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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: निजी स्कूल में चपरासी पिता की पूरी हुई जिद, बेटी को देखने टीवी से चिपके रहे  

झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर 1385 नवनियुक्त शिक्षक नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे थे। इनमें हजारीबाग से आई 33 साल की गीता कुमारी भी शामिल थी। हाथों में राज्य सरकार का ब्रोशर, क्रीम कलर की मैरून पार वाली...

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: निजी स्कूल में चपरासी पिता की पूरी हुई जिद, बेटी को देखने टीवी से चिपके रहे  
अभिषेक,रांची Fri, 16 Nov 2018 06:51 PM
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झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर 1385 नवनियुक्त शिक्षक नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे थे। इनमें हजारीबाग से आई 33 साल की गीता कुमारी भी शामिल थी। हाथों में राज्य सरकार का ब्रोशर, क्रीम कलर की मैरून पार वाली साड़ी और सिर पर गुलाबी पगड़ी लगाकर गीता काफी खुश दिख रही थी। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि परिवार में चपरासी पिता को अब हाथ बंटाने में वह सहयोग कर पाएगी। इस बात की खुशी थी की वह अपने पिता का सपना पूरा कर पाएंगी। गीता मंच पर सरकार की ओर से हो रही घोषणाएं सुनकर तालियां बजा रही थीं। पूछने पर बताया कि आज मेरे परिवार के लिए गौरव का दिन है। पिता मेरी नियुक्ति से काफी खुश है। सुबह जब घर से निकली तो टीवी चल रहा था, ताकि वह अपनी बेटी को नियुक्ति पत्र लेते देख सकें। 
पिता के संघर्ष ने रंग लाया : गीता ने बताया कि उनके पिता निजी स्कूल के चपरासी थे। उनके ऊपर पांच बेटियों की जिम्मेदारी थी। स्कूल के दिनों से ही पिता अच्छी शिक्षा लेकर सरकारी नौकरी के लिए प्रेरित करते थे, ताकि बेटियां वह संघर्ष न करें जो पिता ने किया है। गीता ने कहा कि यही वह पल था, जब उन्होंने शिक्षिका बनने की ठानी। इसके अलावा गीता की अन्य दो बहनें भी सरकारी बैंक में पीओ और क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। स्कूल की शिक्षा से हुई प्रभावित : बचपन की घटना को याद करते हुए गीता ने बताया कि जब वह प्राथमिक वर्ग में थी, तभी से शिक्षक की भूमिका उन्हें भा गई। इसके बाद से ही उन्होंने अपने पेशे के रूप में शिक्षिका बनना चुना। बड़े होकर कॉलेज में जब विषय चुनना था, तब गीता ने अंग्रेजी विषय चुना। गीता कहती है कि इस विषय से हमारे इलाके के लोग दूर भागते थे, ऐसे में अंग्रेजी विषय को ही चुनौती के रूप लिया और इसी विषय की शिक्षिका बनने की ठानी।  
शादी के 12 साल बाद बनी शिक्षिका
बीए पार्ट-वन के दौरान ही गीता की शादी हो गई। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। इसमें पिता ने भी काफी मदद की और विभिन्न जिम्मेदारियों के अलावा पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में शादी के बाद 12 साल लग गए, किंतु पढ़ाई करती रही। गीता कहती है कि वह विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिकों की कार्यशैली बदलना चाहती है। ऐसे में उसका बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा देना ही लक्ष्य होगा।  

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