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बीआरओ के बाद अब एलएंडटी को चाहिए झारखंड के पांच हजार कुशल श्रमिक

लॉकडाउन की मार के बीच झारखंड के श्रमिकों के संगठित रूप से दूसरे राज्यों में जाकर काम करने की प्रक्रिया बदल रही है। देश की जानी-मानी कंपनियां राज्य के श्रमिकों के हुनर की वाजिब कीमत देने को तैयार होने...

बीआरओ के बाद अब एलएंडटी को चाहिए झारखंड के पांच हजार कुशल श्रमिक
रांची। सत्यदेव यादवWed, 24 Jun 2020 02:03 AM
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लॉकडाउन की मार के बीच झारखंड के श्रमिकों के संगठित रूप से दूसरे राज्यों में जाकर काम करने की प्रक्रिया बदल रही है। देश की जानी-मानी कंपनियां राज्य के श्रमिकों के हुनर की वाजिब कीमत देने को तैयार होने लगी है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के बाद अब एलएंडटी झारखंड के श्रमिकों को निर्माण क्षेत्र में काम देने के लिए आगे आई है। कंपनी ने झारखंड से पांच हजार श्रमिकों के लिए अनुरोध किया है। विशाखापट्टनम और महाराष्ट्र की परियोजनाओं में कंपनी झारखंड के श्रमिकों को काम देगी। सरकार श्रमिकों को बेहतर व्यवस्था बनाकर भेजने की तैयारी कर रही है। 

इस नई प्रक्रिया के कारण ही भारत-चीन सीमा की कठिनतम परिस्थितियों में काम करने वाले मजदूरों के साथ होने वाला बिचौलियों का शोषण चालीस साल बाद आखिरकार खत्म हुआ। संताली श्रमिकों को बीआरओ ने सीधे निबंधित करके और उनकी क्षमता के अनुसार लिखित समझौता करके 20 प्रतिशत बढ़ोतरी पर 16 से 28 हजार तक मजदूरी तय की है। कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य, आवास, यात्रा भत्ता के अलावा राशन के लिए तीन हजार अलग से मिलेंगे।  

एलएंडटी ने निर्माण क्षेत्र के हुनरमंद श्रमिकों की जरूरत बताई है। दूसरी ओर लॉकडाउन के कारण राज्य में वापस लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों की ग्रामीण विकास विभाग की ओर से कराई जा रही स्किल मैपिंग में सबसे अधिक निर्माण क्षेत्र के ही कुशल कामगार मिले हैं। इनमें पेंटर, बढ़ई, मिस्त्री, राज मिस्त्री की संख्या पचास हजार से अधिक है। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो देश के हर कोने कारगिल की चोटी से दमन दिऊ, गुजरात से नागालैंड तक में फंसे श्रमिकों ने वापसी के लिए सरकार से मदद मांगी। झारखंड के श्रमिकों के पलायन के ऐसे विस्तार से सरकार भी अनजान थी। खुद सीएम सोरेन ने यह बात कही है। अब जैसे-जैसे लॉकडाउन खोल कर आर्थिक गतिविधियां शुरू की जा रही हैं, वैसे-वैसे झारखंड के श्रमिकों की मांग बढ़ती जा रही है। 

एलएंडटी के लिए श्रमिकों की स्किल मैपिंग शुरू: कंपनी को निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों की जरूरत है। इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रमिकों की स्किल मैपिंग करने का निर्देश दिया है। सरकार ऐसे श्रमिकों की सूची तैयार कर एलएंडटी से साझा करेगी। इसके लिए एक कार्य योजना तैयार की जाएगी, ताकि श्रमिकों के पूरे हक के साथ भेजा जाए। उनका पूरा रिकॉर्ड सरकार और संबंधित जिले के पास रहे। उन्हें श्रम कानून के तहत न्यूनतम मजदूरी मिले। साथ में आवास, स्वास्थ्य, यात्रा भत्ता का लाभ दिलाया जा सके। तमाम बिंदुओं पर फ्रेमवर्क पूरा होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

मजदूरों को फायदे
लद्दाख में झारखंड के श्रमिकों की एक तिहाई मजदूरी बिचौलिये रख लेते थे
पहले उन्हें बामुश्किल नौ-दस हजार तक मजदूरी मिल पाती थी
प्रोजेक्ट पूरा होने पर लौटते वक्त श्रमिकों का एटीएम रख लेते थे बिचौलिये
सरकार की पहल से अब श्रमिकों की उनकी कुशलता के अनुसार 16 से 28 हजार तक मजदूरी तय
राशन के लिए तीन हजार रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे
इसके अतिरिक्त यात्रा भत्ता, आवास सुविधा, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य लाभ मिलेगा
जिला प्रशासन के पास अब रिकॉर्ड है, वह चीन सीमा पर मजदूरों का हाल लेते रहेंगे
ऐसे ही अधिकार और कल्याण की शर्तों पर श्रमिकों को विशाखापटनम भेजने की तैयारी है
 

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