जिले के अस्पतालों में है महंगी दवाओं का टोटा
सरकार गरीब मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अस्पतालों को दुरुस्त करने में लगी है। दुसरी तरफ अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सरकार...
सिमडेगा, हिन्दुसतान टीम
सरकार गरीब मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अस्पतालों को दुरुस्त करने में लगी है। दुसरी तरफ अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सरकार के प्रयासों को विफल करने में लगी है। जिले के सदर अस्पताल से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित सीएचसी व पीएचसी तक जरुरी दवाओं का घोर आभाव है। दवाओं के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सीएचसी व पीएचसी का हाल और बुरा है। यहां न तो पर्याप्त मात्रा में महंगी दवाईयां उपलब्ध है और न ही पर्याप्त मात्रा में चिकित्सक और कर्मी। बताया गया कि जिले में चिकित्सकों के कुल 114 रिक्त पद हैं। जिनमें मात्र 24 चिकित्सक ही पदस्थापित है। इधर दवाओं की कमी के कारण अस्पताल पहुंचने वाले मरीज अधिकतर दवाएं बाहर से ही खरीदने को विवश हैं। इससे मरीजों के साथ साथ उनके परिजन भी परेशान है। खास कर गरीब परिवार से संबंध रखने वाले मरीज पैसे के आभाव में सभी दवाएं खरीदने में असमर्थ हैं। ऐसे में कई मरीजों का इलाज आधी आधूरी ही हो रही है। आदिवासी बहुल सिमडेगा में जहां एक बडी आबादी आर्थिक तंगी से गुजरती है। ऐसे लोगों के लिए सरकारी अस्पताल ही स्वास्थ्य सुविधा की आस होती है। लेकिन दवाओं की कमी मरीजों को बाहर से दवा लेने के अलावे निजी अस्पतालों में इलाज कराने को विवश हैं।
बोलबा में मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ता है विटामीन एवं सीरप
प्रखंड के सीएचसी मे 15 तरह की दवाएं उपलब्ध है। डॉक्टर पीएचसी मे उपलब्ध दवाईयो को मरीजो के लिए लिखते है। मरीजों को विटामीन एवं सीरप बाहर से खरीदनी पड़ती है। अस्तपाल में जरूरी दवाईयां जैसे पारासीटामोल, पाराजेसिक, डाईक्लोफेनिक, ओनडेम, ओरनिडाजोल की दवाएं उपलब्ध है।
कोलेबिरा में डायबिटीज, हाइपर टेंशन की दवा व एंटी रेबीज इंजेक्शन की कमी
कोलेबिरा सीएचसी में डायबिटीज, हाइपर टेंशन की दवाई व एंटी रेबीज इंजेक्शन नही है। फाइलेरिया, एड्स, टीवी, हिमोग्लोबिन, कोरोना, मलेरिया का जांच होता है। मिनिविडास मशीन लगा हुआ है। परंतु कीट नहीं होने के कारण मशीन चालू नही है। हॉस्पिटल में प्रभारी डॉ केके शर्मा ने बताया की यहां चिकित्सकों के कुल रिक्त पद 8 के अनुरुप महज दो डाक्टर पदस्थापित है। जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कुरडेग में महंगी दवाओं की है कमी
कुरडेग सीएचसी में सामान्य बीमारियों की जरूरी दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यहां भी महंगी दवाईयों का टोटा है। अस्पताल में रोजाना करीब 20 से 30 मरीज आते हैं। डॉ उपलब्ध दवा लिखते हैं। हालांकि गंभीर मरीज आने पर रेफर कर दिया जाता है।
ठेठईटांगर में गंभीर मरीज आने पर किया जाता है रेफर
ठेठईटांगर रेफरल अस्पताल में भी महंगी दवाओं की कमी पाई गई। हालांकि यहां पारासिटामोल, सिटरिजीन, एंटी बॉयोटिक और ओआरएस जैसी समान्य बीमारियों की दवा उपलब्ध नजर आई। जबकि गंभीर बीमारियों की दवा नहीं होने पर रेफर किए जाने की बात चिकित्सकों ने बताई।
पीएचसी हुरदा में दवाओं का है घोर आभाव
बानो प्रखंड के दुरुस्त क्षेत्र हुरदा में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा देने के उद्देश्य से करोड़ो की लागत से पीएचसी बना है। लेकिन पीएचसी भवन सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। पीएचसी में न तो दवाएं हैं और न ही पर्याप्त में स्वास्थ्य कर्मी। सफाई कर्मी रीता देवी के भरोसे अस्पताल चल रहा है। कर्मियों व दवाओं की कमी से ग्रामीणों को पीएचसी का लाभ ही नहीं मिल रहा है। ग्रामीण दूसरे स्थानों में जाकर निजी अस्पतालों में अथवा झोला छाप डॉक्टरों पर निर्भर हैं। यहाँ मरहम पट्टी तक की सुविधा नहीं है। यहां बैंडेज, सिरिंज एवं सामान्य जरूरी दवाइयां तक की कमी है।
क्या कहते हैं सीएस
सीएस डॉक्टर नवल कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल से लेकर सभी सीएचसी व पीएचसी में पर्याप्त मात्रा में दवाएं एवं अन्य समान उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है। साथ ही जिला से भी पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध करा दी गई है। अगर अस्पतालों में दवाओं व अन्य समानों की कमी है तो इसके लिए संबंधित पदाधिकारी जिम्मेवार है। उन्होंने कहा दवा की कमी है तो डीएस व संबंधित एमओवाईसी को समय रहते ध्यान देना चाहिए।
