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माओवादियों की बंदी में नहीं चले लंबी दूरी के वाहन, खनिज ढुलाई प्रभावित

एक करोड़ के इनामी माओवादी और पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और उसकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के विरोध में बुलाए गए तीन दिवसीय माओवादी बंद का पहले दिन राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में...

माओवादियों की बंदी में नहीं चले लंबी दूरी के वाहन, खनिज ढुलाई प्रभावित
रांची। हिन्दुस्तान टीमTue, 23 Nov 2021 10:43 PM

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एक करोड़ के इनामी माओवादी और पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और उसकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के विरोध में बुलाए गए तीन दिवसीय माओवादी बंद का पहले दिन राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में असर नजर आया। पलामू, लातेहार, सिमडेगा, खूंटी आदि जिले के दूर-दराज के इलाकों में बंद प्रभावी रहा। इन जिलों में लंबी दूरी के वाहन नहीं चले। लोहरदगा, गुमला और चतरा में कोयला तथा अन्य खनिजों की ढुलाई प्रभावित हुई। 

पलामू में बंदी के कारण छतरपुर और हुसैनाबाद अनुमंडल की शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानें बंद रहीं। बड़े वाहन नहीं चले। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे लातेहार के महुआडांड़ में बंद का व्यापक असर रहा। बालूमाथ में कोलियरियों से कोयला उठाव नहीं के बराबर हुआ। इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। हालांकि लातेहार जिला मुख्यायल और उसके आसपास के इलाकों में निष्प्रभावी रहा।

चतरा  जिले में कोयला उत्पादन और ढुलाई आम दिनों की तरह ही हुई। हालांकि लंबी दूरी वाली बसें नहीं चलीं। गुमला जिले में यात्री बसों और मालवाहकों का परिचालन प्रभावित हुआ। जिले के घाघरा और विशुनपुर प्रखंड में बॉक्साइट उत्खनन और ढुलाई बाधित हुई। जिले के रायडीह, चैनपुर, डुमरी, विशुनपुर व कामडारा प्रखंड में दुकाने बंद रहीं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। बंद के दौरान पुलिस गश्त तेज रही। लोहरदगा से होकर गुजरने वाली बॉक्साइट ट्रकों का परिचालन नहीं हुआ। लंबी दूरी की बसें भी नहीं चलीं। बॉक्साइट परिवहन नहीं होने से सरकार, माइंस मालिकों, ट्रक मालिकों, मजदूरों को करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

खूंटी जिले में अड़की प्रखंड पूरी तरह बंद रहा। मुरहू और रनिया प्रखंड में भी बंद का असर देखा गया। खूंटी शहर में अधिकांश दुकानें खुली हुई थीं, लेकिन लंबी दूरी के वाहन नहीं चले। कई जगह नक्सलियों ने बंद संबंधी पोस्टर-बैनर चस्पाकर दहशत फैलाने की कोशिश की। खलारी-पिपरवार कोयलांचल में कोयले का उत्पादन तो हुआ पर ढुलाई बंद रही। उत्तर भारत के बिजलीघरों को कोयला नहीं भेजा जा सका।

इससे रेलवे को करीब 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं, रांची के बुंडू में भी माओवादियों का बंद असरदार रहा। यहां वाहन नहीं चले, बाजार भी बंद रहे। बैंकों के न खुलने से किसानों-व्यवसायियों को लेनदेन में परेशानी हुई। रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा जिले में बंद का असर नहीं दिखा। पश्चिम सिंहभूम के पोड़ाहाट और बोकारो के बेरमो को छोड़कर बंद बाकी जगह बेअसर रहा।

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