कांग्रेस कांके विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार को लेकर फिर से मंथन कर रही है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध और हंगामे के बाद पार्टी इस पर पुनर्विचार कर रही है। वहीं, कांग्रेस र्का ंसबल लेकर टिकट के लिए एक प्रत्याशी भाजपा का दरवाजा खटखटा रहे हैं। कांग्रेस ने पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को कांके से प्रत्याशी बनाया है। पार्टी उन्हें बदल सकती है। उनके जाति प्रमाण पत्र की वैधता का मामला फंस रहा है। सूत्रों ने बताया कि राजीव कुमार का जाति प्रमाण पत्र दूसरे राज्य का है। इस चुनाव में झारखंड से बना जाति प्रमाण पत्र अनिवार्य है।
अब वह नए सिरे से प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावना को देखते हुए उन्हें बदल सकती है। उधर, पार्टी में हटिया प्रत्याशी का भी विरोध है, लेकिन पार्टी उनकी उम्मीदवारी बदलने पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
10 सीटों पर बाहरी को टिकट दे चुकी है कांग्रेस : कांग्रेस अब तक 25 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का एलान कर चुकी है। इसमें 10 वैसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, जो या तो पिछले एक-दो महीने पहले पार्टी से जुड़े हैं या एकाध साल पहले। इससे पार्टी नेता के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में रोष दिख रहा है। दूसरे दलों से आये नेताओं में केपी यादव, रामचंद्र्र ंसह, राजीव कुमार, अजयनाथ शाहदेव, आरसी मेहता, जलेश्वर महतो, भूषण बारा, उमाशंकर्र ंसह अकेला, संजर्य ंसह और पूर्णिर्मा ंसह शामिल हैं।
भ्रम फैलाने की हो रही कोशिश : बन्ना गुप्ता
राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस का टिकट लेकर जमशेदपुर पश्चिमी से भाजपा के टिकट की दौड़ में बन्ना गुप्ता के शामिल होने की चर्चा रही। हालांकि उन्होंने इसे खारिज किया है। उन्होंने कहा कि भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है। वे जमशेदपुर पश्चिमी से कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार हैं।
वे पार्टी में पूरी तरह संतुष्ट हैं। शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा किया है और पार्टी प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में वे पार्टी से चले जायेंगे तो उनकी क्या विश्वसनीयता रह जायेगी। वे जनता से क्या कह कर वोट मांगेंगे?
यह सब कोरी अफवाह है।
बगावत के बाद मानस सिन्हा फिर हाथ के साथ
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा पार्टी से बगावत के बाद फिर से हाथ के साथ आ गये हैं। उन्होंने भवनाथपुर से पार्टी प्रत्याशी केपी यादव के खिलाफ निर्दलीय पर्चा दाखिर किया था, लेकिन शनिवार को नामांकन वापस ले लिया। पार्टी ने उन पर किसी तरह की कार्रवाई से इनकार किया है।
पार्टी के सह प्रभारी उमंर्ग ंसघार उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में कामयाब रहे। पार्टी के नेता-कार्यकर्ता दबे जुबान से चर्चा कर रहे हैं कि कार्यकारी अध्यक्ष थे, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अगर कोई दूसरा नेता-कार्यकर्ता होता तो उसे मनाना तो दूर बिना कारण पूछे निष्कासित कर दिया जाता। वहीं, कुछ नेता कह रहे हैं, जिस प्रकार मानस सिन्हा को मनाने की कोशिश की गई, अगर प्रदीप बलमुचू, सुखदेव भगत, मनोज यादव को की जाती तो पार्टी इस चुनाव में मजबूती से मुकाबला कर सकती थी।