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हिन्दुस्तान ने झारखंड के खेल और खिलाड़ियों के मुद्दों को उठाया, अब सरकार की बारी 

हिन्दुस्तान में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेने के बाद  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में नए सिरे से खेल नीति बनाने का कम तो चल ही रहा है। हम इससे भी आगे की सोच रहे हैं। हम चाहते हैं...

हिन्दुस्तान ने झारखंड के खेल और खिलाड़ियों के मुद्दों को उठाया, अब सरकार की बारी 
रांची संवाददाताFri, 19 Jun 2020 05:09 PM
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हिन्दुस्तान में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेने के बाद  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में नए सिरे से खेल नीति बनाने का कम तो चल ही रहा है। हम इससे भी आगे की सोच रहे हैं। हम चाहते हैं कि राज्य के खिलाड़ियों की मैपिंग करें, ताकि हमें अंदाजा होगा कि हम कैसे खेल के क्षत्रे में आगे बढ़ें। इसका अलावा ओलंपिक को लेकर हम मिशन मोड पर आना चाहते हैं। यानी ओलंपिक में झारखंड की उपस्थिति हो, ऐसा महत्वाकांक्षी योजना झारखंड बनाना चाहता है।

 खिलाड़ियों के रोजगार के प्रति सीएम भी गंभीर हैं। इसके अलावा खिलाड़ियों को कोचिंग आदि की सुविधाओं को लेकर भी उनकी सोच है। खिलाड़ियों की क्षमता और उपलब्धि को वह इसके लिए आधार बनाना चाहते हैं। बातचीत  के दौरान सीएम ने कहा कि पुरानी खेल नीति में दिए गए दो प्रतिशत आरक्षण (सीधी नियुक्ति) की भी समीक्षा की जा रही है। जहां तक खिलाड़ियों को ट्रेनिंग की बात है, तो वह उच्चस्तर की हो, इसे सुनिश्चित किया जाएगा। 

खिलाड़ियों के कल्याण की योजना बना रही सरकार : झारखंड सरकार के खेल विभाग के निदेशक अनिल कुमार सिंह ने कहा कि सरकार खेल विकास के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राज्य की खेल नीति का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इसे और  सशक्त बनाने के लिए राज्य के खेल संघों और स्टेक होल्डर से सुझाव मांगे जा रहे हैं। यह खेलनीति खिलाड़ियों को हर तरह से सुविधा प्रदान करनेवाली नीति होगी। इसमें उनके अभ्यास, सम्मान राशि से लेकर नौकरी उल्लेखित होगी। खेल निदेशक ने कहा कि मेडल विजेताओं के लिए स्वरोजगार के लिए भी मदद करने की योजना बनाई जा रही है।  सभी को नौकरी दे पाना संभव नहीं है, इसलिए खिलाड़ियों को योग्यतानुसार स्वरोजगार के लिए एक तय राशि या जमीन दी जाएगी। 

निदेशक ने बताया कि झारखंड के पूर्व खिलाड़ियों को पेंशन देने की योजना भी बनाई गई है।  इसके लिए राज्य के खेल संघों से भी खिलाड़ियों की सूची मांगी गई है, ताकि जरूरतमंद खिलाड़ियों का एक डाटाबेस तैयार हो सके। जिला खेल पदाधिकारियों के सहयोग से खिलाड़ियों को आर्थिक मदद पहुंचाने की योजना है। इसके अलावा भी कई योजनाएं पाइपलाइन में हैं।

रांची में भारतीय टीम का कैंप लगाने की तैयारी : अंडर 17 वर्ल्ड कप फुटबॉल टीम के कैंप में शामिल झारखंड की महिला फुटबॉलरों की परेशानी की खबर हिन्दुस्तान में प्रकाशित होने के बाद झारखंड सरकार ने पूरी भारतीय टीम का कैंप रांची में लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव भारतीय फुटबॉल फेडरेशन को भेजा गया है। फेडरेशन से इस मामले में तकनीकी सहयोग मांगा गया है। इसके लिए एक करोड़ का बजट तय किया गया है। कैंप के दौरान खिलाड़ियों को मानक डाइट के साथ प्रतिदिन 175 रुपए का स्टाइपेंड देने का भी फैसला किया है। कैंप में सुधा अंकिता तिर्की, सुमति कुमारी, पूर्णिमा कुमारी, अष्टम उरांव, अमीषा बाखला, सुनीता मुंडा, नीतू लिंडा और सलीना कुमारी शामिल हैं। बाद में अंजली मुंडा, नीलम तिर्की, अनिता कुमारी और सोनी मुंडा को कैंप में आमंत्रित किया था।  

