सिमडेगा में नमाज-ए-जुमा में उमड़े रोजेदार
माहे रमजान के दूसरे जुमे पर नौ जून को इस्लाम मतावलंबियों ने शहर की विभिन्न मस्जिदों में नमाज-ए-जुमा अदा की। शहर की विभिन्न मजिस्दों में इमामों ने उपस्थित जन समूहों को संबोधित करते हुए कहा कि पवित्र...
माहे रमजान के दूसरे जुमे पर नौ जून को इस्लाम मतावलंबियों ने शहर की विभिन्न मस्जिदों में नमाज-ए-जुमा अदा की। शहर की विभिन्न मजिस्दों में इमामों ने उपस्थित जन समूहों को संबोधित करते हुए कहा कि पवित्र महीने में इंसानियत की रक्षा के लिए खुदा की इबादत की जाती है। कहा गया कि अगर जानबूझ कर कोई इस्लाम मतावलंबी रमजान का एक रोजा छोड़ देता है, तो उसे कई बरस तक जहन्नुम में जलने की सजा झेलनी पड़ती है। रमजान के महीने में फितरे और जकात की रकम अदा की जाती है। बताया गया कि इस माह में फितरे और जकात की रकम अदा करने से इसका सवाब सात गुणा ज्यादा बढ़ जाता है। जकात की रकम निर्धन, यतीम, अपंग, मोहताज सहित दीनी मदारिस को देने की अपील की। वक्ताओग ने कहा कि रोजेदार को वह नेमते मिलती है, जो किसी और अच्दे अमल करने वाले को नहीं मिलती है। बताया गया कि रोजा मुसलमानों को अच्छा मुसलमान और अच्छा इंसान बनने का प्रशिक्षण देता है। बताया गया कि एक रोजा छोड़ने के बाद यदि इंसान सारी जिंदगी भी रोजा रखे तो वह रमजान के महीने के रोजे का फायदा हासिल नहीं कर सकता है।