जज की संदेहास्पद मौत की एसआईटी जांच का आदेश, HC ने भी लिया संज्ञान, जांच की होगी मॉनिटरिंग, लापरवाही पर चेताया
धनबाद में बुधवार को ऑटो की टक्कर से संदेहास्पद स्थिति में एडीजे उत्तम आनंद की मौत मामले में हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद पुलिस अफसर फास्ट हो गए हैं। मामले की जांच एसआईटी करेगी। एसआईटी का नेतृत्व...
धनबाद में बुधवार को ऑटो की टक्कर से संदेहास्पद स्थिति में एडीजे उत्तम आनंद की मौत मामले में हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद पुलिस अफसर फास्ट हो गए हैं। मामले की जांच एसआईटी करेगी। एसआईटी का नेतृत्व एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर करेंगे। टीम में बोकारो की आईजी प्रिया दूबे, डीआईजी कन्हैया मयूरपटेल और धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार समेत 22 पुलिस पदाधिकारियों को रखा गया है। गुरुवार को डीजीपी नीरज सिन्हा ने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठन का आदेश जारी किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य पुलिस मुख्यालय ने सीआईडी को भी जांच से जोड़ा है। सीआईडी के प्रक्षेत्रीय डीएसपी को कांड के अनुसंधान में सहयोग का निर्देश दिया गया है। सीआईडी की फोरेंसिक टीम भी गुरुवार को ही जांच के लिए धनबाद रवाना हो गई है। एसआईटी में धनबाद पुलिस के अफसरों को भी शामिल किया गया है।
इससे पहले हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया था कि जज की मौत के मामले में सरकार ने एसआईटी का गठन किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस की क्षमता पर संदेह नहीं है। लेकिन मामला काफी गंभीर है। डीजीपी ने भी हाईकोर्ट को भरोसा दिलाया की जांच पूरे प्रोफेशनल होगी और कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
धनबाद में बुधवार को ऑटो की टक्कर से एडीजे उत्तम आनंद की मौत तथा दो दिन पहले रांची में वकील मनोज झा की हत्या को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। गुरुवार को स्वत: संज्ञान लेकर इनकी सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा हाईकोर्ट इस मामले की खुद मॉनिटरिंग करेगा। जांच में थोड़ी भी कोताही बरती गयी, तो इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। जज की दुर्घटना में मौत के बाद धनबाद के जिला जज ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी थी। इस पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने डीजीपी और धनबाद के एसएसपी को हाजिर रहने को भी कहा था। दोनों हाजिर भी हुए।
हाईकोर्ट ने कहा कुछ दिन पहले एक वकील की हत्या होती है। बुधवार को जज की मौत संदेहास्पद तरीके से मौत हो गयी। कुछ दिन पहले एक पुलिस अधिकारी की भी मौत संदेह के घेरे में है। यह क्या हो रहा है। प्रतीत होता है कि कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो चुकी है। न्यायिक सिस्टम पर भी हमला होने लगा है। जब राज्य में नक्सली प्रभाव ज्यादा था, उस समय भी जज पर हमले नहीं हुए। अब अपराधी जज को भी निशाना बनाने लगे हैं। पुलिस को इसे गंभीरता से लेना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में सिर्फ ऑटो चालक व अन्य को ही सजा ना मिले। क्योंकि इसके पीछे साजिशकर्ता कोई और है। अदालत चाहती है कि पुलिस के हाथ उसके गिरेबान तक भी पहुंचे ताकि सजा दिलाई जा सके।
पुलिस सिस्टम में सुधार की जरूरत:
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि झारखंड की पुलिस को प्रोफेशनल होना होगा। सिस्टम में सुधार करना होगा। अनुसंधान और विधि व्यवस्था का अलग-अलग विंग बनाना होगा। अदालत ने कहा कि इस मामले में अनुसंधान, अभियोजन और ट्रायल सही तरीके से होना चाहिए। ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन ने कहा कि इस घटना के बाद उन्हें देश के विभिन्न जगहों से इस मामले को लेकर प्रतिक्रियाएं मिलीं है। सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मुद्दे पर उनसे बातचीत की है। इसलिए उन्हें भरोसा है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी।
जब एसएसपी कांफिडेंट नहीं हैं, तो पेशेवर जांच कैसे होगी: कोर्ट
