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देखरेख के अभाव में बदहाल हुआ गंगा विहार पार्क

शहर में लोगों के व्यस्ततम जीवन में पल भर के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। शहर में मनोरंजन के लिए कहीं भी सिनेमा हॉल, क्लब, सांस्कृतिक मंच उपलब्ध नहीं है, जहां लोग अपने दिन भर का थकान दूर कर सके। 2006...

शहर में लोगों के व्यस्ततम जीवन में पल भर के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। शहर में मनोरंजन के लिए कहीं भी सिनेमा हॉल, क्लब, सांस्कृतिक मंच उपलब्ध नहीं है, जहां लोग अपने दिन भर का थकान दूर कर सके। 2006...
1/ 2शहर में लोगों के व्यस्ततम जीवन में पल भर के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। शहर में मनोरंजन के लिए कहीं भी सिनेमा हॉल, क्लब, सांस्कृतिक मंच उपलब्ध नहीं है, जहां लोग अपने दिन भर का थकान दूर कर सके। 2006...
शहर में लोगों के व्यस्ततम जीवन में पल भर के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। शहर में मनोरंजन के लिए कहीं भी सिनेमा हॉल, क्लब, सांस्कृतिक मंच उपलब्ध नहीं है, जहां लोग अपने दिन भर का थकान दूर कर सके। 2006...
2/ 2शहर में लोगों के व्यस्ततम जीवन में पल भर के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। शहर में मनोरंजन के लिए कहीं भी सिनेमा हॉल, क्लब, सांस्कृतिक मंच उपलब्ध नहीं है, जहां लोग अपने दिन भर का थकान दूर कर सके। 2006...
हिन्दुस्तान टीम,साहिबगंजTue, 25 Dec 2018 02:05 AM
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शहर में लोगों के व्यस्ततम जीवन में पल भर के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। शहर में मनोरंजन के लिए कहीं भी सिनेमा हॉल, क्लब, सांस्कृतिक मंच उपलब्ध नहीं है, जहां लोग अपने दिन भर का थकान दूर कर सके। 2006 में जिला प्रशासन ने बच्चों व सैलानियों के लिए पहाड़ की तलहटी में गंगा विहार पार्क का निर्माण किया था। हालांकि अब देखभाल के अभाव में पार्क बदहाल हो गया है। पार्क में जंगल झाड़ उग आया है। पार्क में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पार्क में बनाए गए फुुटपाथ का हाल भी बेहाल है। शुरूआत में पार्क की देखभाल जिला प्रशासन के जिम्मे था। वर्तमान में पार्क को नगर परिषद बंदोवस्त करती है। इससे नगर परिषद को सालाना लाखों रुपए का मुनाफा होता है। हालांकि पार्क के मेंटनेंस के नाम पर खानापूर्ति होती है। पार्क में इस कदर जंगल झाड़ फैला है कि कभी भी कोई बड़े हादसा हो सकता है।

टूटने लगे हैं मनोरंजन के उपकरण : गंगा विहार पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए लगाए गए अधिकांश उपकरण रखरखाव के अभाव में टूटने लगे हंै। इसके चलते खेलने के दौरान आए दिन बच्चों को चोट लगती है।

पार्क की सफाई नहीं ,जंगल में तब्दील : नगर परिषद गंगा विहार पार्क का खुली डाक के माध्यम से ठेकेदार को दिया है। पार्क की साफ-सफाई व देखरेख की जिम्मेदारी ठेकेदार को ही सौंपी गई है। लेकिन देखरेख के नाम पर पार्क में उगे सिर्फ घास की कटाई हुई है। पार्क में लगे पौधे खराब होने लगे है। फूल आदि का घोर अभाव है। इस कदर जंगल है कि पार्क के दूसरे हिस्सा में लोग जाने से कतराते हैं।

लोग सुबह हरी घांस पर चलने के लिए आते है : गंगा विहार पार्क में शहर के लोग कुछ समय पहले तक सुबह घास पर पैदल चलने के लिए आते थे। अब वह भी धीरे धीरे कम होने लगा है।

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