Hindi Newsझारखंड न्यूज़Loksabha Election RJD vote share reduced in Jharkhand trends from last elections reasons why party faced backlash

झारखंड में RJD की किलेबंदी कमजोर, गढ़ में घटा 17 फीसदी वोट; इस वजह से पीछे रह गई लालू की पार्टी

2004 के चुनाव में अंतिम बार राजद को पलामू और चतरा दोनों सीटों पर जीत मिली। साल 2007 के पलामू उपचुनाव में भी राजद को जीत मिली। हालांकि उसके बाद से इन गढ़ों में राजद का कद घटता गया।

Abhishek Mishra हिन्दुस्तान, रांचीThu, 21 March 2024 06:25 AM
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इस बार भी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 2019 की तरह पलामू और चतरा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। एकीकृत बिहार से अब तक पलामू और चतरा की जैसी भौगोलिक-सामाजिक स्थिति और जातीय समीकरण है, उसे देखते हुए पार्टी ने यह फैसला किया है। लेकिन पिछले 21 सालों के छह आम चुनावों में इन सीटों पर राजद की किलेबंदी लगातार कमजोर हुई है।

एकीकृत बिहार में 1998 में पहली बार इन सीटों पर राजद चुनाव लड़ा। दोनों पर सीटों पर हार मिली, लेकिन वोट शेयर राष्ट्रीय जनता दल का काफी अच्छा रहा। 2004 के चुनाव में अंतिम बार राजद को पलामू और चतरा दोनों सीटों पर जीत मिली। साल 2007 के पलामू उपचुनाव में भी राजद को जीत मिली। हालांकि उसके बाद से इन गढ़ों में राजद का कद घटता गया। वोट शेयर 1998 में पलामू में 40 से 2019 में 23.1 तक पहुंच गया। चतरा में वोट प्रतिशत 38.4 से घटकर 9.1 आ गया। यानी 21 सालों में पलामू में 17 तो चतरा में 19 प्रतिशत वोट शेयर घट गया।

पिछले सालों में कई दिग्गजों ने छोड़ा राजद

राजद के कमजोर होने की स्थिति का आकलन इससे भी लगा सकते हैं कि पिछले कुछ सालों में कई दिग्गजों ने पार्टी छोड़ दी है। इससे राजद झारखंड में कमजोर हुआ। पार्टी छोड़ने वालों में अन्नपूर्णा देवी, घूरन राम जैसे नेताओं का नाम है। घूरन राम पलामू से सांसद रह चुके हैं। राजद प्रदेश अध्यक्ष रह चुकीं अन्नपूर्णा देवी कोडरमा विधानसभा का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।

बिहार से सटी सीमा का असर

● पलामू और चतरा संसदीय सीटें बिहार से बड़ी सीमा बनाती हैं। चुनाव में इसका असर दिखता है।

● एकीकृत बिहार के बाद जब अलग झारखंड राज्य बना, तो बिहार मूल की बड़ी आबादी इन दो संसदीय सीटों पर रह गई।

● झारखंड बनने के बाद भी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पलामू और चतरा में दौरा लगातार करते रहे हैं।

● राजद के कई चर्चित नेता भी इस इलाके में निरंतर सक्रिय रहे।

 

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