विभाग में अच्छे खेल प्रशासक की कमी :  रांची विश्वविद्यालय के पूर्व खेल निदेशक सह झारखंड वॉलीबॉल संघ के महासचिव शेखर बोस का कहना है कि झारखंड सरकार के खेल विभाग का लक्ष्य दिशाहीन है। विभाग में अच्छे खेल प्रशासक नहीं होने के कारण ऐसा है। पहले तो सरकार को चाहिए कि विभाग में अच्छे खेल प्रशासक लेकर आए या उन्हें विशेष जिम्मेदारी दी जाए। विभाग के लोग कुछ भी फैसला लेकर एक पत्र निकाल देते हैं, जिससे सभी को परेशानी होती है। अभी खेल विभाग ने कहा कि उनके सेंटरों के बच्चे खेल संघों की प्रतियोगिता में बिना इजाजत नहीं खेलेंगे। क्या विभाग बिना संघ के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भागीदारी दिला सकता है। यह खेल संघों के साथ समन्वय नहीं होने का नतीजा है। खेल संघों के साथ मिलकर चलने से ही खेल का विकास हो सकेगा। 

खिलाड़ियों तक पहुंचा शासन-प्रशासन : आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान में खिलाड़ियों की दशा की खबरें प्रकाशित होने के बाद उन्हें मदद मिली। एक खिलाड़ी सोनी खातून को तो नियुक्ति पत्र भी मिल गया। अपार्टमेंट में गार्ड का काम करने को मजबूर उम्र दराज अंतरराष्ट्रीय साइक्लिस्ट सरदार स्वर्ण सिंह को 50 हजार रुपए की मदद मिली। ऐसे कई खिलाड़ियों की कहानी भी सामने आई, जिनका परिवार लॉकडाउन के दौरान और भी ज्यादा परेशान हो गया। कई खिलाड़ियों को राशन पहुंचाया गया। एक बड़ा असर यह हुआ कि गुमला जिला प्रशासन ने फैसला लिया कि गुमला जिले के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की  सूची बनाई जाएगी और उनको जरूरत पड़ने पर मदद की जाएगी। कम से कम राशन की परेशानी जिले के किसी भी खिलाड़ी को नहीं होगी।

1. सुधा अंकिता समेत आठ फुटबॉलरों को सहायता : लॉकडाउन में भोजन की समस्या से जूझ रही भारतीय अंडर 17 फुटबॉल कैंप की खिलाड़ी सुधा अंकिता तिर्की की खबर प्रकाशित होने के बाद न केवल झारखंड सरकार सक्रिय हुई बल्कि भारतीय फुटबॉल फेडरेशन सहित कई संंस्थाएं भी एक्शन में आ गईं। सुधा अंकिता को छह माह का राशन दिया गया और आर्थिक मदद की गई। साथ ही हिन्दुस्तान की मदद से कैंप की सभी आठ खिलाड़ियों को फुटबॉल फेडरेशन ने लगभग 50-50 हजार रुपए दिए। मिनर्वा फुटबॉल क्लब ने 10-10 हजार रुपए सभी के खाते में भेजे।

2. महिला फुटबॉलरों को ट्रेनिंग देने की योजना बनी : फरवरी 2021 में भारत में होनेवाले वर्ल्ड कप अंडर 17 महिला फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए भारतीय कैंप में शामिल झारखंड की खिलाड़ियों की तंगहाली की खबर हिन्दुस्तान में प्रकाशित होने के बाद खेल विभाग ने इन खिलाड़ियों के लिए विशेष ट्रेनिंग कैंप कराने की योजना बनाई है। इसके लिए राज्य की खेल सचिव पूजा सिंघल ने झारखंड स्टेट स्पोट्र्स प्रमोशन सोसायटी (जेएसएपीएस) के साथ बैठक कर ट्रेनिंग शेड्यूल तैयार करने का निर्देश दिया। खिलाड़ियों को जल्द रांची बुलाया जाएगा।
 
3. खबरों पर लगातार ट्वीट करते रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन : हिन्दुस्तान के द्वारा प्रारंभ किए गए ‘मुश्किल में खिलाड़ी ’ पर राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन का भी ध्यान रहा। सोरेन खिलाड़ियों की व्यथा पर नजर रखते रहे और ट्वीट भी करते रहे। उन्होंने हिन्दुस्तान की इन खबरों को टैग किया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते रहे। सीएम के निर्देश के आलोक में जिलों के उपायुक्त सक्रिय हुए। कहीं जिला खेल अधिकारियों को खिलाड़ियों से मिलने के लिए भेजा गया तो कहीं उपायुक्त ने खुद संबंधित खिलाड़ी से मुलाकात की। सीएम के संज्ञान लेने से खिलाड़ियों को मदद मिली। 

