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झारखंड के 42 फीसदी वेतनभोगी कामगारों को लॉकडाउन के दौरान नहीं मिला वेतन

लॉकडाउन के दौरान झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र भारी संख्या में प्रवासी और अप्रवासी मजदूर बेरोजगार हुए। यहां तक कि 42 फीसदी वेतनभोगी कामगारों को लॉकडाउन के दौरान वेतन नहीं मिला। यह खुलासा ग्रामीण आजीविका...

झारखंड के 42 फीसदी वेतनभोगी कामगारों को लॉकडाउन के दौरान नहीं मिला वेतन
रांची। प्रशांत झाWed, 22 Jul 2020 02:34 AM
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लॉकडाउन के दौरान झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र भारी संख्या में प्रवासी और अप्रवासी मजदूर बेरोजगार हुए। यहां तक कि 42 फीसदी वेतनभोगी कामगारों को लॉकडाउन के दौरान वेतन नहीं मिला। यह खुलासा ग्रामीण आजीविका पर बेंगलुरू के अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा कई संस्थानों के सहयोग से किए गए सर्वे में हुआ है।

12 राज्यों में किया गया सर्वेः अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, कोलकाता के पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति, अहमदाबाद के इंपलाय वुमेंस एसोसिएशन व आगा खां रूरल सपोर्ट प्रोग्राम, नई दिल्ली के सृजन व प्रदान और आंध्र प्रदेश के समालोचन संस्थान के सहयोग से यह सर्वे किया है। अहमदाबाद, बंगलुरू, दिल्ली, जयपुर आदि बड़े शहरों के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, कनार्टक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगना आदि बारह राज्यों में सर्वे किया गया। 

झारखंड में 76 फीसदी मजदूर काम विहीन रहेः सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान देश में 81 फीसदी प्रवासी मजदूर और 64 फीसदी अप्रवासी मजदूरों का रोजगार छूटा। देश के 74 फीसदी मजदूरों को राशन मिल पाया। झारखंड की बात की जाए तो राज्य में लॉकडाउन के दौरान 76 फीसदी मजदूर कामविहीन रहे। राज्य के 89 फीसदी किसान अपना उत्पाद उचित मूल्य पर नहीं बेच सके।

77 फीसदी लोगों ने कम भोजन कियाः रिपोर्ट में यह भी बात सामने आई है कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के 27 फीसदी कामगार परिवार सामान्य दिनों से लॉक डुन के दौरान कम भोजन किया। इसी तरह 27 फीसदी परिवार ऐसे थे, जिनके पास हफ्ते भर तक भोजन खरीदने के लिए राशि नहीं थी। हालांकि इन सबके बीच एक अच्छी बात यह रही कि 10 में से आठ परिवार को किसी न किसी माध्यम से सहायता के रूप में राशन मिला। सर्वे लॉकडाउन के समय की स्थिति पर हुआ है। लॉकडाउन में सबसे अधिक असर कामगारों के रोजगार पर पड़ा। उनके रोजगार छूटे। ग्रामीण क्षेत्र में किसान, मजदूर व प्रवासी मजदूरों के परिवारों को भोजन की समस्या से जूझना पड़ा। उनके पास खाद्यान्न खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। अब हमारी टीम अनलॉक के बाद की स्थिति पर सर्वे शुरू कर रही है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के कितने लोगों को वापस रोजगार मिला। उनकी पहले की तरह स्थिति हुई या नहीं। इन सब बातों का अध्ययन किया जाएगा।- अमित बासोल, एसोसिएट प्रोफेसर, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बंगलोर

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