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झारखंड: खूंटी से तीनों अगवा जवानों का अबतक पता नहीं, घाघरा गांव को पुलिस ने कराया खाली, आंसू गैस के गोले भी दागे

झारखंड के खूंटी के घाघरा गांव से अगवा हुए तीनों जवानों का अबतक पता नहीं चल पाया। घाघरा गांव में सुबह से ही तनाव का माहौल है. जैसे ही रैप के जवान घाघरा गांव पहुंचे , ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया।...

आमने सामने रैफ और पथलगड़ी  समर्थक
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रांची, हिन्दुस्तान टीमWed, 27 Jun 2018 11:57 AM
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झारखंड के खूंटी के घाघरा गांव से अगवा हुए तीनों जवानों का अबतक पता नहीं चल पाया। घाघरा गांव में सुबह से ही तनाव का माहौल है. जैसे ही रैप के जवान घाघरा गांव पहुंचे , ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगमा को बढ़ते देख पुलिस ने रबर बुलेट और आंसूगैस के गोले भी छोड़े। गांव में पुलिस ने सैकड़ों लोगों को एक जगह बैठा रखा है। कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि अगवा . उधर, अगवा तीनों जवान अभी तक पथलगड़ी समर्थकों के कब्जे में हैं। अगवा पुलिसकर्मियों में सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सियोन सुरीन शामिल हैं। हमलावरों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। बताते चलें की पत्थलगड़ी समर्थकों ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसद करिया मुंडा के तीन अंगरक्षकों का अपहरण कर लिया था. 
 


इससे पहले, कड़िया मुंडा और उनके पुत्र अभी दिल्ली में हैं, जबकि बहू आवास के अंदर थी। हमलावरों ने कड़िया मुंडा के परिजनों अथवा आसपास के ग्रामीणों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। हमले के समय आवास में तैनात अंगरक्षक बैजू उरांव ने आवास का ग्रिल बंद कर लिया था जिसके कारण पत्थलगड़ी समर्थक आवास के अंदर नहीं पहुंच सके। 

तीन घंटे तक नहीं पहुंची पुलिस
पत्थलगड़ी समर्थकों का आतंक इतना ज्यादा है कि शाम के पांच बजे तक पुलिस कड़िया मुंडा के आवास पर नहीं पहुंची थी, जबकि खूंटी जिला मुख्यालय से चांडडीह की दूरी मात्र छह किलोमीटर है। शाम पांच बजे के बाद पुलिस बल बड़ी संख्या में चांडडीह के लिए रवाना हुआ। पुलिस बल के साथ खूंटी के उपायुक्त और एसपी भी शामिल थे। 

जवानों को घसीटकर ले गये
सांसद व पूर्व लोकसभा उपाध्‍यक्ष कड़िया मुंडा की भाभी चीरेश्वरी देवी ने बताया कि हमले के समय तीनों जवान सादे पोशाक में घर के बाहर बैठे थे। हमलावर उन्हें घसीटते हुए ले गये। उन्होंने हथियार ले जाते हुए नहीं देखा। लेकिन कड़िया मुंडा के अंगरक्षक बैजू उरांव ने बताया कि जवानों के कमरे में पांच इंसास राइफलें थीं। इनमें से केवल एक ही राइफल बची हुई है। इसका मतलब है कि चार इंसास राइफल पत्थलगड़ी समर्थक लूटकर ले गये हैं। बैजू उरांव ने हमले के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी। वहां से लगभग साढ़े तीन किलोमीटर दूर घाघरा गांव में पत्थलगड़ी के बाद सभा चल रही थी। गांव में चर्चा थी कि पत्थलगड़ी समर्थकों ने अगवा जवानों को घाघरा गांव के सभास्थल के पास ही बैठा कर रखा था। 

युसुफ पूर्ति के घर छापामारी
दरअसल, पुलिस सोमवार की देर रात से ही पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के मूड में थी। मंगलवार को तड़के तीन बजे पुलिस ने मुरहू प्रखंड स्थित गांव उदीबुरू में युसुफ पूर्ति के घर छापा मारा। युसुफ पूर्ति को छापामारी की भनक लग गई थी और वह वहां से निकल गया। युसुफ पूर्ति का आरोप है कि पुलिस ने उसके घर में काफी तोड़फोड़ की और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। 

लाठीचार्ज के बाद हमला
मंगलवार को खूंटी प्रखंड के ही घाघरा गांव में पत्थलगड़ी होने वाली थी। इस कार्यक्रम में पत्थलगड़ी समर्थकों के नेता युसुफ पूर्ति और जॉन जुनास तिड़ू को भी भाग लेना था। इस कार्यक्रम को रोकने और दोनों नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस घाघरा की तरफ रवाना हुई। बीच रास्ते में कड़िया मुंडा का गांव चांडडीह है। वहीं पुलिस की पत्थलगड़ी समर्थकों से भिड़ंत हो गई। पुलिस ने समर्थकों को वापस लौट जाने के लिए कहा, लेकिन समर्थक अड़ गये। जब मान-मनौव्वल काम नहीं आया, तो पुलिस ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर लाठी चार्ज कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। इसके बाद पुलिस वापस खूंटी लौट आई। इधर वहां पत्थलगड़ी समर्थक फिर से जुटे। वहां उन्हें पता चला कि लाठी चार्ज करने वाला एक पुलिसकर्मी कड़िया मुंडा के घर आया है। उसे खोजते हुए पत्थलगड़ी समर्थक कड़िया मुंडा के आवास पर पहुंचे। इसके बाद वे लोग वहां तैनात पुलिस के जवानों को घसीटते हुए लेकर चले गये।  पत्थलगड़ी समर्थकों के नेता युसुफ पूर्ति से इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि वे जवान सुरक्षित हैं और उन्हें ग्रामसभा ने अपनी कस्टडी में लिया है। 

आपको बता दें कि झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में इन दिनों पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ी हुई है। यहां ग्रामसभाओं में आदिवासी पत्थलगड़ी के माध्यम से स्वशासन की मांग कर रहे हैं। कई गांवों में आदिवासी, पत्थलगड़ी कर ‘अपना शासन, अपनी हुकूमत’ की मांग कर रहे हैं। सिर्फ इताना ही नहीं ग्राम सभाएं अब  फरमान तक जारी करने लगी है। इसके अलावा पहले भी कई गांवों में पुलिस वालों को घंटों बंधक बना लिए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

क्या है पत्थलगड़ी

आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान/संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों–दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सूपतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।

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