दिल अजीज को कुर्बान करने का पर्व है बकरीद
साहिबगंज व आसपास के इलाके में ईद उल अजहा (बकरीद) को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों का उत्साह चरम पर है। त्योहार 22 अगस्त को...
साहिबगंज व आसपास के इलाके में ईद उल अजहा (बकरीद) को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों का उत्साह चरम पर है। त्योहार 22 अगस्त को है। इसे लेकर आवश्यक तैयारी पूरी कर ली गई है। शहर के विभिन्न मुहल्लों में लगे मौसमी दुकानों में सेवई, कपड़े समेत अन्य सामानों की जमकर खरीदारी हुई। इधर, शहर के स्टेडियम रोड स्थित ईदगाह में ईद उल अजहा (बकरीद) की नमाज बुधवार की सुबह आठ बजे अदा की जाएगी। ईदगाह व कब्रिस्तान कमेटी के सचिव मो. कज्जाफी मुर्शाद ने बताया कि ईदगाह में धूप से बचने के टेंट लगाया जा रहा है। जमीन समतलीकरण के लिए डस्ट डाली गई है। वजू के लिए पानी का इंतजाम रहेगा। सचिव ने बताया कि बारिश होने पर ईदगाह में नमाज नहीं हो सकेगी। इस परिस्थिति में विभिन्न मस्जिदों में नमाज होगी।कुर्बानी करने का तरीका : जानवर को किबला (पश्चिम) रूख लिटाकर दुआ और बिस्मिल्लाह अल्लाहू अकबर पढ़कर जबह करें। दुआ याद न हो तो सिर्फ बिस्मिल्लाह अल्लाहू अकबर पढ़कर कुर्बानी के जानवर को खुद से जबह कर दें। दुआ के लिए किसी का इंतजार करना और इसलिए कुर्बानी में ताखीर करना मुनासिब नहीं है। बकरा बनाने वाले कसाई की रहती है चांदी : ईद उल अजहा पर कुर्बानी का बकरा का गोश्त को पीस कर तैयार करने वाले कसाई की उसदिन चांदी रहती है। इस दिन एक कसाई कम से कम 4-5 बकरे को तैयार करता है। इसके एवज में 600 से 1000 रुपये तक प्रति बकरा कुर्बानी देने वाले लोग से बतौर फीस लेता है। कुर्बानी का सिलसिला अगले तीन दिनों तक चलता है। तीन हिस्सों में बकरे की गोश्त को बांटने का है हुक्म : धार्मिक किताबों में बकरे की गोश्त को तीन हिस्से में बांटने का हुक्म है। एक हिस्सा गरीब तबका, दूसरा हिस्सा अपने रिश्तेदारों व तीसरा हिस्सा घर का होता है।चाक चौबंद रहेगा सुरक्षा का इंतजाम : बकरीद पर ईदगाह में सुरक्षा का चाक चौबंद इंतजाम है। मुस्लिम मुहल्लों व मस्जिदों के बाहर भी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। एसपी हृदीप पी जर्नादनन ने बताया कि बकरीद पर सुरक्षा को लेकर विभिन्न स्थानों पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी की देखरेख में पुलिस बल की तैनाती की गई है।