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पद्म सम्मान: झारखंड के मधु मंसूरी और शशधर को पद्मश्री, राज्यपाल ने दी बधाई

झारखंड की दो विख्यात हस्तियों को सोमवार को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रांची के नागपुरी गीतकार, गायक सह झारखंड आंदोलनकारी मधु...

पद्म सम्मान: झारखंड के मधु मंसूरी और शशधर को पद्मश्री, राज्यपाल ने दी बधाई
हीटी,रांची सरायकेलाTue, 09 Nov 2021 07:21 AM
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झारखंड की दो विख्यात हस्तियों को सोमवार को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रांची के नागपुरी गीतकार, गायक सह झारखंड आंदोलनकारी मधु मंसूरी हंसमुख और सरायकेला खरसावां निवासी छऊ गुरु शशधर आचार्य को इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा।

इन दोनों को वर्ष 2020-21 के लिए इस सम्मान के लिए चुना गया था। यह पुरस्कार देने की घोषणा 2020 में की गयी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण पुरस्कार समारोह आयोजित नहीं किया गया था। नागपुरी गीतों के राजकुमार कहे जाने वाले मधु मंसूरी हंसमुख अपने गीत और मधुर आवाज से देश-विदेश में झारखंड को पहचान दिला चुके हैं।

वहीं छऊ गुरु शशधर आचार्य को बिहार, बंगाल, झारखंड और ओडिशा समेत देश-विदेश में छऊ नृत्य को प्रसिद्धि दिलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए ये सम्मान मिला है

एक सम्मान ने कला की ओर से प्ररित किया 

चार सितंबर 1948 को रातू के सिमलिया मे जन्मे मधु मंसूरी हंसमुख के गीत जल, जंगल, जमीन बचाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक सर्वाधिक गाए जाते थे। मंसूरी की सुरीली आवाज का जादू केवल झारखंड ही नहीं, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के इलाकों पर भी चलता है। मधु मंसूरी ने बताया कि 1956 में आठ साल की उम्र में उन्होंने पहली बार स्टेज पर गीत गाया था। रातू ब्लॉक में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने यह प्रस्तुति दी थी। इसके लिए रातू के अंतिम राजा चिंतामणि शरण नाथ शाहदेव ने उन्हें सम्माति किया। मंसूरी कहते हैं कि इस सम्मान ने उनकी रुचि कला के प्रति ऐसी जगाई कि वे बस इसी में खोकर रह गए। उन्होंने बताया कि पिता भी अच्छे गायक थे, इसलिए संगीत की पहली प्रेरणा घर से मिली थी। उन्होंने कहा कि मेरे गांव के घर में अखड़ा था, जो झारखंड की संस्कृति की पहचान है। यहां गावंवाले कार्यक्रम करते थे, जिससे संगीत के प्रति दिलचस्पी बढ़ती गई। उन्होंने 2007 में मेकॉन से वीआरएस लिया था। सिमलिया में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। उनकी जीवन इतनी सादगी भरा है कि चार बेटों, तीन बेटियों और नाती-पोतों से भरा परिवार एस्बेस्टस के मकान में रहता है। उन्होंने पद्मश्री डॉ रामदलाय मुंडा और पद्मश्री मुकुंद नायक के साथ कई देश-विदेश में प्रस्तुति दी है।

छऊ से पद्मश्री पाने वाले शशधर सातवें गुरु

सरायकेला छऊ से पद्मश्री पाने वाले शशधर आचार्य सातवें गुरू हैं। इससे पूर्व सरायकेला के छऊ गुरु सुधेंद्र नारायण सिंहदेव, केदारनाथ साहू, श्यामाचरण पति, मंगलाचरण पति,मकरध्वज दारोघा व पंडित गोपाल प्रसाद दूबे को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। शशधर आचार्य 50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में छऊ की ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही पुणे के नेशनल स्कूल ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में क्लास लेते हैं।

