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झारखंड के 12 हजार वकीलों को मिली राहत, जानिए कबतक मिली मोहलत और क्यों

झारखंड के 12 हजार वकीलों को राहत मिली है। इन वकीलों को अपनी नियमित प्रैक्टिस का प्रमाण देने के लिए अब 31 दिसंबर तक की मोहलत दी गई है। नियमित प्रैक्टिस का प्रमाण के साथ वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों का...

झारखंड के 12 हजार वकीलों को मिली राहत, जानिए कबतक मिली मोहलत और क्यों
रांची। प्रमुख संवाददाताFri, 13 Nov 2020 11:10 PM
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झारखंड के 12 हजार वकीलों को राहत मिली है। इन वकीलों को अपनी नियमित प्रैक्टिस का प्रमाण देने के लिए अब 31 दिसंबर तक की मोहलत दी गई है। नियमित प्रैक्टिस का प्रमाण के साथ वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन भी कराना है। इसके पूर्व 15 नवंबर तक ही ब्योरा भेजने को कहा गया था। लेकिन बार संघों के आग्रह के बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने तिथि बढ़ा कर 31 दिसंबर कर दी है।
राज्य में झारखंड बार कौंसिल से करीब 30 हजार वकील निबंधित हैं और अभी तक 19 हजार ने ही अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है। वकीलों को 15 नवंबर तक ब्योरा देने का अंतिम अवसर दिया गया था। इसके पूर्व भी दो बार तिथि बढ़ायी जा चुकी है। बार कौंसिल ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी स्थिति में तिथि नहीं बढ़ायी जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल के वेरिफिकेशन रूल्स 2015 के तहत सभी बार कौंसिल को वकीलों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन को अनिवार्य बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया है। इसके बाद सभी बार कौंसिल प्रमाणपत्रों का सत्यापन करा रहे हैं। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने भी राज्य के सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों को सत्यापन कराने का निर्देश दिया था। लेकिन 12 हजार वकीलों ने इसके लिए फॉर्म नहीं भरा है। सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों के साथ एक फॉर्म भर कर देना होता है। फिर बार कौंसिल संबंधित विश्वविद्यालय और संस्थानों में प्रमाणपत्रों को जांच के लिए भेजता है। सत्यापन पूरा होने के बाद वकील को कौंसिल के सभी कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट मिलती है। साथ ही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और कौंसिल के चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलती है।

वकीलों को अपने नियमित प्रैक्टिस का भी प्रमाणपत्र देना होगा। वकीलों को अपने जिला बार संघों से नियमित प्रैक्टिस के प्रमाणपत्र के साथ कोर्ट के कुछ आदेश भी जमा करने होंगे, जिसमें उनकी बहस करने का उल्लेख किया गया हो।

फॉर्मेंट के अनुसार ही देना होगा ब्योरा : वकीलों को बार कौंसिल ने एक फोर्मेट भेजा है। वकीलों को नाम, पता, फोन नंबर, व्हाट्सएप नंबर, ईमेल आईडी, इनरोलमेंट नंबर, प्रैक्टिस का स्थान, आवासीय और कार्यालय का पता आदि जानकारी देनी होगी। बार कौंसिल के अनुसार वर्तमान परिस्थिति में यदि किसी स्थिति में बीसीआई को वकीलों से सीधे संपर्क करना पड़े, तो इसके लिए पूरा ब्योरा रखा जाना जरूरी है। बीसीआई ने सभी जिला और सदस्यों से ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से आवश्यक सूचनाएं मांगने और उसे जमा कर सीधे बार काउंसिल ऑफ इंडिया को ईमेल के माध्यम से भेजने को कहा है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया सूचनाओं को सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के पास भेज देगा। बार कौंसिल ऑफ इंडिया कोई ऐसा ग्रुप या एप बनाएगा, जिससे वह सीधे तौर पर देश भर के अधिवक्ताओं से संपर्क स्थापित कर सके। 

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