IAS Pooja Singhal: जानें क्यों पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी, 18 करोड़ का मनरेगा घोटाला है वजह
ED ने झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा फंड में 18 करोड़ रुपए के कथित गबन के मामले में कार्रवाई करते हुए आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी की है। यह घोटाला 18 करोड़ से अधिक का है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा फंड में 18 करोड़ रुपए के कथित गबन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघर के परिसर सहित कई अन्य ठिकानों पर गुरुवार को छापेमारी की। झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में 18 परिसरों में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की गई है। रांची के एक अस्पताल को भी झापेमारी के दायरे में लिया गया है।
सिंघल 2000 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं और पहले खूंटी जिले में डीसी के रूप में तैनात थीं। यह मामला झारखंड के जूनियर अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा के खिलाफ 2020 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए के तहत दर्ज मामले से जुड़ा है। राम बिनोद प्रसाद को 17 जून 2020 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले से ईडी ने गिरफ्तार किया था।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने सिन्हा के खिलाफ झारखंड विजिलेंस ब्यूरो की ओर से दर्ज किए गए 16 एफआईआर और दायर चार्जशीट का संज्ञान लिया था, जिसके मुताबिक सिन्हा पर 18.06 करोड़ रुपए के सरकार फंड के दुरुपयोग का आरोप था। आरोप है कि अप्रैल 1 2008 से 21 मार्च 2011 के बीच जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करते हुए सिन्हा ने सरकारी धन का गबन किया। उन्होंने इस धन को अपने और परिवार के सदस्यों के नाम से निवेश किया। सिन्हा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत विजिलेंस ब्यूरो ने केस दर्ज किया था।
यह पैसा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत विभन्न परियोजनाओं के लिए आवंटित किया था। ईडी ने भी सिन्हा के खिलाफ दिसंबर 2018 में रांची की एक विशेष अदालत में चार्जशीट फाइल की थी। एजेंसी ने उन्हें कई बार तलब किया था, लेकिन पेश नहीं होने के बाद कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। इसके आधार पर उन्हें पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया गया था। पूछताछ के बाद अगस्त 2020 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई थी।