सिमडेगा हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
वर्ष 2020 ऐसा भी वर्ष रहा जिसमें बहुत कार्य अधूरी रह गई और एक बार फिर लोगों को नए वर्ष का इंतजार करना पड़ा। जिसके कारण जिलेवासियों में मायूसी देखी गई। अब 2021 में लोगों के लिए सूर्य की पहली किरण नई आशा लेकर निकली है। अब देखना होगा की वर्ष 2021 में भी उक्त कार्य पूरी हो पाती है या नहीं।
सिमडेगा कॉलेज में पीजी की पढ़ाई नहीं
सिमडेगा कॉलेज में पीजी की पढ़ाई प्रारंभ नहीं हुई। जिससे जिले के विद्यार्थियों को गुमला/रांची/राउरकेला के कॉलेजों में पीजी के लिए नामांकन कराना पड़ा। जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ा।
रेल लाइन का सर्वे नहीं
रेल बजट में लोहरदगा-गुमला-झासुगुड़ा रेल लाइन के सर्वे को शामिल नहीं किए जाने से सिमडेगा वासियों की हसरत अधूरी रह गई। जिलेवासी वर्षों से जिला मुख्यालय को रेलवे लाईन से जोड़ने की मांग कर रही है।
बानो में एक्सप्रेस ट्रेनों की ठहराव बढाने की मांग अधूरी
वर्ष 2020 में भी बानो रेलवे स्टेशन में और अधिक एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव की मांग अधूरी रह गई। लोगों ने 2019 के हुए लोस चुनाव और विस चुनाव में भी उक्त स्टेशन में अधिक से अधिक एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग किए थे।
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था पूरी नहीं
भले ही देश के आजाद हुए 71 वर्ष गुजर गए। लेकिन आज तक जिले के कई गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा है। लोग डांड़ी, चुंआ के सहारे दिन काट रहे हैं। जानकारी के अनुसार सदर प्रखंड के बीरु बिरकेरा, पाकरटांड़ प्रखंड के हल्दीबेड़ा खास, चुंडियारी, तेतरटोली, रेंगापानी, खरवाटोली, लेटाटोली, गठाईंटोली, ठोंघीपानी, चेडोबेड़ा, बड़पानी, बढ़हालेटा आदि गांवों में बसे ग्रामीण आज भी डाड़ी और चुंआ के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं।
हर गांव में नहीं पहुंची बिजली
इस वर्ष भी जिले में ऐसे गांव रह गए जहां बिजली नहीं पहुंची। उक्त गांव में बोलबा, जलडेगा, बानो के दर्जनों गांव के हैं जहां बिजली नहीं पहुंची। इसके अलावे रामरेखाधाम का विकास, केलाघाघ डैम का सौंदर्यकरण, अत्याधुनिक बस स्टैंड, शॉपिंग मॉल आदि कार्य भी नहीं हुआ।