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Hindi News झारखंड16वीं सदी के इस काली मंदिर में बनते हैं बिगड़े काम; मूर्ति कहां मिलेगी, राजा दिग्विजय को स्वप्न में मिला था संदेश

16वीं सदी के इस काली मंदिर में बनते हैं बिगड़े काम; मूर्ति कहां मिलेगी, राजा दिग्विजय को स्वप्न में मिला था संदेश

देवघर के मधुपुर में कई पौराणिक, आध्यात्मिक स्थल हैं जहां श्रद्धालु आस्था की डोर से बंधकर खिंचे चले आते हैं। इन्हीं में से एक पौराणिक धार्मिक स्थल है पथरोल स्थित मां काली मंदिर।

16वीं सदी के इस काली मंदिर में बनते हैं बिगड़े काम; मूर्ति कहां मिलेगी, राजा दिग्विजय को स्वप्न में मिला था संदेश
Mohammad Azamलाइव हिंदुस्तान,देवघरMon, 18 Sep 2023 11:48 PM
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देवघर के मधुपुर में कई पौराणिक, आध्यात्मिक स्थल हैं जहां श्रद्धालु आस्था की डोर से बंधकर खिंचे चले आते हैं। इन्हीं में से एक पौराणिक धार्मिक स्थल है पथरोल स्थित मां काली मंदिर। पथरोल में मां काली का भव्य मंदिर है। यह मधुपुर-सारठ मुख्य पथ पर अवस्थित है।

मान्यता है कि 16वीं सदी में तत्कालीन राजा दिग्विजय सिंह ने मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर की स्थापना से काफी पहले खेतौरी समुदाय के लोगों ने दिग्विजय सिंह की बाल्यावस्था में ही इनके पिता की हत्या कर पथरोल स्टेट का राज हथिया लिया था। खेतौरिया ने राजकुमार दिग्विजय की भी हत्या करनी चाही, लेकिन राजा के समर्थक ढाकियों ने अपनी सूझबूझ से इनकी जान बचा ली। ढाकियों ने राजकुमार को अपने ढाक में छिपा लिया था। उसके बाद राजकुमार को उनके मामा घर बुढ़ैई पहुंचा दिया। यहीं राजकुमार का पालन-पोषण किया गया। बाल्यावस्था से राजकुमार को मां काली के प्रति असीम श्रद्धा थी। 16 वर्ष की उम्र में राजकुमार दिग्विजय ने पिता की हत्या कर राजपाट हथियाने के बारे में सुना। इसके बाद राजकुमार दिग्विजय ने खेतौरिया को खदेड़ कर अपना राज्य वापस पा लिया। उस समय पथरोल में मां काली का भव्य मंदिर नहीं था।

 बेल और नीम पेड़ के नीचे पत्थर की बट्टी रखकर पूजा की जाती थी। बाद में राजा को मां काली ने स्वप्न में आदेश दिया की कोलकाता के दक्षिणेश्वर घाट में आधा जल और आधा स्थल में मेरी प्रतिमा है। प्रतिमा लाकर पथरोल में स्थापित करो। इसके बाद राजा ने मां के आदेश को मानते हुए पथरोल में प्रतिमा की स्थापना की। इसके बाद धीरे-धीरे यह मंदिर पूरे इलाके में प्रसिद्ध हो गया। अब यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।