अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला : जुटाई जा रही पैन, आधार और खातों की जानकारी
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू कर दी गई है। जिला कल्याण और जिला शिक्षा कार्यालय के पदाधिकारियों और कर्मचारियों से कई उपायुक्तों ने अपने स्तर से जांच की शुरुआत की है। इन कार्यालयों में...
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू कर दी गई है। जिला कल्याण और जिला शिक्षा कार्यालय के पदाधिकारियों और कर्मचारियों से कई उपायुक्तों ने अपने स्तर से जांच की शुरुआत की है। इन कार्यालयों में कार्यरत पदाधिकारी से लेकर कर्मी तक की पूरी जानकारी निकाली जा रही है।
जिला कल्याण और शिक्षा कार्यालय में पदस्थापित सभी पदाधिकारी कंप्यूटर ऑपरेटर, अनुसेवक, संविदा कर्मी, चालक की व्यक्तिगत जानकारी निकाली जा रही है। इसमें उनके नाम, पदनाम, वर्तमान पता, स्थाई पता, बैंक खाता संख्या लिए जा रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि छात्रवृत्ति की राशि आने के समय किसी प्रकार की अनियमितता इनके बैंक खाते में तो नहीं हुई। साथ ही, इन पदाधिकारियों और कर्मियों के आश्रितों से संबंधित भी पूरी जानकारी ली जा रही है। इसमें माता-पिता, पत्नी और बच्चे जैसे आश्रितों के नाम, कर्मचारी से उनका संबंध, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर, बैंक खाता संख्या भी शपथ पत्र के माध्यम से लिए जा रहे हैं। इसके जरिए यह खंगाला जाएगा कि इनके बैंक खातों में किसी प्रकार की अनैतिक रूप से लेनदेन तो नहीं हुआ है। इन जानकारियों के साथ कर्मचारियों को शपथ पत्र भी देना होगा कि उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई इन जानकारियां पूरी तरह सही है और इसमें किसी प्रकार की कोई गलती नहीं है। जिला कल्याण और शिक्षा कार्यालय के अधिकारियों व कर्मियों या उनके आश्रितों के बैंक खाते में अनावश्यक लेनदेन की बात सामने आने पर इसके बारे में पूछताछ की जा सकती है।
जिला स्तर पर वेरिफिकेशन के बाद मिलती है छात्रवृत्ति : अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति जिला स्तर से स्कूल या संस्थान के वेरिफिकेशन किए जाने और उसे सही ठहराए जाने के बाद ही मिलती है। ऐसे में कई जिलों में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की हुई गड़बड़ी में वेरिफिकेशन करने वाले पदाधिकारी और कर्मचारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। इसमें उनकी पूरी जिम्मेदारी बनती दिख रही है। हो सकता है वेरिफिकेशन हुआ ही नहीं या फिर नाम मात्र की खानापूर्ति की गई, जिसकी वजह से छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम दिया गया। इस जांच में वेरिफिकेशन करने वाले संबंधित अधिकारियों से शो कॉज भी किया जा सकता है।
केंद्र ने भी लिया है संज्ञान : अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले मामले में केंद्र सरकार ने भी संज्ञान लिया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और सचिव पीके दास ने झारखंड सरकार से जांच कराने के लिए कहा है। वहीं, राज्य सरकार इस पूरे मामले की एसीबी से जांच कराने की तैयारी कर रही है। छात्रवृत्ति घोटाला में मुख्य रूप से स्कूल में जो छात्र पढ़ भी नहीं रहे हैं उनके नाम पर छात्रवृत्ति की राशि निकाली गई है। जिनके बच्चों और नाती-पोतों के पढ़ने की उम्र है, उनके नाम तक छात्रवृत्ति दी गई है। साथ ही, जिन बच्चों को राशि मिली वह भी तय राशि से आधी ही मिली।