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बेरोजगार बेटे की बेबसी! मां के अंतिम संस्कार तक के लिए नहीं थे पैसे, फंदे पर झूला मजबूर लाडला

झारखंड के देवघर जिले में दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। जिले के जसीडीह थाना क्षेत्र के चरकीपहाड़ी गांव में शनिवार को एक लड़के ने केवल इस वजह से आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पास अपनी मां...

बेरोजगार बेटे की बेबसी! मां के अंतिम संस्कार तक के लिए नहीं थे पैसे, फंदे पर झूला मजबूर लाडला
प्रतिनिधि,जसीडीह (देवघर)Sun, 27 Jun 2021 07:18 AM
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झारखंड के देवघर जिले में दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। जिले के जसीडीह थाना क्षेत्र के चरकीपहाड़ी गांव में शनिवार को एक लड़के ने केवल इस वजह से आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पास अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। मृतक की पहचान किशन चौधरी के तौर पर हुई है। किशन की मां पिछले तीन साल से लकवाग्रस्त होने के कारण काफी बीमार रहती थी। शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी मौत हो गई।

परिवार के सभी सदस्य एक शादी समारोह में शामिल होने गांव से बाहर सारठ के सरपत्ता गांव गए हुए थे। घर पर किशन चौधरी और उसका परिवार ही मौजूद था। घटना की जानकारी परिजनों को मिलने के बाद देर शाम तक घर के सभी सदस्य गांव पहुंच गये। अंधेरा होने के कारण परिवार के सदस्यों ने शनिवार सुबह दाह-संस्कार के लिए ले जाने का निर्णय लिया।

इस दौरान महिला के शव की देखरेख करने के लिए सभी सदस्य एक ही स्थान पर सोये थे। मगर अचानक छोटा लड़का किशन चौधरी देर रात कमरे में सोने चला गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। शनिवार सुबह परिवार के सदस्यों ने उसे जगाने की कोशिश की मगर काफी देर तक दरवाजा नहीं खोलने पर परिजनों के मन में शंका हुई और परिजनों ने किसी प्रकार कमरे में झांककर देखा। 

लोगों की नजर छत में लगी लकड़ी के बल्ली से फांसी के फंदे से झूल रहे किशन के शव पर पड़ी। इसके बाद घर में कोहराम मच गया। घटना की जानकारी परिजनों ने जसीडीह पुलिस को दी। सूचना पर एसआई गुलाम गोश हुस्सामी सदलबल मौके पर पहुंचे व स्थिति का जायजा लेते हुए मां और बेटे का शव अंत्यपरीक्षण के लिए सदर अस्पताल देवघर भेज दिया है। 

पुलिस की ओर से की गई पूछताछ में परिजनों ने बताया कि मृत युवक दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था। लॉकडाउन के कारण उसे प्रतिदिन मजदूरी का काम भी नहीं मिल पाने के कारण परिवार चलाने में भी कठिनाई हो रही थी। वह अपनी मां के वृद्धा पेंशन और सरकारी राशन पर निर्भर रह रहा था। मां की मृत्यु हो जाने के बाद उसके सामने दाह-संस्कार और श्राद्धकर्म के लिए लिए पैसे नहीं थे। 

हालांकि बड़े भाई मनोहर चौधरी ने भरोसा दिया था कि किसी प्रकार की समस्या नहीं होने देंगे, परंतु उनकी भी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। अंतत: किशन ने यह कदम उठा लिया। मृत युवक विवाहित था और उसके दो बेटे व एक बेटी भी है। उधर क्षेत्र में मां और बेटे की हुई मौत से गांव में मातम छाया हुआ है। परिवार से एक साथ मां-बेटे का शव निकलने से आसपास के क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया है।

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