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कभी जहां सुपरिटेंडेंट थे, उसी जेल में कैदी बने IAS अधिकारी; बेचैनी में कटी रात

बतौर अधीक्षक (सुपरिटेंडेंट) वे नवम्बर 2009 से अक्टूबर 10 तक मंडल कारा के प्रभार में भी रहे हैं। लोगों में चर्चा है कि जिस जेल में कभी उनका आदेश चलता था, उसी जेल में आज वे एक बंदी के रूप में हैं।

कभी जहां सुपरिटेंडेंट थे, उसी जेल में कैदी बने IAS अधिकारी; बेचैनी में कटी रात
Suraj Thakurअभिजीत राय,साहिबगंजThu, 18 May 2023 09:16 AM
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अनिल कुमार यहां करीब तीन साल तक बतौर कार्यपालक दंडाधिकारी पदस्थापित रहे। इस दौरान वे जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से लेकर कई अन्य पदों पर रहे हैं। बतौर अधीक्षक (सुपरिटेंडेंट) वे नवम्बर 2009 से अक्टूबर 10 तक मंडल कारा के प्रभार में भी रहे हैं। लोगों में चर्चा है कि जिस जेल में कभी उनका आदेश चलता था, उसी जेल में आज वे एक बंदी के रूप में हैं। दरअसल, आइएएस अनिल कुमार की पहली रात यहां मंडल कारा में बेचैनी में कटी। उन्हें सुरक्षा के मद्देनजर तीन नम्बर सेल में रखा गया है। मंगलवार को यहां के सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण के बाद उन्हें दोपहर को न्यायिक हिरासत में मंडल कारा पहुंचाया गया। 

जेल के तीन नंबर में भेजे गए आईएएस अनिल
जेल में नए बंदी के लिए जो भी औपचारिकताएं हैं, पूरा कराने के बाद अनिल कुमार को सीधे जेल के तीन नम्बर सेल में रहने के लिए भेज दिया गया। सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें कैदी वार्ड में रखा गया है। मंडल कारा में कुल दस सेल है। दो सेल में पहले से प्रकाशचंद्र यादव व अशोक यादव हैं। जेल सूत्रों ने बताया कि आइएएस अनिल को डायबिटिज की शिकायत है। उन्हें इन्सुलिन लेनी पड़ती है। लिहाजा उन्होंने जेल प्रशासन से भोजन में चावल ,आलू आदि नहीं देने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर रात को भोजन में उन्हें रोटी व भिंडी की सब्जी दी गई। अनमने ढंग से डेढ़ रोटी किसी तरह खाने के बाद शेष भोजन थाली में ही छोड़ दिए। जेल में शाम छह से सात बजे के बीच सारे कैदी भोजन कर अपने-अपने वार्ड में सो जाते हैं।

नींद नहीं आई और बेचैनी में कटी आईएएस की रात
अनिल कुमार काफी देरतक अपने सेल में कभी बैठकर तो आधे लेटकर कुछ सोचते रहे। रात पौने नौ बजे सेल की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात एक कर्मी ने उनसे जब काफी रात हो जाने की वजह से सो जाने के लिए कहा तो जवाब था ...क्या करें, नींद नहीं आ रही है! इसबीच रात गहराने लगा और धीरे-धीरे वे अपने सेल में सोने की कोशिश करने लगे।

इस मामले में आईएएस अनिल को जाना पड़ा जेल
तत्कालीन डीसी ने लिपिक दिलीप पांडेय के नियुक्ति संबंधी मामले की जांच तत्कालीन पंचायती राज पदाधिकारी अनिल कुमार को दिया था। जब यहां के एक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार के तहत इस मामले में आवश्यक जानकारी मांगी तो पता चला कि दिलीप पांडेय की नियुक्ति संबंधी फाइल डीइओ ऑफिस में नहीं मिली। सूचना नहीं मिलने पर मामला राज्य सूचना आयोग में गया। आयोग के निर्देश पर तत्कालीन डीईओ भेलेरियन तिर्की ने तत्कालीन डीईओ सुशील कुमार राय व दिलीप पांडेय समेत पांच लोगों पर केस दर्ज कराया। पुलिस के अनुसंधान में डीपीआरओ अनिल कुमार व आरईओ सतीशचंद्र सिंकू का नाम बाद में शामिल किया गया।

आइएएस अनिल कुमार को डायबिटिज की शिकायत रहने एवं इन्सुलिन लेने की वजह से जेल प्रशासन ने जेल के डॉक्टर से उनके नियमित भोजन (डायट)के बारे में सलाह मांगी है। जेल प्रशासन ने उनके हेल्थ चेकअप की भी रिपोर्ट मांगी है।

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