झारखंड में आर्थिक संकट, हेमंत सोरेन सरकार ने जारी किया श्वेतपत्र
राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में श्वेतपत्र जारी कर पिछली सरकार की आर्थिक नीतियों पर जबर्दस्त हमला बोला है। इसमें कहा गया है कि सूबे में डबल इंजन की सरकार का कोई फायदा नहीं मिला और राज्य लगातार...
राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में श्वेतपत्र जारी कर पिछली सरकार की आर्थिक नीतियों पर जबर्दस्त हमला बोला है। इसमें कहा गया है कि सूबे में डबल इंजन की सरकार का कोई फायदा नहीं मिला और राज्य लगातार आर्थिक संकट का शिकार होता चला गया है। झारखंड की आर्थिक विकास दर पिछले पांच वर्षों में 6.8 प्रतिशत घट गई है। राज्य वर्ष 2014-15 में 12.5 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा था, लेकिन 2015-16 से 2018-19 तक औसत विकास दर 5.7 प्रतिशत पर सिमट गयी। वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सोमवार को विधानसभा में राज्य के वित्त एवं विकास पर श्वेत पत्र पेश किया।
पिछला पांच साल वित्तीय संकट का दौर रहा
राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में श्वेतपत्र जारी कर बताया है कि पिछला पांच साल वित्तीय संकट का काल रहा है। वर्ष 2014-15 से 2018-19 के दौरान राज्य को केंद्र से पर्याप्त राशि मिलती रही, लेकिन आंतरिक स्त्रोतों से क्षमता से कम राजस्व मिला। इसके कारण राज्य वित्तीय संकट से गुजरता रहा। संकट की बड़ी वजह बगैर गहन लागत लाभ का अध्ययन किये अनावश्यक और अनुपयोगी योजनाओं का क्रियान्वयन भी है। दूसरी तरफ लोगों की उम्मीदें पूरी करने में भी सफलता नहीं मिली।
दो वर्षों में प्रति व्यक्ति आय 0.1 प्रतिशत बढ़ी
राज्य की प्रति व्यक्ति वास्तविक 2011-12 की स्थिर मूल्य पर वर्ष 2014-15 में 48781 रुपये थी। दो साल के बाद 2016-17 में इसमें सिर्फ 45 रुपये की वृद्धि हुई। इस तरह इन दो वर्षों (2014-15 से 2016-17) में प्रति व्यक्ति आय में महज 0.1 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि हुई। वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय 54246 रुपये थी। इस वर्ष इसका करीब 60 हजार रुपये होने का अनुमान है।
राजस्व घाटा 6 गुणा बढ़ा
योजना सह वित्त विभाग के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि केवल अनुमानित बजट की अपेक्षा वास्तविक बजट में ही कमी नहीं आई है बल्कि वास्तविक बजट के लिए पूंजी उपलब्ध कराने में राजस्व घाटे में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2011-12 में लगभग दो हजार करोड़ रुपये का राजस्व घाटा था। पिछले छह साल में यह छह गुणा बढ़ गया है। राजस्व घाटा साल 2017-18 में लगभग 12 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है। वर्ष 2012-13 में राजस्व घाटा आकलित बजट के राजस्व घाटे से 16 प्रतिशत अधिक था। लेकिन 2015-16 में यह 123 प्रतिशत अधिक रहा। अगले दो वर्षों 2016-17 और 2017-18 में भी यह अनुमानित राजस्व घाटे के करीब दो गुणे के बराबर रहा। वर्ष 2016-17 में राज्य का राजस्व घाटा जीएसडीपी का 4.31 प्रतिशत था और 2017-18 में 4.32 प्रतिशत रहा।