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ओपीडी में 'इमरजेंसी', डॉक्टर बोले कल आना- बुखार में बेटे को कहां ले जाएं साहब 

कोलकाता में डॉक्टर पर हुए हमले के विरोध में सोमवार को रांची के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इससे रिम्स, सदर से लेकर निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं पूरे दिन बंद रहीं। रिम्स...

 ओपीडी में 'इमरजेंसी', डॉक्टर बोले कल आना- बुखार में बेटे को कहां ले जाएं साहब 
रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरोMon, 17 Jun 2019 11:05 PM
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कोलकाता में डॉक्टर पर हुए हमले के विरोध में सोमवार को रांची के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इससे रिम्स, सदर से लेकर निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं पूरे दिन बंद रहीं। रिम्स और सदर अस्पताल से करीब 2500 मरीज वापस लौट गए। जबकि हर निजी अस्पतालों में यह संख्या 200 के आसपास रही। डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज पूरे दिन परेशान होते रहे। 

कार्य बहिष्कार कर अस्पतालों के सीनियर व जूनियर डॉक्टरों ने रिम्स परिसर में एकजुट होकर जमकर नारेबाजी की और अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार से गुहार लगायी। इस बंदी के बीच रिम्स के अलावा सभी अस्पतालों में इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का इलाज चालू रहा। आईएमए के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह हड़ताल मंगलवार की सुबह छह बजे तक जारी रहेगी।

आईएमए सचिव डॉ श्याम सिडाना ने बताया कि हड़ताल का पूरा असर देखने को मिला है। जिला के करीब 1700 डॉक्टरों ने आंदोलन में सहयोग किया और सेवाएं ठप रखी। इमरजेंसी में किसी तरह की रूकावट नहीं आयी। सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी जांच भी चालू रखी गई। 


रिम्स अस्पताल : 
टिकट काउंटर तक नहीं खुला 
रिम्स में हर दिन करीब 2000 मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंचते हैं। सोमवार को ओपीडी बंद रहने के कारण मरीज दिनभर इधर-उधर भटकते रहे। प्रबंधन के लाख प्रयास के बाद भी ओपीडी नहीं खुला। सिर्फ इमरजेंसी सेवा चलती रही, लेकिन सामान्य मरीजों को यहां भी नहीं देखा गया। सिर्फ गंभीर मरीजों को तुरंत भर्ती कराने की व्यवस्था थी। 

शनिवार से इंतजार में रिम्स में ही बैठे थे मरीज 
जिन मरीजों का ओपीडी में शनिवार को इलाज नहीं हो पाया और जो रविवार को दूर-दराज इलाकों से इलाज के लिए रिम्स पहुंचे थे, उन्हें भी सोमवार को मायूसी ही हाथ लगी। मरीज के परिजन डॉक्टरों से इलाज के लिए विनती करते रह गए लेकिन कोई लाभ नहीं मिल पाया। 

समय पर नहीं मिल पाया टीका : 
हड़ताल में बच्चों का समय टीकाकरण नहीं हो पाया। टीकाकरण का कार्यालय खुला था, नर्सें भी वहां मौजूद थी। लेकिन डॉक्टर नहीं होने के कारण किसी बच्चे को टीका नहीं दिया गया। कई माताएं सदूर इलाकों से पहुंची थी, लेकिन भी उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। 

सदर अस्पताल : 
सदर अस्पताल में ओपीडी पूरी तरह बंद रहा। डॉक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर एक जगह बैठे रहें। इस बीच इमरजेंसी में मरीजों की लंबी कतार लगी रही। मरीजों की जांच की व्यवस्था भी ठप रही। इमरजेंसी एंटी रैबीज वैक्सीन और बच्चों का टीकाकरण भी नहीं हुआ। गर्मी में दिनभर मरीज परेशान रहें, जिन्हें ज्यादा समस्या रही उन्हें इमरजेंसी में देखा गया। इस बीच इंडोर मरीजों का इलाज चलता रहा। 

देर शाम तक भीड़ रही इमरजेंसी में : 
इमरजेंसी में देर शाम तक मरीजों की भीड़ रही। पहले पहर में काफी भीड़ होने के कारण दूसरे पहर भी मरीजों की भीड़ बढ़ती गई। मरीजों को इमरजेंसी में दवा भी मुहैया कराया गया। हड़ताल को लेकर सदर अस्पताल के पारा मेडिकल कर्मियों ने भी दिया साथ। किसी ने जांच व अन्य सेवा से अपने आप को दूर रखा। 

रिम्स में आईएमए ने की नारेबाजी : 
आईएमए के बैनर तले हुए हड़ताल में रिम्स परिसर पर रिम्स के डॉक्टरों सहित शहर के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टर एकजूट हुए। सभी ने बैनर लेकर नारेबाजी की और वहीं पर धरने पर बैठ गए। इस बीच मौजूद डॉ अजय सिंह ने कहा कि डॉक्टरों पर हमला अब नहीं होने दिया जाएगा। सरकार को ठोस कदम उठाना होगा, ताकि डॉक्टर बिना डर के मरीजों की जान बचा सकें। साथ ही मरीज के परिजन के अस्पताल में आने को लेकर भी कड़े नियम बनाए जाए। 

डॉ भारती कश्यप ने कहा कि जबतक मरीजों को बचाने वाले डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक डॉक्टरों से शत प्रतशित काम लेना मुश्किल होगा। सरकार की नीति पर अब सवालिया निशान खड़े हो चुके हैं। मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना अब मजबूरी नहीं जरूरी है। डॉ अजित ने कहा कि रिम्स में सबसे ज्यादा डॉक्टरों को परेशानी होती है। यहां आए दिन मारपीट की घटना घटती है, सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल किए गए हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। इस मौके पर एमबीबीएस की छात्राओं ने डॉक्टरों पर लिखी कविताओं को सुनाया और डॉक्टरों की जिम्मेदारी व उनकी परेशानियों से रू-ब-रू कराया। 

मरीजों ने बताए अपने दर्द : 
ममता देवी, बरियातू : खुद को दिखाने व बच्चे को भी दिखाना था। लेकिन कोई डॉक्टर बैठे ही नहीं है। शुरू में बताया गया कि डॉक्टर बैठेंगे लेकिन नहीं बैठे। 

नीरू देवी, बरियातू : बच्चे को दिखाना था, लेकिन टिकट काउंटर तक नहीं खुला है। इमरजेंसी में लेकर गई तो बताया गया कि ओपीडी में लेकर जाओ। ओपीडी में बताया जा रहा है कल आना। इस नवजात बच्चे को बुखार में कहां लेकर अब जाए। 

समर, गोड्डा : डॉक्टर से दिखाने के लिए दो दिन से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नंबर नहीं मिल रहा था। आज ना ही डॉक्टर बैठे हैं और ना ही नंबर मिला है। 

जीरवनी देवी, गढ़वा : कल से इंतजार कर रहे हैं। अब मंगलवार को दिखाया जाएगा। इतना लंबा इंतजार के बाद डॉक्टर साहेब के दर्शन होंगे।

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