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कार्यशाला : झार-क्रिस्प यंत्र से मिलेगी जलवायु परिवर्तन की जानकारी

झार-क्रिस्प यंत्र से मिलेगी जलवायु परिवर्तन की जानकारी रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो ग्रामीण विकास,...

कार्यशाला : झार-क्रिस्प यंत्र से मिलेगी जलवायु परिवर्तन की जानकारी
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 25 Aug 2022 03:40 AM
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रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो

ग्रामीण विकास, वन एवं जलवायु विभाग और नागर समाज संगठन के प्रतिनिधियों ने बुधवार को तकनीकी कार्यशाला में भाग लिया। इसमें झारखंड जलवायु सूचना प्रणाली एवं योजना निर्माण यंत्र के झारखंड में क्रियान्वयन पर चर्चा की। कार्यशाला मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं ब्रिटेन के राजदूत एलेक्स एलिस द्वारा लोकार्पण के फलस्वरूप किया गया। इस यंत्र को इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इन्वॉयरमेंट एंड डेवलप (आईआईइडी) और विभिन्न तकनीकी संस्थानों के साझा प्रयास से विकसित किया गया है। इससे सूखे की स्थिति में पूर्व सूचना प्रणाली भी शामिल है। यह यंत्र ग्रामीण समुदाय को भूगर्भ जलीय स्थिति में बदलाव, जल बहाव, वर्षापात इत्यादि में बदलाव एवं भविष्य में होने वाली जलवायु परिवर्तन की स्थिति दर्शाता हैं। इससे जल संरक्षण के लिये दीर्घकालिक योजना बनान में सहायता मिलती है।

परिवर्तन से जूझने और तैयार रहने में मिलेगी मदद

झारखंड कुछ विशेष राज्यों में से एक है, जहां इस यंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। इसके क्रियान्वयन से ग्रामीण समुदाय को जलवायु परिवर्तन से जूझने एवं तैयार रहने में मदद मिलेगी। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेन्द्र नाथ सिन्हा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन ने भाग लिया। एनएन सिन्हा ने कहा कि इस यंत्र से सतत विकास होगा। राजीव अरुण एक्का ने कहा कि इससे मनरेगा कार्यक्रम को और बल मिलेगा। मनीष रंजन ने कहा कि इस यंत्र के माध्यम से योजना निर्माण से लेकर योजनाओं के क्रियान्वयन एवं परिणाम में बदलाव दिखेगा।

सूखे की स्थिति से निपटा जा सकेगा

आईआईईडी यूके की मुख्य शोधकर्ता ने कहा कि झार-क्रिस्प से सूखे की स्थति से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा। कृषि विभाग के सचिव अबू बककर सिद्दीकी ने इस यंत्र को कृषि विभाग के लिए उपयोगी बताया। कार्यक्रम के अंत में मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि इस यंत्र की उपयोगिता को समझने के लिए झारखंड के विभिन्न विकास आयामों को गहन रूप से समझने कि जरूरत हैं, जिससे कि योजना निर्माण में व्यापकता आ सके। फिया फाउंडेशन द्वारा इस यंत्र का राज्य में क्रियान्वयन किया जा रहा है। फाउंडेशन के क्षेत्रीय कार्यक्रम अधिकारी जॉनसन टोपनो ने कहा कि इस यंत्र के लिए पीएमयू बनाने पर बल दिया जाएगा। ग्रामीण जनता के बीच भी ले जाया जाएगा।

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