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सिमडेगा में प्रकृति ने खोला है अपने सौन्दर्य का खजाना

सिमडेगा जिले की प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जगहों में केलाघाघ डैम, दनगद्दी, पेरवाघाघ, सतकोठा, और डोभाया डैम शामिल हैं। यहां पर्यटक नव वर्ष के मौके पर पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। जिले के हर कोने में...

Newswrap हिन्दुस्तान, सिमडेगाMon, 30 Dec 2024 10:26 PM
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सिमडेगा में प्रकृति ने खोला है अपने सौन्दर्य का खजाना

सिमडेगा, प्रतिनिधि। सिमडेगा जिले के प्रकृति ने अपने सौन्दर्य का खजाना खोल रखा है। इस जिले में प्राकृतिक ने ऐसी खूबसूरती को अपने दामन में समेटे हुए है। जिले के लगभग हर कोने में प्राकृतिक की खुबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है। इन पर्यटक स्‍थलों में केलाघाघ डैम, राजाडेरा, दनगद्दी, बुदाधार, शंख नदी तट पर स्थित संगम स्‍थल, बसतपूर, डोभाया डैम, राजाडेरा, पेरवाघाघ, भंवर पहाड़ गढ़, सतकोठा, भैरव बाबा पहाड़ी आदि प्रमुख है। जहां नव वर्ष के मौके पर काफी संख्‍या में श्रद्धालु पिकनिक मनाने पहुंचते हैं।

केलाघाघ डैम

क्‍या है खास:

शहर से चार किमी की दूरी पर स्थित केलाघाघ डैम के ठीक बीच मे एक पहाड़ है। जो अपनी हरियाली और खूबसूरती से डैम के मनमोहन नजारे में चार चांद लगाती है। यहां जाने से आइलैंड में जाने का एहसास होता है। इसके अलावे दो पहाड़ों के बीच से निकलती नहर व डैम इसकी खुबसूरती बढ़ाती है।

कैसे पहुंचे

बस स्‍टेशन पहुंचने के बाद यहां से ऑटो, रिक्‍शा, बाईक से आसानी से जा सकते हैं।

दनगद्दी

क्‍या है खास:

बोलबा में स्थित दनगद्दी में सफेद चट्टानों के बीच से कलकल करती नदी की धारा निरंतर बहती रहती है। जो पर्यटकों को अपनी ओर स्वत: आकर्षित करती है। नदी के किनारे दूर-दूर तक फैली रेत का आनंद युवा व बच्चे उठाते हैं।

कैसे पहुंचे

बस स्‍टेशन पहुंच कर कार, बाईक अथवा नीजि वाहन से ठेठईटांगर होते हुए दनगद्दी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां हाथियों का प्रकोप शाम में बढ़ जाता है। इस कारण शाम होने से पहले वापस लौटना उचित है।

पेरवाघाघ

क्‍या है खास:

बानो का पेरवाघाघ कोयल नदी में 20 फीट से पानी फॉल होकर बड़े जगह में एकत्रित होकर बहता है। जहां सुबह में काफी संख्या में कबतुर की झुंड देखने को मिलता है।

कैसे पहुंचे

बानो रेलवे स्‍टेशन पहुंचे। यहां से आपको पेराघाघ जाने के लिए आसनी से ऑटो मिल जाएगी। यहां से बाईक अथवा नीजि वाहन से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सतकोठा

क्‍या है खास:

जलडेगा का सतकोठा लुढ़गी नदी पर है। जहां बड़े से चट्टान को नदी की धार ने काट कर सात कुआं बना दिया है, जिससे नदी बहकर आगे जाती है। पर्यटन स्थल के चारों ओर जंगल, पहाड़ अलग छटां बिखेरते है।

कैसे पहुंचे

जलडेगा से 10 किमी दुरी पर स्थित पर्यटन स्थल पर जाने के लिए मोरम पथ है। जबकि जिला मुख्यालय से सतकोठा की दूरी 40 किमी है। यहां ऑटो, बाईक व कार से लोग जाते हैं।

डोभाया डैम

क्‍या है खास:

पाकरटांड़ प्रखंड के कैरबेड़ा पंचायत का डोभाया डैम जंगलों पहड़ों के बीच में स्थित एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट हैं। हरे भरे वन, पहाड़ के बीच में बने डैम लोगों को आकर्षित करते हैं। बंदरों का झूंड भी पर्यटकों को खुब भाता है। डोभाया डैम जंगलों के काफी अंदर में बना हैं। यहां सन्‍नाटा रहने के कारण अकेले जाना ठीक नहीं है।

