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झारखंडी कौन? यह निर्धारित करने वाले विधेयक पर यूपीए-एनडीए में टकराव; निशाने पर राज्यपाल

मुख्यमंत्री इस समय खतियानी जोहार यात्रा पर भी हैं। इस बीच राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने से झारखंड में यूपीए और एनडीए गठबंधन में ठन गई है। राज्यपाल, महागठबंधन सरकार के निशाने पर हैं।

झारखंडी कौन?  यह निर्धारित करने वाले विधेयक पर यूपीए-एनडीए में टकराव; निशाने पर राज्यपाल
Suraj Thakurमुख्य संवाददाता,रांचीTue, 31 Jan 2023 05:45 AM
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राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता निर्धारित करने वाला हेमंत सोरेन सरकार का विधेयक वापस लौटा दिया है। ये हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लाया गया महात्वाकांक्षी विधेयक था। मुख्यमंत्री इस समय खतियानी जोहार यात्रा पर भी हैं। इस बीच राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने से झारखंड में यूपीए और एनडीए गठबंधन में ठन गई है। बीजेपी विधायक दल के नेता सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सरकार स्थानीयता से संबंधित विधेयक के संबंध में राज्यपाल की आपत्तियों पर गंभीरतापूर्वक विचार करे। मरांडी ने कहा कि यह मामला झारखंड के साढ़े तीन करोड़ जनता के हित से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसमें बार-बार राजनीति नहीं होनी चाहिए।

बाबूलाल मरांडी ने दिया कानूनी सलाह लेने का सुझाव
बाबूलाल ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड के बच्चों के हित में झारखंड की धरती पर ही विधिसम्मत निर्णय ले। राज्य सरकार को फेंका-फेंकी की राजनीति बंद कर अपने संविधान सम्मत अधिकारों का सदुपयोग करना चाहिए। राज्य सरकार को नीति बनाने का पूरा अधिकार है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार अपराधियों को बचाने के लिए, उनके मुकदमों की बहस के लिए वकीलों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च कर रही है, लेकिन यह मामला राज्य हित से जुड़ा है, इसलिए इस मामले में देश के नामी कानूनविदों से सलाह लेने से राज्य सरकार को परहेज नहीं करना चाहिए।

बीजेपी के हिडेन एजेंडा पर काम कर रहे राज्यपाल
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सह महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि राज्यपाल भाजपा के हिडेन एजेंडा पर काम कर रहे हैं। 1932 खतियान आधारित नीति जनता की मांग थी। महागठबंधन सरकार ने संजीदगी से मांग को माना और विधानसभा से इसे पारित किया। भाजपा इसका विरोध सामने आकर नहीं कर रही थी तो संवैधानिक संस्थाओं के जरिए विरोध करवाया जा रहा है। राज्यपाल उसी अनुरूप काम कर रहे हैं, जो गलत है।

झामुमो ने लगाया जनभावना आहत करने का आरोप
सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राजभवन से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता संबंधित विधेयक राज्य सरकार को लौटाये जाने के बाद राज्यपाल और भाजपा पर निशाना साधा है। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि विधेयक वापस किए जाने से हर झारखंडी आहत हुआ है।

सरकार के खिलाफ सक्रिय हुई झारखंड विरोधी शक्ति! 
सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल को संविधान का अनुच्छेद-31बी का अनुपालन करते हुए विधानसभा से पारित इस विधेयक को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद को प्रेषित करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मूलवासी-आदिवासी की भावना से जुड़े विधेयक लाने पर राज्य सरकार के खिलाफ झारखंड विरोधी शक्तियां (भाजपा) सक्रिय हो गई हैं। लेकिन, हेमंत सरकार पीछे हटने वाली नहीं है, इस विधेयक को दोबारा राज्यपाल को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि विधेयक विधानसभा से पक्ष और विपक्ष की सहमति से पारित हुआ है जिसके संरक्षक राज्यपाल हैं। पांचवीं अनुसूची में आने वाले झारखंड की रक्षा अगर राजभवन नहीं करेगा, तो कौन करेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के विषय में राज्य सरकार कानूनी जानकारों से विमर्श करेगी। दोबारा राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। दूसरी ओर एक राजनीतिक दल होने के नाते झामुमो जनता को भाजपा के षड्यंत्रों के बारे में बताएगी।

सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल के तर्क के अनुसार, सरकार के पास अनुच्छेद 16 (3) का कोई अधिकार नहीं है। यह अधिकार संसद को है, जबकि झारखंड सरकार ने अनुच्छेद 31 (बी) का पालन करते हुए ही विधेयक के प्रावधानों को 9वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए राज्यपाल को भेजा था। उन्होंने भाजपा को भी चुनौती दी कि खतियान के खिलाफ खुलकर सामने आए।
 

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