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चार्जशीटेड हैं तो रिटायरमेंट के बाद भी मेजर पेनाल्टी संभव

यदि चार्जशीट मिली है तो रिटायरमेंट के बाद भी ग्रेच्युटी पर रोक, मेजर पेनाल्टी सहित अन्य दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। 27 मई को ईसीएल के राजमहल कोयला क्षेत्र के पूर्व सीजीएम आरएन चौबे के मामले में...

चार्जशीटेड हैं तो रिटायरमेंट के बाद भी मेजर पेनाल्टी संभव
धनबाद। विशेष संवाददाताFri, 29 May 2020 01:24 PM
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यदि चार्जशीट मिली है तो रिटायरमेंट के बाद भी ग्रेच्युटी पर रोक, मेजर पेनाल्टी सहित अन्य दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। 27 मई को ईसीएल के राजमहल कोयला क्षेत्र के पूर्व सीजीएम आरएन चौबे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया है। चौबे 2010 से ग्रेच्युटी भुगतान की लड़ाई लड़ रहे हैं और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन्हें बड़ा झटका लगा है।
चौबे राजमहल कोयला क्षेत्र में सीजीएम के पद पर थे। 2006 में कोयला शॉर्टेज के मामले में उनके खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। चौबे सहित अन्य आरोपियों पर कोयला शॉर्टेज मामले में कंपनी को 34 करोड़ के नुकसान का आरोप था। इस मामले में वह सस्पेंड भी किए गए थे। बाद में उनका तबादला महानदी कोलफील्ड लिमिटेड में कर दिया गया। वहीं से 2010 में वे रिटायर हुए। रिटायरमेंट पर उनके ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने रिजनल लेबर कमिश्नर राउरकेला के यहां अपील की। आरएलसी कोर्ट से राहत नहीं मिली तो हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी भुगतान के पक्ष में फैसला दिया। महानदी कोलफील्ड लिमिटेड प्रबंधन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने आरएन चौबे के खिलाफ फैसला दिया। फैसले में कहा गया कि यदि सेवाकाल में अधिकारी चार्जशीटेड है तो रिटायरमेंट के बाद भी संबंधित मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। ग्रेच्युटी भुगतान पर रोक के साथ-साथ कोयला कंपनी अपनी सीडीए रूल के हिसाब से कार्रवाई कर सकती है।
जसवंत गिल मामले का हवाला देते हुए आरएन चौबे ग्रेच्युटी के मुद्दे पर कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कोर्ट से अपील की थी कि उनके खिलाफ कंपनी अब कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। गिल बीसीसीएल के लोदना एरिया में जीएम थे एवं कोयला शॉर्टेज के एक मामले में आरोपी थे। कोर्ट के निर्णय के बाद गिल को ग्रेच्युटी का भुगतान किया गया था।

 

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