झारखंड में वित्तरहित शिक्षा नीति होगी खत्म, 8000 शिक्षकों और कर्मियों को मिलेगा राज्यकर्मी का दर्जा
शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह ने कार्मिक विभाग के सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है कि वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त करने की नियमवाली बनाने के लिए पूर्व में ही प्रस्ताव दिया गया था।
झारखंड में वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त होगी। साथ ही 525 वित्तरहित संस्थानों के करीब 8000 शिक्षकों और कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा। इन कर्मियों को अनुदान की जगह अब वेतनमान मिलेगा। राज्य सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने कार्मिक विभाग को वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त कर नियमावली बनाने और सभी वित्तरहित कर्मचारी की सेवा सरकारी संवर्ग में करते हुए वेतनमान देने को लेकर पत्र लिखा है।
शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह ने कार्मिक विभाग के सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है कि वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त करने की नियमवाली बनाने के लिए पूर्व में ही प्रस्ताव दिया गया था। इसमें उन्हें सरकारी सेवा में करते हुए वेतनमान देने की भी बात है। इस मामले में कार्मिक विभाग की ओर से की गई कार्रवाई की कोई सूचना शिक्षा विभाग को नहीं मिली है। इस संबंध में झारखंड विधानसभा के सत्र के दौरान अल्पसूचित प्रश्न पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा कार्रवाई किए जाने का जिक्र किया गया है। इसलिए शिक्षा विभाग अनुरोध करता है कि मामले में समुचित कार्रवाई की जाए।
बता दें कि पिछले दिन कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, विधायक कुमार जयमंगल और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के नेतृत्व में वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर ज्ञापन सौंपा था। मुख्यमंत्री ने मोर्चा की मांगों पर आश्वस्त किया था कि राज्यकर्मी का दर्जा देने और समान काम के लिए समान वेतन देने के सदन में मेरे दिए गए आश्वासन पर उचित निर्णय होगा। अनुदान की राशि बढ़ाने के प्रस्ताव को कैबिनेट में मंगवाने का भी उन्होंने आश्वासन दिया था। अनुदान की राशि सीधे शिक्षक-कर्मचारियों के खाते में भेजने के मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मांग जायज है और इस पर कार्रवाई होगी।
नामांकन के आधार पर दिया जाता है अनुदान
वर्तमान में वित्तरहित संस्थानों को नामांकित बच्चों के आधार पर अनुदान मिलता है। इंटर कॉलेजों को 16.80 लाख से 60 लाख रुपये तक अनुदान मिलता है। वहीं, हाई स्कूल, मदरसा व संस्कृत विद्यालय को कम से कम 7.20 लाख रुपये और अधिकतम 14.40 लाख रुपये मिलते हैं।
राज्य के 8000 शिक्षक और कर्मी होंगे लाभान्वित
राज्य के वित्तरहित संस्थानों के कर्मियों को राज्यकर्मी का दर्जा और वेतनमान दिये जाने से 525 संस्थानों के करीब 8000 शिक्षक और कर्मी लाभान्वित होंगे। राज्यकर्मी का दर्जा और वेतनमान मिलने से उन्हें हर माह अपने बैंक खाते में राशि मिल सकेगी। इन कर्मियों को कितना वेतनमान मिलेगा, यह राज्य सरकार तय करेगी और इसका प्रावधान बनने वाली नियमावली में हो सकेगी। इसको लेकर भी राज्य के वित्तरहित शिक्षा कर्मी लगातार आंदोलनरत रहे हैं।