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मंत्रहीन, क्रियाहीन,भक्तिहीन समरपयामी

शारदीय नवरात्र में दस दिनों के भव्य अनुष्ठान के बाद मंगलवार को शहरी क्षेत्र में मां दुर्गे की विदाई की बेला आयी। पूजा-पंडालों में भक्तों ने भावुक मन से मां की अराधना की और संध्याबेला में सादगी के साथ...

मंत्रहीन, क्रियाहीन,भक्तिहीन समरपयामी
हिन्दुस्तान टीम,सिमडेगाWed, 28 Oct 2020 03:00 AM
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शारदीय नवरात्र में दस दिनों के भव्य अनुष्ठान के बाद मंगलवार को शहरी क्षेत्र में मां दुर्गे की विदाई की बेला आयी। पूजा-पंडालों में भक्तों ने भावुक मन से मां की अराधना की और संध्याबेला में सादगी के साथ माता रानी की शोभायात्रा निकली। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण शोभा यात्रा में कुछ गिने चुने समिति के लोग ही नजर आ रहे थे। कोविड 19 के बीच माता के जयकारे करते भक्तों में भक्तिभाव और उत्साह की लहर उफान पर रही। शोभा यात्रा में मां को देखकर भक्त निहाल हो गये। हजारों सिर माता के समक्ष झूके। विनती की गयी, ‘मंत्रहीन हूं, क्रियाहीन हूं, आराधना-उपासना नहीं जानता। त्रुटियों को माता रानी क्षमा करना भाव के साथ मां की प्रतिमा को देर रात सरोवर में विर्सजन कर दिया गया।

या देवी सर्वभुतेषु शक्तिरूपेण...

विसर्जन में शहर के आठों पूजा पंडाल के पुजा समिति ने एक साथ मां भगवती और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा को वाहनों में विराजीत कर सादगी के साथ पूरे शहर की परिक्रमा कराई। शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालु या देवी सर्वभुतेषु शक्तिरूपेण... के मंत्रों के बीच मां को अपनी श्रद्धा अर्पण कर वर्ष भर जिले में अमन,चैन,शांति,सुख समृद्धि की कामना के साथ मां के चरणों में शीश झुकाया और नमन किया। शहर के सभी मोहल्ले में श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों से निकल कर मां की अर्चना की और उन्हें भावभीनी विदाई दी। इधर शोभा यात्रा के दौरान विधि व्यवस्था बनाए रखने में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा।

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