एनजीओ से कमीशन लेकर हुआ शेल्टर होम का आवंटन
गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) द्वारा संचालित शेल्टर होम के आवंटन में भारी पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। पूरे मामले में समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी की भूमिका संदेहास्पद है। राज्य पुलिस ने शेल्टर होम के...
गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) द्वारा संचालित शेल्टर होम के आवंटन में भारी पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। पूरे मामले में समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी की भूमिका संदेहास्पद है। राज्य पुलिस ने शेल्टर होम के आवंटन में गड़बड़ी से संबंधित एक गोपनीय रिपोर्ट आठ अगस्त को सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक, कमीशन लेकर एक ही संस्था को एक से अधिक जिलों में होम संचालन का कार्य आवंटित किया गया है।
बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के गठन में भी रांची, बोकारो, दुमका, धनबाद में पैरवी के आधार पर अध्यक्ष व सदस्यों का चयन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक आईएएस अधिकारी की परिचित व एक निजी कंपनी में एचआर मैनेजर रही रूपा कुमारी को रांची का अध्यक्ष जबकि स्कूल शिक्षका लीना केरकेट्टा को खूंटी जिला सीडब्ल्यूसी का सदस्य बनाया गया। समाजसेवियों का चयन इसके लिए नहीं किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, धनबाद में अनिल कुमार सिंह को धनबाद सीडब्ल्यूसी का अध्यक्ष बनाया गया था, आपराधिक कांड में जेल जाने के बाद उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद दुबारा उन्हें सीडब्ल्यूसी का अध्यक्ष बनाया गया।
शेल्टर होम के चयन में कैसे हुई गड़बड़ी
ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान
इस संस्था को पूर्वी सिंहभूम, कोडरमा, दुमका, धनबाद में सात विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान और बाल गृह आवंटित हैं। जांच में यह बात सामने आयी है कि संस्था का प्रधान कार्यालय पटना में है। झारखंड में यह संस्था निबंधित भी नहीं है। जिन जिलों में संस्था के एडॉप्शन सेंटर व शेल्टर होम हैं, उन जिलों में संस्था को कोई कार्यालय तक नहीं है।
सहयोग विलेज
सहयोग विलेज को खूंटी, सिमडेगा, रांची, चतरा, बोकारो और गढ़वा में एडॉप्शन सेंटर व शेल्टर होम का आवंटन किया गया है। सहयोग विलेज संस्था बच्चों का विदेशों में भी एडॉप्शन कराती है। सहयोग विलेज में रविवार को दो नाबालिगों की मौत हो गई थी। वहीं सहयोग विलेज के नारी निकेतन से दो नाबालिग बच्चियां कुछ दिन पूर्व भाग गई थीं। नाबालिग बच्चियों के भागने की सूचना सीडब्लूसी खूंटी को नहीं दिया गया था। खूंटी सीडब्ल्यूसी ने जांच के दौरान गड़बड़ी पकड़ी, इसके बाद इसकी जानकारी डीसी खूंटी को दी। सहयोग विलेज के एक ही कैंपस में पांच शेल्टर होम का संचालन भी हो रहा है। लेकिन महज पांच स्टाफ के भरोसे सारे होम चलाए जा रहे हैं। लड़कियों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से होम को उपयुक्त नहीं माना गया था।
महिला समाख्या सोसाइटी
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने संस्था को साल 2016 में वित्तिय मदद देना बंद कर दिया था। लेकिन राज्य सरकार के द्वारा अब भी संस्था का वित्तिय सहयोग दिया जा रहा है। महिला समाख्या सोसायटी में बालाश्रय में दो माह पूर्व एक बच्चे की मौत हो गई थी। लेकिन इसकी सूचना उक्त संस्था के द्वारा छिपायी गयी थी।