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झारखंड के 12 हजार वकीलों की प्रैक्टिस पर खतरा, जानिए क्या है कारण

झारखंड के आठ हजार वकीलों की प्रैक्टिस पर खतरा मंडरा रहा है। इन वकीलों ने यदि अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं कराया, तो इनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे और वकालत पर रोक लगा दी जाएगी। सत्यापन के लिए...

झारखंड के 12 हजार वकीलों की प्रैक्टिस पर खतरा, जानिए क्या है कारण
रांची। प्रमुख संवाददाताSat, 07 Nov 2020 10:46 PM
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झारखंड के आठ हजार वकीलों की प्रैक्टिस पर खतरा मंडरा रहा है। इन वकीलों ने यदि अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं कराया, तो इनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे और वकालत पर रोक लगा दी जाएगी। सत्यापन के लिए झारखंड बार कौंसिल सभी वकीलों को अंतिम अवसर प्रदान कर रहा है। अगस्त तक सभी को सत्यापन करा लेना होगा। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों के बार कौंसिल को वकीलों का सत्यापन कराने का निर्देश दिए जाने के बाद वकीलों को अंतिम अवसर दिया गया है। राज्य में झारखंड बार कौंसिल से करीब 30 हजार वकील निबंधित हैं और अभी तक 19 हजार ने ही अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है। वकीलों को 15 नवंबर तक ब्योरा देने का अंतिम अवसर दिया गया है। इसके पूर्व दो बार तिथि बढ़ायी जा चुकी है। बार कौंसिल ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी स्थिति में तिथि नहीं बढ़ायी जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल के वेरिफिकेशन रूल्स 2015 के तहत सभी बार कौंसिल को वकीलों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन को अनिवार्य बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया है। इसके बाद सभी बार कौंसिल प्रमाणपत्रों का सत्यापन करा रहे हैं। के बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया  ने राज्य के सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों को सत्यापन कराने का निर्देश दिया  था। लेकिन 12 हजार वकीलों ने इसके लिए फॉर्म नहीं भरा है। सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों के साथ एक फॉर्म भर कर देना होता है। फिर बार कौंसिल संबंधित विश्वविद्यालय और संस्थानों में प्रमाणपत्रों की जांच के लिए भेजती है। सत्यापन पूरा होने के बाद वकील को कौंसिल के सभी कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट मिलती है। साथ ही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और कौंसिल के चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलती है।

प्रमाणपत्र गुम और फट जाने की दे रहे दलील : राज्य के अधिकांश वकील इस नियम का विरोध कर रहे हैं। वकीलों का कहना है कि वे 40 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनका प्रमाणपत्र अब फट गया है। कुछ वकीलों का कहना है कि प्रमाणपत्र गुम हो गया है। इतने साल प्रैक्टिस करने के बाद फिर से प्रमाणपत्र  की जांच कराने का निर्णय उचित नहीं है। जिनके पास प्रमाणपत्र नहीं है, उनके लिए संबंधित बार कौंसिल से नियमित प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र ही मान्य होना चाहिए।

नियमित प्रैक्टिस करने का भी देना होगा प्रमाणपत्र : झारखंड के वकीलों को अपने नियमित प्रैक्टिस का भी प्रमाणपत्र देना होगा। वकीलों को अपने जिला बार संघों से नियमित प्रैक्टिस के प्रमाणपत्र के साथ कोर्ट के कुछ आदेश भी जमा करने होंगे, जिसमें उनके बहस करने का उल्लेख किया गया हो।

फॉर्मेंट के अनुसार ही देना होगा ब्योरा : वकीलों को बार कौंसिल ने एक फोर्मेट भेजा है। वकीलों को नाम, पता, फोन नंबर, व्हाट्सएप नंबर, ईमेल आईडी, इनरोलमेंट नंबर, प्रैक्टिस का स्थान, आवासीय और कार्यालय का पता आदि जानकारी देनी होगी। बार कौंसिल के अनुसार वर्तमान परिस्थिति में यदि किसी स्थिति में बीसीआई को वकीलों से सीधे संपर्क करना पड़े, तो इसके लिए पूरा ब्योरा रखा जाना जरूरी है। बीसीआई ने सभी जिला और सदस्यों से ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से आवश्यक सूचनाएं मांगने और उसे जमा कर सीधे बार काउंसिल ऑफ इंडिया को ईमेल के माध्यम से भेजने को कहा है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया सूचनाओं को सुप्रीम कोर्ट की ई- कमेटी के पास भेज देगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया कोई ऐसा ग्रुप या एप बनाएगी जिससे वह सीधे तौर पर देश भर के अधिवक्ताओं से संपर्क स्थापित कर सके और यदि कोई महत्वपूर्ण

क्यों पड़ी जरूरत : कोरोना संक्रमण के कारण अदालतों की कार्यवाही, लोक अदालत और वैकल्पिक न्याय के सभी माध्यमों से मामलों का निष्पादन अब ऑनलाइन किया जा रहा है। वर्तमान में जारी अस्थायी व्यवस्था को स्थायी करने की प्रक्रिया भई  शुरू कर दी गई है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी देश के सभी वकीलों का ब्योरा एकत्र कर रही है

प्रमाण पत्रों का सत्यापन करना जरूरी : राजेश शुक्ला
झारखंड बार कौंसिल के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने कहा कि वेरिफिकेशन रूल्स 2015 के तहत  सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराना है। इसके लिए सभी बार संघों को नोटिस दिया गया है। जो वकील अभी तक सत्यापन नहीं कराए हैं, उन्हें नोटिस दिया गया है।

वकीलों का ब्योरा मांगा है : हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव नवीन कुमार ने कहा कि  हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन से बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने नियमित प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का ब्योरा मांगा है। समय सीमा के अंदर कौंसिल को सभी जानकारी भेज दी जाएगी।  
 

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