झारखंड में मुगल बादशाह जहांगीर की आत्मकथा के आधार पर हीरे की खोज होगी। इस आत्मकथा का नाम जहांगीरनामा है। इसे तुज्के जहांगीरी भी कहते हैं। भारत सरकार के खान मंत्रालय ने इसमें लिखे तथ्यों के आधार पर हीरे की खान खोजने की योजना बनाई है। इसके लिए भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण(जीएसआई) को परियोजना तैयार करने के लिए कहा है।
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण जहांगीरनामा में संकेत किए स्थानों को चिह्नित करने की कोशिश कर रहा है। इस आधार पर लगभग 1500 वर्ग किलोमीटर के इलाके में हीरे की खान खोजने की परियोजना तैयार की जा रही है। यह पड़ताल गुमला, सिमेडगा, लोहरदगा और लातेहार जिलों के बड़े हिस्से में की जाएगी। जहांगीरनामा में सूचित किए गए नदियों के कछार वाले इलाकों पर खोज को खास तौर फोकस किया जाएगा।
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भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण जल्दी ही खोज परियोजना को अंतिम रूप देकर केंद्र सरकार को सौंपा देगा। वहां से मंजूरी मिलते ही इस बहुमूल्य रत्न की तलाश का काम शुरू हो जाएगा। भूतत्ववेत्ताओं को अगर इस अन्वेषण परियोजना में सफलता मिलती है तो झारखंड में यह हीरे की पहली खान होगी। इससे पहले आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हीरे की खान मिल चुकी है।
कैसे होगी खोज
खनिजों की खोज से जुड़े भूतत्ववेत्ता बताते हैं कि हीरा ज्यादातर किंबरलाइट चट्टानों में पाया जाता है। किंबरलाइट चट्टान पाइप की तरह होते हैं। इनके अंदर हीरे के कण होते हैं। इसलिए हीरे की खोज में किंबरलाइट चट्टानों की पहचान सबसे महत्वपूर्ण घटक है। इसके अलावा ग्रेफाइट चट्टानों में भी हीरे के होने की संभावना रहती है।
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क्या होगा फायदा
देश की एक तिहाई खनिज वाला प्रदेश झारखंड हीरे की खान मिलने के बाद बहुमूल्य रत्नों के मानचित्र पर सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएगा। इस प्रदेश में नए उद्योगों और आय के स्रोत पैदा होंगे।
क्या है जहांगीरनामा में
रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति शीन अख्तर ने कहा कि मुगल बादशाह जहांगीर का शासन 1605-1627 तक था। जहांगीरनामा में जगह-जगह चर्चा आती है कि बादशाह बंगाल के पश्चिम में स्थित जंगल, पहाड़ तथा नदियों के इलाके से नजराने के तौर पर आए हीरे को पेश करने के लिए कहते हैं। बादशाह के दरबारी बताते हैं कि इस इलाके की खानों से आने वाला हीरा उम्दा किस्म का है। बादशाह इन खानों पर नजर रखने का फरमान सुनाते हैं। पुस्तक के तथ्यों से तो लगता है कि वह ओड़िशा और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा वर्तमान झारखंड का इलाका रहा होगा। इनकी पहचान करने की जरूरत है।
भारतीय भूगर्भ सर्वक्षण के उप महानिदेशक जर्नादन प्रसाद ने कहा कि हमलोग फारसी विद्वानों की सहायता से जहांगीरनामा में हीरे की खान वाले वर्णित स्थानों को पहचाने की कोशिश कर रहे हैं। 1500 वर्ग किलोमीटर में खोज के लिए परियोजना तैयार की जा रही है।