल बनाने के लिए हर परिस्थितियों से गुजरना चाहिए। उन्हें उपना बेस्ट देने प्रयास करना चाहिए क्योंकि समाज को उनकी जरूरत है। उन्होंने आईआईएम के बारे में बताया कि पूर्वी भारत में आईआईएम के बनने से विकास में गति आयी है। यहां औद्योगिकरण को बढ़ावा मिल रहा है।
नौकरी की नहीं करें तलाश खुद खड़ी करें कंपनी :
आप जैसे तकनीकी रूप से कौशल युवाओं को मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी करने की बजाय खुद न्योक्ता बन दूसरे लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना चाहिए। यह बात प्रणव मुखर्जी ने छात्रों से कहीं। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे डीग्री हासिल करने के बाद नौकरी की तलाश नहीं करें। बल्कि स्टार्टअप कर खुद दूसरों को नौकरियां दे।
पूर्वी क्षेत्रों में खनीज-संपदा काफी है, लेकिन आधारभूत संरचना की कमी :
पूर्वी भारत के राज्यों के बारे में बात करते हुए प्रणव मुखर्जी ने कहा कि यहां खनीज-संपदा काफी मात्रा में है। लेकिन आधारभूत संरचना की भारी कमी होने के कारण विकास की गति धीमी है। यहां की सड़कें विकास में मुख्य बाधक है। जिसका समाधार राज्य व केंद्र सरकार को मिलकर करना होगा।
विश्व में आगे रहने के लिए जीडीपी का बढ़ना जरूरी :
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश में 786 विवि है, 16 आईआईटी, 35 एनआईआईटी और 36 हजार डीग्री कॉलेज हैं। जो खुद शिक्षा की गति बढ़ता हुआ दिखा रहा है। जो देश के जीडीपी को आगे बढ़ाने में भी मददगार है। अभी देश का जीडीपी 7 प्रतिशत से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र जीडीपी में काफी बड़ा योगदान कर सकते हैं या कहें तो दूसरी क्रांति इसी क्षेत्र से संभव है। अपने स्पीच के दौरान उन्होंने छात्रों को सक्रिय रूप से राष्ट्र निर्माण में योगदान करने को कहा। उन्होंने छात्रों को प्रेरणास्रोत की प्रतीक्षा करने के बजाय स्वयं दूसरों के लिए प्रेरणा बनने को कहा। इस बीच उन्होंने हरित क्रांति से देश में हुए असर के बारे में बताया।