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लॉकडाउन के 50 दिन : कोरोना से संयम और शक्ति के साथ लड़ा झारखंड  

अपने सीमित संसाधनों के बावजूद कोरोना के खिलाफ झारखंड पूरी शक्ति और संयम के साथ लड़ रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि इस प्रदेश ने एक तरफ तो अपने यहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार को काफी हद तक कम कर लिया है...

लॉकडाउन के 50 दिन : कोरोना से संयम और शक्ति के साथ लड़ा झारखंड  
हिटी,रांची Wed, 13 May 2020 05:33 PM
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अपने सीमित संसाधनों के बावजूद कोरोना के खिलाफ झारखंड पूरी शक्ति और संयम के साथ लड़ रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि इस प्रदेश ने एक तरफ तो अपने यहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार को काफी हद तक कम कर लिया है और दूसरी तरफ इस बीमारी से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़ी है।  रफ्तार के कम होने का सिलसिला इस तरह देखा जा सकता है कि मई के पहले दस दिनों में पूरे सूबे में मात्र 49 मरीज मिले हैं, जबकि अप्रैल महीने के अंतिम दस दिनों में यह संख्या 61 थी। 12 मई  तक सूबे में कोरोना के 171 मरीज मिल चुके हैं। इनमें मरने वालों की संख्या मात्र तीन है। ये तीनों लोग बुजुर्ग थे और उन्हें कई दूसरी तरह की बीमारियां भी थीं। दूसरी तरफ सूबे में इस बीमारी से पीड़ित 78 मरीज यानी लगभग 46 प्रतिशत लोग स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौट चुके हैं। अस्पतालों में भर्ती अन्य मरीजों की हालत में भी तेजी से सुधार हो रहा है। कोरोना पर काबू पाने के लिए झारखंड ने मरीजों की जांच और स्क्रीनिंग की भी रफ्तार तेज की है। मंगलवार की सुबह तक राज्य में 22 हजार 815 सैंपल की जांच हो चुकी थी। जांच की प्रक्रिया जारी है। पेश है रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौरान राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत हुई : कोरोना के कारण किए गए लॉकडाउन में स्वास्थ्य व्यवस्था में काफी बदलाव हुए हैं। सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि सरकार अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था का सही-सही आकलन कर पाई है। साथ ही विषम परिस्थिति में विभागों के आपसी सामंजस्य से बिना देर किए हुए किसी संक्रामक बीमारियों को कंट्रोल करने की क्षमता विकसित हुई है। निजी क्षेत्रों में बगैर निर्भरता के सरकार पूरी तरह सरकारी व्यवस्था पर कैसे काम किया जाए इसमें सीख पाई है। मानसिक रूप से परेशान लोगों के सहयोग के लिए मनोचिकित्सकों द्वारा ई काउंसलिग दी जा रही है। कोरोना की स्क्रीनिंग के बहाने सभी जिलों में टीबी जांच की मशीन ट्रूनेट लगाई जा रही है। फिलहाल पांच जिलों में लगा दी गई है।  कोरोना के बहाने ही सही राज्य में पांच जगहों पर बीएसएन टू लेवल के वायरोलॉजी लैब की स्थापना हो गई। फिलहाल यहां कोरोना की जांच हो रही है। जो जांच पहले एनआईवी पूणे या कोलकाता में किए जाते थे। भविष्य में इन लैब में अन्य बीमारियों की जांच भी होगी।
  
जिलों में टीबी जांच की व्यवस्था : कोरोना की स्क्रीनिंग के बहाने सभी जिलों में टीबी जांच की मशीन ट्रूनेट लगायी जा रही है। फिलहाल पांच जिलों में लगा दी गई है।
ई-ओपीडी : जनमानस को स्वास्थ्य परामर्श देने के लिए ई ओपीडी की शुरुआत की गई। इसके माध्यम से टेलीकाउंसिलिंग और वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मरीजों को घर बैठे ही ओपीडी सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।  

जूम एप पर ट्रेनिंग : लॉकडाउन के कारण अब प्रशिक्षण भी ऑनलाईन ही दिया जा रहा है। कोरोना की रोकथाम से जुड़े चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ साथ जांच लैब में कार्यरत चिकित्सक व कर्मियों को भी बिना यहां वहां आए गए ही प्रशिक्षण दिया गया। 

सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए दूरदर्शन बना पढ़ाई का साधन : कोरोना संकट के कारण झारखंड के स्कूल पिछले 55 दिनों से बंद है। लेकिन इस प्रदेश के बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकी है। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराने की पहल की है। इसके लिए दूरदर्शन, यूटयूब और व्हाट्सएप ग्रुप का सहारा लिया जा रहा है। इसके साथ-साथ मिड डे मील का चावल और उसकी कुकिंग कॉस्ट की राशि भी बच्चों के घर तक पहुंचाई जा रही है। शिक्षा विभाग दूसरी से 12वीं  के बच्चों को  हर दिन व्हाट्सएप के जरिए डिजिटल कंटेंट उपलब्ध करा रहा है।  साथ ही, दूरदर्शन के माध्यम से भी  कोर्स का स्टडी मटेरियल देने की शुरुआत की गई है। सोमवार से शुक्रवार तक हर दिन तीन घंटे का प्रसारण किया जा रहा है। इससे सूबे के लगभग 50 लाख छात्रों को लाभ हुआ है। शिक्षा विभाग ने 2020-21 का शैक्षणिक सत्र  संशोधित कर दिया है। 15 जून से नया सत्र स्कूलों में प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। शैक्षणिक सत्र छोटा होने पर स्कूल अवधि हर दिन एक घंटे  ज्यादा बढ़ाने और शनिवार को  हाफ डे की जगह फुल डे क्लास लेने का निर्णय लिया गया है। 

प्रदेश के हर जरूरतमंद तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की : लॉकडाउन की अवधि में राशन को लेकर कई बदलाव देखने को मिले। पिछले 50 दिनों में राज्य के 58 लाख राशन लाभुकों को अप्रैल, मई और जून माह का राशन मिलने लगा। इसमें सरकार की ओर से दो माह का राशन एक ही माह में दिया गया। साथ ही केंद्र सरकार की पहल पर तीन माह तक पांच किलो अनाज प्रति सदस्य को नि:शुल्क दिया जा रहा है। इसके अलावा ऐसे सात लाख परिवारों को जिन्होंने राशन कार्ड के लिए आवेदन किया था लेकिन राशन कार्ड नहीं मिला था उन्हें दस-दस किलो अनाज उपलब्ध कराया गया। इसके अतिरिक्त जिन लोगों ने राशन कार्ड के लिए आवेदन नहीं किया था वैसे लोगों को खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा आवेदन के लिए जागरूक किया गया और आवेदन करने के साथ ही उन्हें फिलहाल दो माह का राशन दिया जा रहा है। राशन आवंटन के साथ-साथ खाद्य-आपूर्ति विभाग ने उज्जवला योजना में एलपीजी गैस सिलेंडर की तीन माह तक नि:शुल्क व्यवस्था की गई। उज्जवला के लाभुकों को इसका लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा दाल-भात केंद्रों की संख्या करीब 400 से बढ़ाकर 1300 के आसपास कर दी गई। जहां पर लोगों को 31 मई तक खिचड़ी नि:शुल्क खिलायी जा रही है। 

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