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हाईकोर्ट के पास पत्‍थलगड़ी करने पहुंचे लोगों को पुलिस ने हटाया, कुड़ुख नेशनल कौंसिल ने दी बड़े प्रदर्शन की चेतावनी

झारखंड हाईकोर्ट के पास सोमवार को करीब 200 लोग पत्थलगड़ी करने पहुंच गए। उनके पास शिलालेख भी था जिस पर भारत का राजपत्र अंकित था। कुड़ुख नेशनल कौंसिल के बैनर तले कई जिले के लोग इसमें शामिल थे। अति...

हाईकोर्ट के पास पत्‍थलगड़ी करने पहुंचे लोगों को पुलिस ने हटाया, कुड़ुख नेशनल कौंसिल ने दी बड़े प्रदर्शन की चेतावनी
प्रमुख संंवाददाता ,रांची Tue, 23 Feb 2021 09:55 AM
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झारखंड हाईकोर्ट के पास सोमवार को करीब 200 लोग पत्थलगड़ी करने पहुंच गए। उनके पास शिलालेख भी था जिस पर भारत का राजपत्र अंकित था। कुड़ुख नेशनल कौंसिल के बैनर तले कई जिले के लोग इसमें शामिल थे। अति सुरक्षित क्षेत्र में पड़ने वाले हाईकोर्ट के पास भीड़ की सूचना मिलते ही पुलिस हैरान हो गयी और वरीय अधिकारियों के साथ पांच थाने की पुलिस पहुंची। पुलिस ने लोगों को समझा कर वापस किया। पत्थलगड़ी समर्थकों का कहना था कि पूरे राज्य की शासन प्रणाली आदिवासियों के हाथ में होनी चाहिए।

सोमवार की दोपहर करीब एक बजे भीड़ हाईकोर्ट के गेट नंबर एक के पास जमा हो गयी और वहां पत्थलगड़ी की तैयारी की जाने लगी। पुलिस लोगों को रोकने का प्रयास कर रही थी, लेकिन लोग मान नहीं रहे थे। इसके बाद करीब आधे घंटे तक पुलिस को समझाते रही। बाद में ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग, सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार सहित अन्य अधिकारी पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर शांत किया।

कौंसिल के धनेश्वर टोप्पो का कहना था कि आदिवासियों को संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी प्रशासन और नियंत्रण का अधिकार राष्ट्रपति द्वारा दिया गया है। साथ में संविधान का आदेश-229 भी है, जो प्रधानमंत्री, लोकसभा, विधानसभा, सुप्रीम कोर्ट और राज्यपाल से भी बड़ा अधिकार क्षेत्र है। इसे काटने की क्षमता विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को भी नहीं है। पांचवीं और छठी अनुसूची पैरा 6 के उप पैरा 2 द्वारा के तहत आदिवासियों के अधिकार को यहां के सरकार और अधिकारी लागू नहीं होने देना चाहते हैं। यही वजह है कि यहां के आदिवासी दबे कुचले जी रहे हैं। लगातार शोषण के शिकार हो रहे हैं। पांचवीं और छठी अनुसूची के तहत झारखंड के आदिवासियों पर कोई केस मुकदमा लागू नहीं होता और इनका कानून भी अलग है।

हजारों की भीड़ लाने की धमकी
पत्थलगड़ी करने पहुंचे लोगों ने पुलिस-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा अभी रोक लो, लेकिन जब हजारों की भीड़ आएगी तब तो पत्थलगड़ी से नहीं रोक पाओगे। पुलिस-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि आदिवासियों का शोषण करना बंद करें। वरना आंदोलन कर सभी अनुसूचित इलाके में पत्थलगड़ी किया जाएगा।

आज राज्यपाल से करेंगे मुलाकात
कौंसिल के सदस्यों का कहना था कि संविधान प्रदत्त अधिकारों को लागू करने के मकसद से हमलोग हाईकोर्ट के सामने संविधान की पत्थलगड़ी करने पहुंचे थे। प्रशासन के मना करने पर हमलोग शांतिपूर्वक वापस आ गए। अब आदिवासी क्षेत्रों में पूरी शासन प्रणाली को आदिवासियों के हाथ में करना है। आदिवासियों का मूलभूत अधिकार भारत में छोड़ कर विश्व के सभी देशों में लागू है। इस मांग को लेकर कौंसिल के लोग मंगलवार को राज्यपाल से भी मिलेंगे। कहा गया कि यदि राज्यपाल से मिलने के बाद भी बात नहीं बनी तो जल्द ही 50 हजार लोग राजधानी में आकर प्रदर्शन करेंगे।

कुछ लोग बिना किसी सूचना के हाईकोर्ट के समीप शिलापट्ट लगाने पहुंच गए थे, जिसे तत्काल रोक दिया गया। उनलोगों से कहा गया है कि बिना राज्यपाल की अनुमति लिए उक्त स्थल पर शिलापट्ट नहीं लगाया जा सकता है।सौरभ, सिटी एसपी, रांची
 

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