ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News झारखंडझारखंड : विदेश में 7000 युवाओं की नई नौकरी पर कोरोना ने लगाया ग्रहण

झारखंड : विदेश में 7000 युवाओं की नई नौकरी पर कोरोना ने लगाया ग्रहण

कोरोना वायरस ने विदेश में नौकरी पर ग्रहण लगा दिया है। छह महीनों में लगभग 7000 युवा खाड़ी देशों में नई नौकरी पाने से वंचित रह गए। जमशेदपुर से प्रतिमाह औसतन 12 सौ युवा खाड़ी देशों में नई बहाली के लिए...

झारखंड : विदेश में 7000 युवाओं की नई नौकरी पर कोरोना ने लगाया ग्रहण
संवाददता, जमशेदपुर Wed, 09 Sep 2020 12:05 PM
ऐप पर पढ़ें

कोरोना वायरस ने विदेश में नौकरी पर ग्रहण लगा दिया है। छह महीनों में लगभग 7000 युवा खाड़ी देशों में नई नौकरी पाने से वंचित रह गए। जमशेदपुर से प्रतिमाह औसतन 12 सौ युवा खाड़ी देशों में नई बहाली के लिए जाते थे, लेकिन यह काम पूरी तरह से बंद है।

इंटरव्यू और मेडिकल देने के बावजूद लगभग 2000 युवक अब भी वीजा के इंतजार में हैं। उनकी नियिुक्त अलग-अलग कंपनियों में एजेंसी के माध्यम से हो गई है। नौकरी को लेकर वे इतने सशंकित हैं कि अपने काम के बारे में किसी को बताना तक नहीं चाहते।

कई के वीजा का हुआ विस्तार
मार्च से पहले कुछलोगों की बहाली के साथ उनका तीन महीने का वीजा खाड़ी देश की कंपनियों ने जारी कर दिया था। लेकिन, लॉकडाउन और कोरोना के चलते उनके वीजा की अवधि जब खत्म होने लगी तो उसका अवधि विस्तार किया गया। हालांकि, उनकी फ्लाइट कब होगी, किसी को पता नहीं।

पासपोर्ट बनाने वाले 80 प्रतिशत घटे
कोरोना का असर पासपोर्ट बनने पर भी पड़ा है। पहले जहां शहर में प्रतिदिन औसतन 75 से 80 पासपोर्ट के आवेदन जांच के लिए आते थे, अब उसकी संख्या घटकर 10 से 12 के बीच हो गई है। यानी जब विदेशों में नौकरियां नहीं हैं तो लोग पासपोर्ट भी बनवाना नहीं चाह रहे।

अक्तूबर से उम्मीद
एक प्लेसमेट एजेंसी के संचालक मो. नदीम के अनुसार, गारंटी के साथ तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन अक्तूबर से बहाली की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। जबतक विदेश यात्रा आसान नहीं हो जाती है, तब तक थोड़ी मुश्किल कायम रहेगी।

वांट्स निकलने हो गए हैं शुरू
एक प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक जावेद अख्तर बताते हैं कि वांट्स अब भी आ रहे हैं, लेकिन वे लोग कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। नियुक्ति के लिए आवेदन तो आ जायेंगे, लेकिन इंटरव्यू, मेडिकल कैसे होगा और कब फ्लाइट होगी, यह स्पष्ट नहीं होने के चलते बहाली का कोई कार्यक्रम तय नहीं हो रहा है।

लौटने के लिए लंबी प्रक्रिया
शादी या मौत के लिए आकस्मिक छुट्टियों में आए लोगों की वापसी शुरू हुई है, लेकिन उसके लिए लबी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। कतर में काम करने वाले मो. सैफुल्लाह एक मृत्यु पर आए थे, लेकिन अब लौटने के लिए उन्हें लंबी स्वास्थ्य जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। फ्लाइट का किराया भी अधिक है।

वीजा से पहले जांच में निकले पॉजिटिव
दुबई से आए जवाहरनगर के एक व्यक्ति को एक महीने पहले ही लौटना था, लेकिन पहले फ्लाइट बंद थी। अब जब शुरू हुई तो उसने जाने के लिए जब कोरोना जांच करायी तो रिपोर्ट पहले निगेटिव, फिर बाद में पॉजिटिव निकली। इसके बाद उनका लौटना खटायी में पड़ा हुआ है।

शटडाउन का काम भी रुका
पहले खाड़ी देशों में शटडाउन का काम बोनस के रूप में जाना जाता था। शहर में किसी निजी संस्थान या फिर अपना निजी काम करने वाले, जिनके पास पासपोर्ट है, किसी कंपनी के शटडाउन होने पर उस कंपनी में आपात काल के लिए तीन महीने के लिए जाते थे। तीन महीनों में उन्हें बेहतर आमदनी होती थी। कोरोना वायरस के चलते शटडाउन में काम भी बंद है। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें