चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाएं मांगेंगी अखंड सौभाग्य का वर
विवाहिताएं अखंड सौभाग्य और जीवनसाथी की लंबी उम्र की कामना के लिए बुधवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी। कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ...

रांची, प्रमुख संवाददाता। विवाहिताएं अखंड सौभाग्य और जीवनसाथी की लंबी उम्र की कामना के लिए बुधवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी। कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ मनाने की परंपरा है। इस दिन विवाहिताएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ मुख्य रूप से पंजाबी और मारवाड़ी समुदाय की विवाहित महिलाएं सुख-सौभाग्य के लिए करती हैं। दोनों ही समुदाय में पर्व के मूल में पति की लंबी आयु की कामना ही होती है, हालांकि, पूजा-पाठ के कुछ रीति-रिवाजों में थोड़ी भिन्नता होती है। राजधानी में लाला लाजपत राय स्कूल, पंजाबी भवन, स्टेशन रोड, रातू रोड गुरुद्वारा, संत माइकल्स स्कूल, चुटिया व अन्य स्थानों पर करवाचौथ की सामूहिक पूजा का आयोजन किया गया है।
चंद्रोदय के समय का विशेष महत्व
करवा चौथ व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत किया जाता है, इसलिए चंद्रोदय के समय का विशेष महत्व है। ज्योतिषी पंडित युगल किशोर मिश्र ने बताया कि रांची में बुधवार को चंद्रोदय का समय रात के 8 बजे है। उन्होंने बताया कि बुधवार को चंद्रमा मिथुन राशि में शाम के 6.45 बजे प्रवेश करेंगे। मिथुन का स्वामी ग्रह बुध है। इस समय नक्षत्र मृगशिरा रहेगा। चतुर्थी तिथि रात के 10 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि इस समय शंख योग भी बन रहा है, जो सुख-सौभाग्य, संतानवान और सौम्य व्यवहार के लिए कारक होगा।
निर्जला व्रत की शुरुआत सरगी खाकर
करवाचौथ के निर्जला व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाकर की जाती है। यह महिलाओं को परिवार की बड़ी-बुजुर्ग महिला, ज्यादातर सास या जेठानी से मिलती है। एक थाली में फल, मिठाई, फेनिया, मट्ठी, व अन्य खाने की चीजें और कुछ तोहफे सुहागिनों को दिए जाते हैं, जो सरगी कहलाती है। सूर्योदय के पहले सुबह लगभग चार बजे महिलाएं सरगी खाकर दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी। शाम को छह बजे करवाचौथ की पूजा की जाएगी, जिसमें वीरोरानी की कथा सुनी जाएगी। लोक मान्यता है कि वीरो रानी ने करवाचौथ का व्रत रखकर पति को मौत के मुंह से निकाला था। पूजा के बाद बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर और रात में चंद्रोदय होनेपर चलनी से चांद को देखकर और अर्ध्य देकर, फिर पति के हाथों मीठा पानी पीकर महिलाएं व्रत तोड़ेंगी।
मेंहदी रचाई गई
करवाचौथ में सुहागिनों का 16 शृंगार हाथों में मेंहदी रचाए बिना पूरा नहीं होता। मंगलवार को अपर बाजार सहित अन्य स्थानों पर मेहंदी आर्टिस्ट सुबह से शाम तक मेहंदी रचाने में व्यस्त रहे। घरों में भी मेहंदी आर्टिस्ट को बुलवाकर हाथों में मेहंदी रचाई गई। दोनों हाथों में मेहंदी रचाने के लिए डिजाइन के हिसाब से 250-350 रुपये तक खर्च किए गए। वहीं, ब्यूटी पार्लरों में भी करवा चौथ स्पेशल मेकअप के लिए खासी बुकिंग की गई। इस बाद पेस्टर शेड और न्यूड मेकअप ज्यादा पसंद किया जा रहा है, जिसमें चेहरे पर मेकअप ऐसे लगाया जाता है कि वह स्वाभाविक दिखता है।
पिछले वर्ष दिसंबर में शादी हुई थी, यह मेरी पहली करवाचौथ है। मायके से नेग आया है। मेरा मायका और ससुराल दोनों रांची में ही है। करवाचौथ पर उपहार पाने की कोई तमन्ना नहीं, क्योंकि सबसे बड़ा तोहफा तो पति सौरभ अग्रवाल ही हैं। मेरी मां और सास दोनों करवाचौथ करती हैं, अब मैं भी नई पीढ़ी में इसे शुरू कर रही हूं।
दीपिका अग्रवाल, चुटिया
पहली बार करवाचौथ का व्रत करने जा रही हूं। मायका रायगढ़ में है, शादी रांची में हुई है। पति रमनप्रीत सिंह के साथ मिलकर पहले करवाचौथ व्रत के लिए सारी तैयारियां पूरी की हैं। चुटिया में होनेवाली सामूहिक पूजा में भाग लूंगी। निर्जला व्रत रखने को लेकर मन में थोड़ी घबराहट है, पर विश्वास है कि सबकुछ अच्छी तरह संपन्न होगा।
इरा अलंग, कोकर
करवाचौथ का व्रत करते हुए इस बार मुझे 6 वर्ष हो जाएंगे। मेरा मायका और ससुराल, दोनों रांची में ही हैं। हालांकि, अब बहुत छूट व्रत करने में दी जाती है, लेकिन मैं पुराने रीति-रिवाज से ही निर्जला व्रत रखती हूं। पति रजत बहल का हमेशा सहयोगी स्वभाव रहा है, इसे ही सबसे बड़ा तोहफा मानती हूं। इस बार हम लोगों ने सामूहिक पूजा का आयोजन किया है।
आस्था बहल, अशोक नगर
