गांव की सरकार बनाने को विधायक ढुलू महतो ने संभाली कमान, 19 जिला परिषद सदस्यों को लेकर दार्जिलिंग रवाना; ये बन सकती हैं अध्यक्ष
गांव की सरकार बनाने के लिए विधायक ढुलू महतो ने कमान संभाल ली है। वे जिला पार्षद के 19 सदस्यों को लेकर दार्जिलिंग रवाना हो गए हैं। विधायक के मनमुताबिक ही जिला परिषद अध्यक्ष बनाया जाएगा।
राजनीति में थ्री एम फैक्टर (मनी, मसल्स और मैनेज पावर) कोई नई बात नहीं है। इसका असर तो हर चुनाव में दिखता है लेकिन इस बार गांव की सरकार (त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव) बनाने में इसका व्यापक असर दिख रहा है। इसी थ्री फैक्टर का इस्तेमाल कर जिला परिषद अध्यक्ष के एक दावेदार 19 सदस्यों को लेकर दार्जिलिंग रवाना हो गए। एक बस तथा सात कार के काफिले के साथ शुक्रवार की दोपहर विधायक ढुलू महतो के समर्थक कहे जाने वाले शेखर सिंह के नेतृत्व में नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य तोपचांची से रवाना हुए।
काफिले के साथ थोड़ी दूर तक विधायक ढुलू महतो के भी जाने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की सीमा से विधायक लौट आए। सभी लोग पहले तारापीठ जाएंगे। यहां से दीघा होते हुए दार्जिलिंग पहुंचेंगे। जिला परिषद सदस्यों की मानें तो सब कुछ तय हो गया है और एक बार फिर विधायक ढुलू महतो किंग मेकर बनकर उभरे हैं। मतलब यह कि जिला परिषद अध्यक्ष विधायक ढुलू महतो के मनमुताबिक ही बनेंगे। इसके पहले भी रोबिन गोराई को जिला परिषद अध्यक्ष बनाने में ढुलू महतो की ही चली थी। टूर पर जाने वाले जिला परिषद के सभी सदस्यों के 15 जून की सुबह धनबाद पहुंचने की चर्चा है।
मनी पावर का खेल
चर्चाओं पर गौर करें तो मनी पावर का भी खेल खेला गया है। साथ देने के एवज में 17-17 लाख रुपए की डिलिंग किए जाने की बात कही जा रही है। अधिकतर सदस्यों को दो-दो लाख रुपए की पेशगी दे दी गई है। हालांकि उपाध्यक्ष पद की दावेदारी करने वाले दो सदस्यों के न तो पेशगी लेने तथा और न ही कोई अन्य रकम तय की है।
अध्यक्ष के लिए शारदा सिंह के नाम पर बनीं सहमति
दार्जिलिंग जा रहे जिला परिषद के सदस्यों की मानें तो बाघमारा के महुदा क्षेत्र संख्या-21 से जिला परिषद सदस्य में विजयी हुईं शारदा सिंह के नाम पर सहमति बनी है। हालांकि इसके पहले दो नामों पर चर्चा हुई थी लेकिन अंतिम रूप से शारदा सिंह को अध्यक्ष बनाने की बात तय हुई। शारदा सिंह महुदा राधा नगर की रहने वालीं हैं। उनके पति शेखर सिंह महुदा भाजपा मंडल के अध्यक्ष हैं। शेखर सिंह दो बार जिला परिषद का चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन एक बार भी जीत नहीं सके। उनकी धर्मपत्नी शारदा सिंह पहली बार मैदान में उतरीं और जीत दर्ज करने में सफल रहीं। उन्होंने राज्य सरकार के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो की पुत्रवधू रीना देवी को पराजित किया।
उपाध्यक्ष पद के कई दावेदार
अध्यक्ष पद के नाम पर तो सहमति बन गई है लेकिन उपाध्यक्ष पद को लेकर अभी भी जिच हैं। जानकारों की मानें तो इस पद के कई दावेदार हैं लेकिन दो दावेदारों के बीच पेच फंसा है। दो दावेदारों में एक तोपचांची तथा दूसरे गोविंदपुर क्षेत्र के हैं।
विकास महतो ने भी निभाई महती भूमिका
टूर पर जा रहे जिला परिषद सदस्यों की मानें तो तोपचांची प्रखंड से पहली बार जिला परिषद का चुनाव लड़ने व जीत हासिल करने वाले विकास महतो ने भी पूरे प्रकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूर्व में तोपचांची प्रखंड से भी मुखिया रहे विकास महतो मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। अपने संपर्क सूत्रों का इस्तेमाल कर जिला परिषद के सदस्यों को एकत्र करने में इनकी भूमिका भी बताई जाती है। संतोष का साथ बलियापुर प्रखंड से पूर्व मुखिया तथा एक नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य ने भी दिया।
महिला जिला परिषद के सदस्यों के पति भी हैं साथ
दार्जिलिंग टूर पर जा रहे जिला परिषद की महिला सदस्यों के साथ उनके पति भी हैं। कुछ के साथ परिवार के अन्य सदस्य भी है। सभी सदस्यों ने तोपचांची के होटल जोहार में बैठक की और दोपहर के भोजन के बाद दार्जिलिंग टूर के लिए निकल पड़े।
राजनीतिक दूरिया मिट गईं
जिला परिषद का चुनाव हालांकि दलीय आधार पर नहीं लड़ा गया था लेकिन चुनाव के बाद राजनीतिक दलों ने दावा करना शुरू कर दिया था की उनकी पार्टी से जुड़े लोगों ने जीत हासिल की है। दावे के मुताबिक भाजपा के सबसे अधिक 11 सदस्य विजयी हुए थे। आजसू के दो सदस्यों की जीत हुई थी। दोनों को मिलाकर 13 सदस्य भाजपा गठबंधन के हो गए थे। जिला परिषद की कुल 29 सीटों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनने के लिए कम से कम 15 वोटों की जरूरत है ऐसे में 15 के जादुई आंकड़े के सबसे निकट यही गठबंधन था। इसके साथ-साथ चुनाव के तुरंत बाद ही विधायक ढुलू महतो ने अध्यक्ष पद के लिए घेराबंदी शुरू कर दी थी। इसी घेराबंदी के कारण राजनीतिक दूरियां भी मिट गईं। कारण की दार्जिलिंग टूर पर जाने वाले 19 सदस्यों में झामुमो-कांग्रेस से नाता रखने वाले भी हैं।
बॉडीगार्ड व बाउंसर भी साथ में
जिला परिषद के कुछ सदस्य अपने बॉडीगार्ड तथा बाउंसरों को भी साथ में लेकर गए हैं। ऐसा उन्होंने सुरक्षा को देखते हुए कहा है। बाउंसर तथा बॉडीगार्ड की बात भी चर्चा का विषय बना रहा।
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