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झारखंड: नेता-अफसरों की हत्या का साजिश रचता था नक्सली प्रशांत बोस, शादी करके संयुक्त बिहार में बनाई पैठ

भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस पांच दशक तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा। संयुक्त बिहार में लालखंड के दौर में विनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन के महाजनी आंदोलन...

झारखंड: नेता-अफसरों की हत्या का साजिश रचता था नक्सली प्रशांत बोस, शादी करके संयुक्त बिहार में बनाई पैठ
मुख्य संवाददाता,रांचीSat, 13 Nov 2021 08:29 AM

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भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस पांच दशक तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा। संयुक्त बिहार में लालखंड के दौर में विनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन के महाजनी आंदोलन के वक्त पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था। इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा। यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी।

सुनील महतो, रमेश सिंह मुंडा जैसे चर्चित नेताओं की हत्या में वांटेड 

साल 2007 में जमशेदपुर के तत्कालीन झामुमो सांसद सुनील महतो की हत्या प्रशांत बोस के इशारे पर की गई थी। इसके बाद 9 जुलाई 2008 को बुंडू में तत्कालीन विधायक व पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या प्रशांत बोस ने करायी थी। इस हत्याकांड को कुंदन पाहन के दस्ते ने प्रशांत बोस के इशारे पर अंजाम दिया था। हत्याकांड में एनआईए को प्रशांत बोस की तलाश थी। इस केस में एनआईए ने प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी समेत अन्य उग्रवादियों को फरार बताते हुए चार्जशीट किया था। जमशेदपुर के गुड़ाबंधा में नागरिक सुरक्षा समिति के एक दर्जन से अधिक सदस्यों की हत्या, चाईबासा के बलिवा के चर्चित कांड में पुलिसकर्मियों के सबसे बड़े नरसंहार में प्रशांत बोस की संलिप्तता थी।

बंगाल से आकर कैसे बनायी जमीन 

पुलिसिया सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में नक्सलवाड़ी आंदोलन के बाद झारखंड में महाजनों के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू हो गया था। इसी दौर में गिरिडीह में प्रशांत बोस आया, इस दौरान मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल जैसे बड़े नक्सली का साथ प्रशांत बोस को मिला। 70 से 90 के दशक तक प्रशांत बोस इसी इलाके में रहा। इसी दौरान आंदोलन से ही जुड़ी धनबाद के टुंडी की शीला मरांडी से प्रशांत बोस ने शादी भी की। इसके बाद बिहार में मध्य जोन में गया-औरंगाबाद इलाके में प्रशांत बोस की सक्रियता रही। 90 के दशक के अंत में ही चाईबासा के सारंडा, जमशेदपुर के गुड़ाबंधा, ओडिशा के मयूरभंज जैसे इलाकों में भी प्रशांत बोस ने संगठन को खड़ा किया।

20 साल में माओवादियों को सबसे बड़ा झटका, इस रैंक में न कोई पकड़ा गया था न मारा गया

देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस व शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है। प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था। साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर था। साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी, इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था। छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों का प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था। इसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था। तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनायी गई थी।

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