बादल टकराने जैसी आवाज, बोगियों से चीख-पुकार; यात्रियों ने सुनाई हावड़ा-मुंबई मेल हादसे की खौफनाक कहानी
एक अन्य यात्री देवाशीष मंडल ने बताया कि वह एसी बोगी में यात्रा कर रहे थे। जिस वक्त घटना हुई, उस वक्त सो रहे थे। अचानक ट्रेन में जोरदार झटका लगा तो उनकी नींद खुल गयी।
सुबह सभी लोग सो रहे थे। हावड़ा-मुंबई मेल ट्रेन भी अपनी पूरी रफ्तार में थी। तभी एकाएक बादल टकराने जैसी आवाज आई और लगा कि ट्रेन जंप कर गयी। इसके बाद ट्रेन की हर बोगी से चीख-पुकार शुरू हो गयी। बाहर झांका तो देखा तो बोगियां इधर-उधर बिखरी गयी थीं और लोग बचाने के लिए आवाज लगा रहे थे। यह वाकया बताते हुए हावड़ा मुंबई मेल में सफर कर रहे बिहार के नवादा जिले के निवासी एकरार आलम सिहर गये। एकरार ने बताया कि किस्मत अच्छी थी कि हादसे में उनकी जान बच गयी।
वहीं एक अन्य यात्री देवाशीष मंडल ने बताया कि वह एसी बोगी में यात्रा कर रहे थे। जिस वक्त घटना हुई, उस वक्त सो रहे थे। अचानक ट्रेन में जोरदार झटका लगा तो उनकी नींद खुल गयी। उन्होंने देखा कि ट्रेन के ऊपर स्लीपर में सो रहे लोग नीचे गिर रहे हैं और यात्री बाहर निकलने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। कुछ लोग ट्रेन का कांच तोड़कर बाहर निकल रहे थे, तो कुछ गेट से बाहर निकल रहे थे। इस दौरान कई घायल भी हो गये।
यात्री राजकुमार झा ने बताया कि अचानक ट्रेन में झटका हुआ और वह ऊपर से अपनी पत्नी के साथ नीचे आ गिरे, जिस कारण उनकी पत्नी के सिर में चोट भी आयी। उनके कंधे और कमर में चोट है। हादसा के बाद अपनी पत्नी को किसी तरह लेकर बाहर निकले और दो घंटे बाद बस में सवार होकर चक्रधरपुर पहुंचे।
मुम्बई जा रहे मुरारी झा ने बताया कि जब हादसा हुआ तब उन्हें लगा कि किसी मालगाड़ी से ट्रेन टकरा गयी है। अफरा तफरी मची थी। एक से दूसरा बोगी में जाने का रास्ता भी नहीं था। किसी तरह निकलने के बाद एम्बुलेंस से चक्रधरपुर स्टेशन पहुंचे।
यह भी जानिए: एर्नाकुलम एक्सप्रेस से मुंबई भेजे गये यात्री
ट्रेन हादसे के बाद घटनास्थल से सभी यात्रियों को बस और एम्बुलेंस से चक्रधरपुर लाया गया, जहां से एर्नाकुलम एक्सप्रेस से मुंबई के लिए सभी को रवाना किया गया। एर्नाकुलम एक्सप्रेस टाटा के लिए जा रही थी, पर बड़ाबम्बो स्टेशन के समीप हादसे के बाद उसे चक्रधरपुर में टर्मिनेट कर दिया गया। इसके बाद उसी ट्रेन के रैक को चक्रधरपुर से ही हावड़ा-मुम्बई मेल एक्सप्रेस के यात्रियों को गंतव्य की ओर रवाना किया गया। वहीं, एर्नाकुलम-टाटा एक्सप्रेस ट्रेन के यात्रियों को बस से टाटानगर स्टेशन भेजा गया। जबकि कुछ को छोटा हाथी सवारी वाहन से चाईबासा भेजा गया।