धनबादः हर्ल सिंदरी में फरवरी-मार्च से होगा यूरिया का उत्पादन, 2000 से ज्यादा को मिलेगा रोजगार
धनबाद के सिंदरी स्थित हर्ल (हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड) में फरवरी-मार्च 2022 से यूरिया का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह जानकारी हर्ल के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार गुप्ता ने बुधवार को...
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धनबाद के सिंदरी स्थित हर्ल (हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड) में फरवरी-मार्च 2022 से यूरिया का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह जानकारी हर्ल के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार गुप्ता ने बुधवार को दी। हर्ल सिंदरी में 450 लोगों को प्रत्यक्ष और 1500 से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
हर्ल ही सिंदरी के अलावा गोरखपुर और बरौनी में भी उर्वरक संयंत्र का निर्माण कर रही है। इनमें से प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 11.75 लाख टन प्रति वर्ष (प्रति दिन 3850 टन) होगी। इस संयंत्रों में ईंधन के रूप में नेफ्था की जगह प्राकृतिक गैस का प्रयोग होगा। इससे न सिर्फ उत्पादन लागत कम होगी बल्कि पर्यावरण में कार्बन की मात्रा भी कम उत्सर्जित होगी। सिंदरी में पहले एफसीआई (फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेट) द्वारा उर्वरक कारखाना चलाया जा रहा था। इसके बंद हो जाने के बाद हर्ल ने इसका पुनर्निर्माण शुरू किया है। बंद होने से पहले इस कारखाने में यूरिया का अधिकतम उत्पादन 1050 टन प्रति दिन होता था।
डी मिनरलाइज्ड प्लांट का उद्घाटन : बुधवार को हर्ल उर्वरक संयंत्र के निर्माण की समीक्षा करने सिंदरी आए प्रबंध निदेशक अरुण कुमार गुप्ता ने नवनिर्मित डी मिनरलाइज्ड प्लांट का उद्घाटन भी किया। ड्रिपलेक्स वाटर इंजिनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने 170 करोड़ की लागत से दो वर्षों के निर्धारित अवधि में इसका निर्माण किया है। इस अवसर पर एमडी अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि ड्रिपलेक्स वाटर इंजिनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड हर्ल के सिंदरी और बरौनी के निर्माणाधीन उर्वरक संयंत्र में डी मिनरलाइज्ड प्लांट, डी मिनरलाइज्ड वाटर ट्रांसफर पंप और इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कर रही है। यह कंपनी हर्ल के गोरखपुर संयंत्र में केवल इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का भी निर्माण कर रही है।
एमडी ने कहा कि हर्ल के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से संबंधित निर्माण कार्य को ड्रिपलेक्स वाटर इंजिनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने निर्धारित समय पर अपना काम पूरा किया है, इसलिए कंपनी बधाई की हकदार है। ड्रिपलेक्स वाटर इंजिनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट प्रबंधक अनिल कुमार दूबे ने कहा कि इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण उनके व्यावसायिक साझेदार मेसर्स एमएमजी कर रही है। इस अवसर पर हर्ल के महाप्रबंधक हिम्मत सिंह चौहान ग्रुप जेनेरल मैनेजर कामेश्वर झा पीडीआइएल के आर सी एम पी सी मिश्रा और दिलीप चतुर्वेदी मौजूद थे।
कोल इंडिया-एनटीपीसी की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है हर्ल
1951 में सिंदरी में एफसीआई (फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेट) द्वारा छह हजार एकड़ में खाद कारखाना शुरू किया गया था। 2002 में ये खाद कारखाना बंद हो गया जिसके बाद 2011 में केंद्र सरकार ने सेल को कारखाना चलाने की जिम्मेदारी दी। सेल के इनकार करने के बाद केंद्र सरकार ने सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी यूरिया कारखाने को चलाने के लिए एनटीपीसी, कोल इंडिया लिमिटेड और इंडियन आयल कॉरपोरेशन लिमिटेड और एचएफसीएल के सहयोग से हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) नामक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाकर काम शुरू किया। हर्ल में कोल इंडिया एवं एनटीपीसी की मुख्य हिस्सेदारी है।