JDU को झारखंड में झटका, तीर छाप चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ पाएगी चुनाव
जनता दल यूनाइटेड को झारखंड में झटका लगा है। पार्टी झारखंड में तीर छाप चुनाव चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ सकेगी। चुनाव आयोग ने इस चुनाव चिह्न के झारखंड में उपयोग करने पर रोक लगा दी है। झामुमो के केंद्रीय...
जनता दल यूनाइटेड को झारखंड में झटका लगा है। पार्टी झारखंड में तीर छाप चुनाव चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ सकेगी। चुनाव आयोग ने इस चुनाव चिह्न के झारखंड में उपयोग करने पर रोक लगा दी है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने संवादादाता सम्मेलन में यह दावा किया है।
सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो ने झारखंड में जदयू के तीर छाप चुनाव चिह्न के उपयोग करने पर पाबंदी लगाने की मांग भारत निर्वाचन आयोग से की थी। इसका कारण यह था कि झामुमो का चुनाव चिह्न तीर-धनुष भी इससे मिलता-जुलता है। इससे आदिवासी मतदाता भ्रम में आ सकते थे। लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग ने बिहार में भी इसी आधार पर झामुमो के तीर-धनुष चुनाव चिह्न के उपयोग करने पर रोक लगा दी थी। जदयू ने इसके लिए अपील की थी।
भाजपा की साजिश हो गई विफल
सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि जदयू को विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ाकर आदिवासी मतदाताओं को भरमाने की भाजपा की योजना विफल हो गई है। झारखंड की जनता भाजपा सरकार से खफा है। चुनाव में इस आक्रोश की मार से बचने के लिए भाजपा तरह-तरह के खेल खेल रही है। जदयू के चुनाव चिह्न के जरिए इसी तरह की योजना थी।
19 अक्टूबर को भाजपा सरकार की ताबूत में अंतिम कील
सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि 19 अक्टूबर को मोरहाबादी मैदान में होने वाली झामुमो की रैली में भाजपा सरकार की ताबूत में अंतिम कील ठोक दी जाएगी। रघुवर सरकार से खफा जनता की भीड़ उस दिन देखने को मिलेगी। एक सवाल के जवाब में सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा नेताओं का संतालपरगना में फोकस वहां की जमीन छीनकर गौतम अडाणी को देने के लिए है। सरकार के अगले निशाने पर मुंडा खूंटखट्टी एरिया की जमीन है। सोने की खानों के लिए सरकार इस इलाके की जमीन भी छीनेगी।