लॉकडाउन : घर नहीं आ सका बेटे का शव, कपड़े दफनाकर अंत्येष्टि, मां-बाप ने मोबाइल पर किया अंतिम दर्शन
इस मां-बाप की बेबसी देखिए। गुजारे के लिए चार पैसे कमाने परदेस गए जवान बेटे को बीमारी खा गई। लॉकडाउन के कारण परदेस से बेटे का शव भी गांव नहीं आ सका। गम से टूटे मां-बाप ने मोबाइल पर ही अंतिम दर्शन किये...

इस मां-बाप की बेबसी देखिए। गुजारे के लिए चार पैसे कमाने परदेस गए जवान बेटे को बीमारी खा गई। लॉकडाउन के कारण परदेस से बेटे का शव भी गांव नहीं आ सका। गम से टूटे मां-बाप ने मोबाइल पर ही अंतिम दर्शन किये और कब्र में उसके कपड़े दफनाकर अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की।
जलडेगा प्रखंड के कोनमेरला बरकीटाँगर निवासी अर्जुन बड़ाईक कुछ साल पहले कमाने के लिए गोवा गया था। करीब एक सप्ताह पहले अर्जुन की तबीयत खराब हो गई। उसे पीलिया ने जकड़ लिया। बीमारी के कारण अर्जुन गोवा से सिमडेगा अपने गांव लौटना चाहता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह संभव नहीं हो सका। इस बीच उसकी हालत खराब होने पर दोस्तों ने उसे गोवा के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जहां बीमारी से लड़ते हुए आखिर अर्जुन ने दम तोड़ दिया। बेटे की मौत की सूचना घरवालों को हुई तो उसके अंतिम दर्शन के लिए परिजन तड़प उठे। लेकिन लॉकडाउन में ना तो परिजन गोवा जा सकते थे और ना ही अर्जुन का शव गोवा से घर लाया जा सकता था। लिहाजा सोमवार को अर्जुन के दोस्तों ने प्रशासन की मौजूदगी में वहीं उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
परिजनों ने मोबाइल पर किये मृतक के अंतिम दर्शन :
अर्जुन का शव घर नहीं पहुंचा, तो माँ ने उसके दोस्तों से मोबाइल पर शव के दर्शन कराने की विनती की। इसके बाद उन्हें अर्जुन की तस्वीर भेजी गई। माता-पिता ने रोते हुए मोबाइल में ही अपने बेटे का अंतिम दर्शन किया।
अंतिम संस्कार की पूरी विधि निभाई:
माता-पिता ने उसके अंतिम संस्कार की रस्म भी पूरी की। परिजनों ने अर्जुन के नाम पर कब्र तैयार की। इसके बाद घर मे पड़े अर्जुन के कपड़े कब्र में दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया। अंत्येष्टि में रिश्तेदार तो नहीं आ पाए, लेकिन गांव के कुछ लोग जरूर शामिल हुए, जिन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अर्जुन के पिता के साथ मिलकर रस्म पूरी कराई। पूरा गांव अर्जुन की मौत के गम में डूबा है।