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खुलासा: झारखंड में माओवादी लेवी के धन से संवार रहे अपना भविष्य

झारखंड में माओवादी लेवी के धन से अपना भविष्य संवार रहे हैं। जमीन और फ्लैट में निवेश करने वाले माओवादी नेताओं ने अब म्युचुअल फंड में भी निवेश करना शुरू कर दिया है। नोटबंदी के बाद पुराने नोट बरामदगी के...

खुलासा: झारखंड में माओवादी लेवी के धन से संवार रहे अपना भविष्य
मुख्य संवाददाता,रांची Sat, 09 Mar 2019 04:45 AM
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झारखंड में माओवादी लेवी के धन से अपना भविष्य संवार रहे हैं। जमीन और फ्लैट में निवेश करने वाले माओवादी नेताओं ने अब म्युचुअल फंड में भी निवेश करना शुरू कर दिया है। नोटबंदी के बाद पुराने नोट बरामदगी के एक मामले में जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है।

झारखंड में 25 लाख के इनामी रहे माओवादी नेता बालकेश्वर उरांव उर्फ बड़ा विकास ने 26 लाख 50 हजार व 15 लाख के ईनामी छोटू खेरवार ने 1.80 लाख रुपये का निवेश म्युचुअल फंड में किया है। एनआईए डीआईजी केबी वंदना ने एक सप्ताह पहले इस संबंध में एक जांच रिपोर्ट झारखंड पुलिस मुख्यालय और आयकर विभाग के निदेशक, अनुसंधान को भेजी है। 

म्यूचुअल फंड में निवेश का विरोध करने वाले माओवादियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा इन कंपनियों में निवेश का यह पहला मामला सामने आया है। आशंका है कि राज्य के एक दर्जन से अधिक बड़े माओवादियों ने म्युचुअल फंड में निवेश किया है। याद रहे कि सुधाकरण, मिथिलेश, अजय महतो, टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू, कोहराम, सुभान मियां , पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप समेत दो दर्जन से अधिक उग्रवादियों के रीयल स्टेट, जमीन और कंपनियों में निवेश के खुलासे हो चुके हैं। एनआईए झारखंड में कोल परियोजनाओं से टीपीसी की लेवी के पैसे से टेरर फंडिंग का खुलासा कर चुकी है। 

क्या है मामला
21 दिसंबर 2016 को लातेहार की बालूमाथ पुलिस ने एक बैंक के मैनेजर चंदन कुमार को तीन लाख रुपये के पुराने नोट के साथ गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आई थी कि चंदन कुमार ने माओवादी कमांडर छोटू खेरवार की पत्नी ललिता के खाते में 64 किश्तों में 15 लाख रुपये जमा कराए। बालूमाथ पुलिस ने चंदन कुमार, छोटू खेरवार, खेरवार के करीबी संतोष उरांव, उसकी पत्नी ललिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। एनआईए ने 19 जनवरी 2018 को केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। 

कहां किया पैसे का का निवेश
एनआईए ने जांच के दौरान पाया कि माओवादियों ने दो कंपनियों के म्युचुअल फंड में निवेश किया है। इन कंपनियों के दफ्तर रांची, बेड़ो, कोलकाता और इलाहाबाद में थे। एनआईए की रिपोर्ट में जिक्र है कि माओवादी बड़ा विकास ने इन कंपनियों में 26.50 लाख और छोटू खेरवार ने 1.80 लाख का निवेश किया है। बड़ा विकास ने साल 2016 में पुलिस के समक्ष समर्पण भी कर दिया था। इसके बाद से वह जेल में बंद है। 

कंपनी निदेशकों की गतिविधियां भी संदिग्ध
एनआईए को आशंका है कि कई अन्य माओवादी व उनके रिश्तेदार म्युचुअल फंड कंपनियों में निवेश करते रहे हैं। जिन कंपनियों में माओवादियों के निवेश का खुलासा हुआ है, उनका रजिस्ट्रेशन आरओसी कानपुर से साल 2014 में कराया गया था। एनआईए ने जांच में यह पाया कि इन कंपनियों के निदेशकों की गतिविधियां भी संदिग्ध हैं। एनआईए ने राज्य पुलिस को इन म्युचुअल फंड कंपनियों पर कार्रवाई के लिए भी लिखा है। 

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