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झारखंडी कौन? यह तय करने वाला विधेयक राज्यपाल ने लौटाया, दिया ये तर्क

राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है। कहा है कि विशेष प्रावधान के तहत नियोजन में शर्तें लगाने की शक्तियां संसद के पास हैं, विधानसभा के पास नहीं।

झारखंडी कौन? यह तय करने वाला विधेयक राज्यपाल ने लौटाया, दिया ये तर्क
Suraj Thakurलाइव हिन्दुस्तान,रांचीMon, 30 Jan 2023 07:58 AM

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राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है। उन्होंने कहा है कि विशेष प्रावधान के तहत नियोजन में शर्तें लगाने की शक्तियां संसद के पास हैं, राज्य विधानमंडल के पास नहीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों का भी उल्लेख कर संबंधित विधेयक की वैधानिकता पर प्रश्न उठाते हुए इसे पुनर्समीक्षा के लिए वापस किया है। बता दें कि बीते 11 नवंबर को यह विधेयक विधानसभा से पारित हुआ था। राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि विधेयक की समीक्षा में स्पष्ट हुआ है कि संविधान की धारा 16 में सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है।

सरकार विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करे
राज्यपाल ने कहा है कि सरकार विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करे कि यह संविधान के अनुरूप एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप हो। इस अधिनियम के अनुसार, स्थानीय व्यक्ति का अर्थ झारखंड का डोमिसाइल होगा जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा में रहता है और उसका या उसके पूर्वज का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है। इसके तहत पहचाने गए स्थानीय व्यक्ति ही राज्य के वर्ग-3 और 4 की नियुक्तियों के पात्र होंगे।

विधेयक के प्रावधानों पर विधि-विभाग की आपत्ति
राजभवन ने कहा है कि राज्य सरकार के विधि विभाग ने यह स्पष्ट किया था कि इस विधेयक के प्रावधान संविधान एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत हैं। ऐसा प्रावधान सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों के अनुरूप नहीं है। साथ ही ऐसा प्रावधान स्पष्टत भारतीय संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 14, 15, 16 (2) में प्रदत्त मूल अधिकार से प्रतिकूल प्रभाव रखने वाला प्रतीत होता है जो संविधान के अनुच्छेद 13 से भी प्रभावित होगा और अनावश्यक वाद-विवादों को जन्म देगा। संविधान की धारा- 16(3) के अनुसार मात्र संसद के पास शक्तियां हैं कि वह विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (ए) के अंतर्गत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार अधिरोपित कर सकता है। राज्य विधानमंडल को यह शक्ति नहीं है।

वर्णित परिस्थिति में विधानमंडल की शक्ति निहित नहीं
राज्यपाल ने समीक्षा में पाया कि वर्णित परिस्थिति में जब विधानमंडल में यह शक्ति निहित नहीं है कि वे ऐसे मामलों में कोई विधेयक पारित कर सकती है, तो इस विधेयक की वैधानिकता पर गंभीर प्रश्न उठता है। उन्होंने इसे राज्य सरकार को यह कहते हुए वापस किया कि वे विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा कर लें।

महागठबंधन सरकार के लिए झटके जैसा है फैसला
गौरतलब है कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार 11 नबंवर 2022 को झारखंड विधानसभा के 1 दिवसीय विस्तारित सत्र में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक सदन में लाई थी। इसे सदन से पास कराकर संविधान की 9वीं सूची में शामिल कराने हेतु केंद्र सरकार के पास भेजा गया था। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं सहयोगी कांग्रेस ने इसे बड़ी सफलता के रूप में पेश किया था। यही नहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो खतियानी जोहार यात्रा तक निकाल रहे हैं। अब, राज्यपाल ने इसे लौटा दिया। ये महागठबंधन सरकार के लिए किसी झटके जैसा है। 

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