जज की मौत संदेहास्पद तरीके से मौत मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसएसपी से कई सवाल किए। कोर्ट ने घटना का समय, उन्हें कितने बजे सूचना मिली और कई सवाल किए। एसएसपी की ओर से जब घटना का समय बताने में अंतर आया तब इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि घटना के काफी देर बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी। आखिर प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब क्यों किया गया। एसएसपी का जवाब भी अलग-अलग आ रहा है। जब एसएसपी खुद कांफिडेंट नहीं हैं, तो प्रोफेशनल तरीके से जांच कैसे होगी? इस पर डीजीपी ने कहा कि इस मामले की प्रोफेशनल जांच की जाएगी। जांच में कोई कमी नहीं रहेगी। मामले की तह तक पहुंचा जाएगा और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
एसएसपी का जवाब:
एसएसपी घटना का समय सुबह 6.45 बजे तो कभी दोपहर 12.45 बजे बताते रहे। बार-बार समय बदलते रहे। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि जब आप खुद कांफिडेंट नहीं हैं और किसी चीज की ठोस जानकारी नहीं है। तो इस मामले की प्रोफेशनल तरीके से जांच होने पर संदेह होना स्वाभाविक है। इस पर एसएसपी ने कहा कि एसआईटी का गठन किया गया है। इसमें 20 लोगों को शामिल किया गया है। सिटी एसपी, एएसपी, इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के साथ साइबर सेल को भी शामिल किया गया है। 20 स्थानों से सीसीटीवी कैमरे का फुटेज निकाला गया है।
सुप्रीम कोर्ट में भी उठा मामला:
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिववक्ता विकास सिंह भी शामिल हुए। हाईकोर्ट ने उन्हें शामिल होने की अनुमति दी थी। वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत को बताया कि हालात बता रहे हैं कि यह दुर्घटना और हिट एंड रन का मामला नहीं है। यह न्यायपालिका पर हमला है। देश में यह पहला मामला है, जब किसी जज की ऐसी परिस्थिति में मौत हुई हो। उन्होंने हाईकोर्ट से इस मामले की सीबीआई की जांच कराने का आग्रह किया। विकास सिंह ने अदालत को बताया कि जज के मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी बार एसोसिएशन ने उठाया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जतायी है।
कोर्ट ने तीन बार वीडियो फुटेज देखा:
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दुर्घटना का फुटेज देखा और एसएसपी से सवाल किया। कोर्ट ने कहा वीडियो से स्पष्ट है कि ऑटो में अगली सीट पर दो लोग सवार थे। ऑटो के आगे एक बाइक भी जा रही है। बाइक की स्पीड भी दुर्घटना के पूर्व धीमी हुई थी। क्या बाइक का नंबर लिया गया है। क्या इसे भी जांच की कड़ी में शामिल किया गया है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। पीछे से किसी को टक्कर लगे तो वह आदमी आगे की ओर गिरता है। लेकिन मृतक आगे की ओर नहीं गिरा है। इससे दुर्घटना पर संदेह होता है। क्या पुलिस ने इन बिंदुओं पर जांच शुरू की है।
आईजी प्रिया दूबे के नेतृत्व में गठित की गई एसआटी
रांची। धनबाद में एडीजे उत्तम आनंद की मौत मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी में बोकारो जोन की आईजी प्रिया दूबे, डीआईजी कन्हैया मयूरपटेल, धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार, सिटी एसपी आर रामकुमार, धनबाद लॉ एंड आर्डर एएसपी मनोज कुमार स्वर्गीयारी, जैप से सीआईडी में प्रतिनियुक्त डीएसपी परवेज आलम, राजेश कुमार, साइबर डीएसपी सौरभ लकड़ा, सीसीआर डीएसपी अमर पांडेय, रांची के जगन्नाथपुर इंस्पेक्टर अभय कुमार सिंह, धनबाद के शहर थाना प्रभारी विनय कुमार, इंस्पेक्टर रंधीर कुमार, उमेश सिंह, राजदेव सिंह समेत अन्य को एसआईटी में शामिल किया गया है। गुरुवार को डीजीपी नीरज सिन्हा के द्वारा एसआईटी गठन का आदेश जारी किया गया। वहीं पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य पुलिस मुख्यालय ने सीआईडी को भी जांच से जोड़ा है। सीआईडी के प्रक्षेत्रीय डीएसपी को कांड के अनुसंधान में सहयोग का निर्देश दिया गया है। सीआईडी की फोरेंसिक टीम भी गुरुवार को पूरे मामले की जांच के लिए धनबाद रवाना हो गई है।
सीबीआई से लौटे अफसर एसआईटी में शामिल
राज्य पुलिस ने अनुसंधान के लिए एसआईटी में चर्चित अफसरों को जोड़ा है। सीबीआई से राज्य पुलिस में लौटे डीएसपी परवेज आलम, राजेश कुमार, अभय कुमार सिंह को खास तौर पर टीम से जोड़ा गया है। परवेज आलम रांची के चर्चित बूटी कांड में सीबीआई के अनुसंधानक रहे चुके हैं। इस कांड में सीबीआई ने ही केस का खुलासा कर आरोपी को फांसी की सजा दिलवायी थी। वहीं राजेश कुमार व अभय कुमार सिंह को भी सीबीआई में काम के अनुभव के आधार पर ही एसआईटी से जोड़ा गया है।