सिमडेगा हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
आस्था का केंद्र रामरेखा धाम और बानो के केतुंगाधाम में भी नववर्ष के मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 23 किमी दूर ढलान युक्त पहाड़ी पर स्थित रामरेखा धाम में पवित्र गुफा में पूजा-अर्चना के बाद इस मनोरम प्राकृतिक स्थल पर लोग वनभोज का भी लुत्फ उठाते हैं। यह पवित्र स्थल जो प्राकृतिक छटाओं से यहां आने वालों का मन बरबस मोह लेता है। राज्य के चीफ जस्टीस भी अपने रामरेखा दौरे में यहां की सुंदरता को शिमला से भी बेहतर बताया था। वैसे तो यहां सालों भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन नववर्ष में लोग रामरेखा पहुंच पिकनीक और धार्मिक लाभ दोनो का आनंद लेते है। काफी संख्या में यहां लोग पवित्र गुफा में पूजा अर्चना कर ईश्वरीय आशीष प्राप्त करते हैं। इस पवत्रि स्थल पर छत्तीसगढ़, उड़ीसा हित झारखंड के विभन्नि स्थल के लोग यहां पहुंचते हैं लेकिन रामरेखा में किसी प्रकार का दुकान नहीं होने के कारण लोग सुबह सात बजे से पहुंचने लगते हैं। वहीं शाम चार-पांच बजे तक वापस लौट जाते हैं।
मंदिर आस्था का प्रतीक है केतुंगाधाम
सिमडेगा जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर व प्रखंड मुख्यालय से पांच किमी की दूरी पर स्थित केतुंगा धाम शिव मंदिर आस्था का प्रतीक है।यहां एक जनवरी को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्याता है कि मंदिर में भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यहां लोग पुत्र प्राप्ति के लिए भी पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन व गौरवशाली है। केतुंगाधाम का नाम राजा श्रृंगकेतु के नाम पर पड़ा। शिव मंदिर के पीछे कई लोक कृतियां हैं।