छऊ को यूनेस्को से मान्यता दिलाने में शशधर का अहम रोल

यूनेस्को ने छऊ नृत्य को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है। इसमें शशधर आचार्य का अहम योगदान है। उन्होंने 50 से अधिक देशों में छऊ परफॉर्म कर झारखंड को विश्व मंच पर स्थापित किया। पद्मश्री सम्मान ग्रहण करने के बाद शशधर आचार्य ने इसे गुरुओं को समर्पित किया। वे अपने पांच गुरु पिता लिंगराज आचार्य, पद्मश्री सुधेंद्र नारायण सिंहदेव, पद्मश्री केदारनाथ साहू, गुरु विक्रम कुंभकार व गुरु वनबिहारी पट्टनायक को इसका श्रेय दिया है। शशधर ने कहा कि यह सम्मान नई पीढ़ी को छऊ में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा और प्रेरणा भी देगा है। उनका कहना है कि अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है। इस नृत्य को सबसे ऊंची मंजिल तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास करना होगा। इस सम्मान के बाद दायित्व बढ़ गया है।

शशधर आचार्य का जन्म वर्ष 1961 में सरायकेला में हुआ था। पूर्वज ओडिशा के रहने वाले थे। 16वीं शताब्दी में सिंहभूम के राजा उनके पूर्वज पुरुषोत्तम आचार्य को सरायकेला लाए थे। वे अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं। वे पांच वर्ष से ही छऊ नृत्य से जुड़ गए थे। 1990 के दशक की शुरुआत में उन्होंने गुरुकुल नृत्य अकादमी और फिर मुंबई के पृथ्वी थिएटर में काम करने के लिए सरायकेला छोड़ दिया था। वर्तमान में आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा के नाम से सरायकेला और दिल्ली में उनकी संस्था चलती है।

राज्यपाल ने मधु मंसूरी और शशधर आचार्य को दी बधाई

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड के लोक गायक मधु मंसूरी एवं छऊ नृत्य गुरु शशधर आचार्य को पद्मश्री से सम्मानित होने पर असीम बधाई व शुभकामनाएं। उनके इस सम्मान से झारखंड के लोककला व लोकगीतों एवं छऊ नृत्य को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कला व नृत्य के क्षेत्र में राज्य का मान बढ़ाया है। 

मोदी सरकार में झारखंड की कला सम्मानित: दीपक प्रकाश

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद दीपक प्रकाश ने सरायकेला निवासी छऊ गुरु शशधर आचार्य एवं रांची के नागपुरी लोक गायक एवं संस्कृति को राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने वाले मधु मंसूरी हसमुख को वर्ष 2020-21 का पद्मश्री सम्मान मिलने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड की कला-संस्कृति, गीत-संगीत से जुड़ी प्रतिभाएं आज राष्ट्रीय पटल पर लगातार सम्मानित हो रही हैं। प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम के मन में झारखंड बसता है। लगातार झारखंड की प्रतिभाओं को पद्म अलंकरण से सम्मानित किया जाना इस बात का प्रमाण है।

इसके पूर्व की यूपीए सरकारों ने झारखंड का कोई ख्याल नहीं रखा। भाजपा सरकार ने अटल जी के नेतृत्व में झारखंड बनाया और आज मोदी सरकार में राज्य के विकास के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं साथ ही साथ यहां की प्रतिभाएं भी सम्मानित हो रही हैं।

छुटनी महतो को आज मिलेगा पद्मश्री

डायन उन्मूलन को लेकर लगातार संघर्ष करने वाली छुटनी महतो को 9 नवंबर को पद्मश्री अवार्ड दिया जाएगा। डायन प्रथा जैसे अंधविश्वास के खिलाफ करीब 30 वर्षों के संघर्ष ने छुटनी देवी को यह सम्मान दिलाया। करीब 63 वर्षीय छुटनी देवी की वर्ष 1979 में सरायकेला जिले के महताइनडीह निवासी धनंजय महतो के साथ शादी हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही ससुराल के लोगों की ओर से उन्हें डायन करार देते हुए प्रताड़ित किया जाने लगा। डायन के इस आरोप ने छुटनी देवी की जिंदगी को नरक बना दिया। उन्होंने हार नहीं मानते हुए संघर्ष करना शुरू किया। वर्ष 1992 से कुप्रथा के खिलाफ जुटी अभियान में छुटनी ने करीब 150 से अधिक डायन प्रताड़ित महिला-पुरुषों को समाज में सम्मान दिलाया। पति के देहांत के बाद तीन पुत्र एवं एक पुत्री को लालन-पालन एवं शिक्षा दीक्षा दिलाने की जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए छुटनी अपनी मंजिल की ओर बढ़ती गईं।

 

 

 

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