13 साल पुराने मामले में दुर्गा डेवलपर्स के निदेशक पति-पत्नी के साथ बेटों को सजा, एक करोड़ का जुर्माना भी लगा
सीजेएम कोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े 13 साल पुराने मामले में दुर्गा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक दुर्गा झा, उनके पति अनिल कुमार झा, दो बेटों निलोय कुमार झा एवं सुनील कुमार झा को सजा सुनाई।
चेक बाउंस से जुड़े 13 साल पुराने मामले में ट्रायल फेस कर रही रियल एस्टेट कारोबारी मेसर्स दुर्गा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक दुर्गा झा, उनके पति अनिल कुमार झा, दो बेटों निलोय कुमार झा एवं सुनील कुमार झा को न्यायिक दंडाधिकारी अमित गुप्ता की अदालत ने दोषी करार कर एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है।
साथ ही अदालत ने चारों सजायाफ्ता निदेशकों को संयुक्त रूप से एक करोड़ 70 लाख 52 हजार रुपए की मुआवजा राशि का भुगतान एक महीने के अंदर करने का निर्देश दिया है। चारों अभियुक्त कडरू डायवर्सन रोड स्थित शिवम प्लाजा निवासी हैं। इनलोगों के खिलाफ 85.26 लाख रुपए के चेक बाउंस के आरोप में 28 जनवरी 2011 को कोर्ट केस (शिकायतवाद संख्या 170/2011) दर्ज किया गया था। यह मुकदमा डोरंडा के श्यामली स्थित भारत सरकार के उपक्रम हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की ओर से तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी एसएन गुप्ता ने दर्ज कराया था।
आरोपियों ने कंपनी से स्कीम के तहत कडरू में बहुमंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स शिवम प्लाजा के निर्माण के लिए करोड़ों रुपए का टर्म लोन लिया था। आरोपी ने ऋण राशि और उसके ब्याज की प्रतिपूर्ति को लेकर 25 नवंबर 2010 को 85.26 लाख रुपए का चेक कंपनी के नाम जारी किया था, जो बाउंस कर गया था। इसके बाद आरोपियों को नोटिस जारी किया गया। जब आरोपी चेक की राशि का भुगतान करने में विफल रहे तो शिकायतकर्ता ने जनवरी 2011 में सीजेएम कोर्ट में मुकदमा किया था।
हिट एंड रन मामले के आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी
न्यायिक दंडाधिकारी मान्या टंडन की अदालत ने शुक्रवार को हीट एवं रन मामले में आरोपी राम कुमार को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। घटना को लेकर 21 अप्रैल 2022 को नामकुम थाना में तमाड़ निवासी दिलेश्वर महतो ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने बताया कि सूचक का बेटा राहुल महतो बाइक से रांची आ रहा था। नामकुम थाना क्षेत्र में पीछे से एक कंटेनर गाड़ी ने धक्का मारा। इसमें राहुल महतो गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से तीन गवाहों को प्रस्तुत किया। लेकिन, किसी गवाह ने कंटेनर चालक को पहचाने से इनकार किया। केस अदालत में स्थापित नहीं हो सका।
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