कैसे पहुंचे

जिला मुख्‍यालय से डोभाया डैम की दूरी लगभग 27 किमी है। रामरेखा रोड होते हुए बाईक अथवा कार के माध्‍यम से डोभाया डैम पहुंचा जा सकता है। दुर्गम इलाका होने एवं दूरी अधिक होने के कारण पैदल नहीं जाया जा सकता है।

रामरेखाधाम

क्‍या है खास:

पाकरटांड़ में स्थित पर्यटक सह धार्मिक स्‍थल रामरेखाधाम पहाड़ की तलहटी में स्थित है। चारो ओर जंगलों, पहाड़ों एवं हरे भरे वनों से अच्‍छादित रामरेखाधाम लोगों को बरबस ही अपनी ओर अकर्षित करती है। मान्‍यता है कि यहां भगवान श्रीराम, माता जानकी और भाई लक्ष्‍मण वनवास काल के दौरान यहां पहुंचे थे। यहां बंदरों का झूंड भी लोगों का मनोरंजन कराती है।

कैसे पहुंचे

सिमडेगा बस स्‍टेशन पहुंचकर रामरेखाधाम आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां जाने के लिए अच्‍छी सड़क है। लोग बस स्‍टेशन पहुंचकर नीजि वाहन से रामरेखाधाम पहुंचा जा सकता है।

बसतपुर

क्‍या है खास:

बसतपुर पर्यटक स्‍थल पाकरटांड़ प्रखंड में स्थित है। पर्यटन स्थल के चारों ओर जंगली पेड़, पहाड़ अलग छटां बिखेरते है। यहां पहाड़ों के बीच से होकर एक नदी बहती है। जो पर्यटक स्‍थल की खुबसुरती बढ़ाती है।

ऐसे पहुंचे बसतपुर

पाकरटांड़ से दूरी तीन किमी है। जबकि जिला मुख्यालय से बसतपुर की दूरी लगभग 25 किमी है। सिमडेगा से ऑटो एवं बाईक या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। यहां जाने के लिए अच्‍छी सड़क बना है।

भंवरपहाड़ गढ़

क्‍या है खास:

भंवरपहाड़ गढ़ पहाड़ों से घिरे झरनों व तालाबों से परिपूर्ण है। यहां पर अजुबा की तरह पहाड़ के बीचो बीच एक तालाब है, जो कभी नहीं सुखता है। तालाब में सफेद कमल के फुल खिलते हैं, जो और भी शोभनीय है। यहां पर एक मंदिर है, जो ताजमहल की याद दिलाता है। पहाड़ के उपर में लोगों ने घर बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं। जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है।

कैसे पहुंचे

प्रखंड मुख्‍यालय से महज तीन किमी दूरी पर स्थित होने के कारण यहां बाईक, टेम्‍पू अथवा पैदल भी पहुंचा जा सकता हैं। लोग सुबह सात बजे जाकर शाम पांच बजे लौट सकते है।

राजाडेरा

क्‍या है खास

ठेठईटांगर से करीब 5 किमी दक्षिण पश्चिम में छिन्दा नदी पर छोटा जलप्रपात राजाडेरा है। जो वन क्षेत्र से आच्छादित चटान के बीच स्वच्छ जल का प्रवाह मन को जहां एक अजीब सुकून देता है। वहीं चटानयुक्त ढलान के बीच बहते इस जल की ध्वनि से एक मनमोहक संगीत का एहसास दिल को एक मधुर संगीत का एहसास कराता है।

कैसे पहुंचे

एनएच 143 के जोराम हाईस्कूल के निकट से राईबहार मसनिया जाने वाले कच्चे पथ से करीब तीन किमी की यात्रा कर राजाडेरा पहुंच सकते हैं। परन्तु आबदी से दूर होने के कारण यहां कोई दुकान नहीं है।

कोबांग डैम

क्‍या है खास

पाकरटांड़ प्रखंड में स्थित कोबांग डैम कांसजोर जलाशय में बना है। कई एकड़ में जंगलों, पहाड़ों के बीच में फैले कोबांग डैम अपनी खुबसुरती से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

कैसे पहुंचे

सिमडेगा बस स्‍टेशन पहुंच बाईक, कार और ऑटो से सिकरियाटांड़ होते हुए कोबांग डैम आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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