4. धनबाद की तीरंदाज सोनी खातून को मिली नौकरी : दो जून को प्रकाशित लॉकडाउन में सब्जी बेच रही चैंपियन तीरंदाज खबर के बाद तीरंदाज सोनी खातून की मदद को लोग आगे आए। इसका असर यह हुआ कि सोनी को 11 जून को धनबाद के डीसी के माध्यम से नियुक्ति पत्र भी मिल गया। एशियन जलान अस्पताल ने प्लांट ऑफिस को- आर्डिनेटर के पद पर सोनी को नौकरी दी।  2000 का चेक भी: इससे पहले डीसी ने सोनी को प्रशासन की तरफ से 2000 का चेक भी दिया था। स्कूल तीरंदाजी में विजेता सोनी परिवार चलाने के लिए सब्जी बेच रही थी। 

5. साइक्लिस्ट स्वर्ण सिंह को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद : कमजोर आर्थिक स्थिति से त्रस्त अंतरराष्ट्रीय साइक्लिस्ट स्वर्ण सिंह की खबर तीन जून को हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से प्रकाशित की। स्वर्ण सिंह की सुध ली गई और उनको 50000 रुपए की आर्थिक मदद की गई। राज्य के खिलाड़ियों तथा विजया होम्स ने मिलकर यह पैसा इकट्ठा किया और स्वर्ण को दिया। स्वर्ण को खबर छपने के बाद सामाजिक संगठनों ने सम्मानित भी किया था। उनके बारे में भारतीय ओलंपिक संघ को भी सूचित किया गया। 70 के दशक के स्वर्ण सिंह टाटा में एक अपार्टमेंट में गार्ड हैं। 

6. फुटबॉलर पंकज बास्की को 15 हजार रुपए की मदद मिली : 10 जून को झरिया के राष्ट्रीय जूनियर फुटबॉलर की व्यथा हिन्दुस्तान ने प्रकाशित की। पंकज बास्की परिवार की तंगहाली के कारण दिहाड़ी मजदूरी का काम कर रहा था। लॉकडाउन के कारण उसे मजदूरी भी नहीं मिल पा रही थी। लॉक डाउन खुलने के बाद भी काफी ढूढ़ने पर भी उसे काम नहीं मिला तो  बास्की की खबर हिन्दुस्तान में छपी। खबर छपने के बाद उसे भी मदद मिली। धनबाद जिला प्रशासन पंकज की मदद को भी आगे आया। उसे धनबाद के उपायुक्त ने 15 हजार रुपए की सहायता प्रदान की। 

7. गुमला जिले के खिलाड़ियों की मदद को आगे आया प्रशासन : हिन्दुस्तान के मुश्किल में खिलाड़ी अभियान का एक बहुत बड़ा असर गुमला जिला के खिलाड़ियों को लाभ के रूप में मिला। खिलाड़ियों की दुर्दशा की खबरों पर संज्ञान लेते हुए गुमला जिला प्रशासन ने यह फैसला लिया कि वह जिले के सारे ही खिलाड़ियों की परेशानी का ख्याल रखेगा। गुमला के डीसी ने सारे प्रखंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय जरूरतमंद खिलाड़ियों को चिन्हित करें और उनको राशन आदि की कमी नहीं होने दें। खिलाड़ियों की सूची बनाने को भी कहा गया। 

8. जमशेेदपुर में शबनम के घर विभाग ने पहुंचाया राशन : हिन्दुस्तान ने 7 जून को जमशेदपुर की हैडबॉल खिलाड़ी शबनम परवीन की खबर प्रकाशित की थी। राष्ट्रीय जूनियर हैंडबाल खिलाड़ी शबनम मजबूर होकर एक बेकरी में काम कर रही हैं। 10 जून को जिला खेल पदाधिकारी शबनम परवीन से मिले। जिले के खेल विभाग की तरफ से शबनम खातून के परिवार को राशन उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा अन्य प्रकार से सहायता करने की बात भी कही गई। डीएसओ के साथ टाटा स्टील के खेल विभाग के अधिकारी भी शबनम के घर पहुंचे और मदद की बात कही।
 

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